स्नातक पाठ्यक्रम में बदलाव: अगले सत्र से चार साल की होगी पढ़ाई, मिलेगा खास ट्रेनिंग का मौका
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय (Shri Dev Suman University) के कुलपति, प्रोफेसर एनके जोशी ने आगामी शैक्षणिक सत्र से स्नातक पाठ्यक्रमों में महत्वपूर्ण और व्यापक बदलावों की घोषणा की है। इन बदलावों के तहत बीए, बीसीए और बीकॉम जैसे प्रमुख स्नातक पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप संरचनात्मक परिवर्तन किए जाएंगे। इस नीति का उद्देश्य छात्रों को अधिक समृद्ध और विविधतापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, ताकि वे न केवल शैक्षिक दृष्टिकोण से बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी सक्षम बन सकें।
नई शिक्षा नीति और चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम का प्रभाव
अगले सत्र से विश्वविद्यालय और इसके संबद्ध शैक्षणिक संस्थानों में बीए, बीसीए और बीकॉम जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों को पहले के तीन साल से बढ़ाकर चार साल का किया जाएगा। यह बदलाव नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत लागू किया जा रहा है, जो भारतीय शिक्षा प्रणाली में गहरे और दूरगामी सुधारों का हिस्सा है। इस बदलाव के तहत, छात्रों को एक और वर्ष का अतिरिक्त समय मिलेगा, जिससे उन्हें अपने विषयों में और गहरी समझ और कौशल विकसित करने का अवसर मिलेगा।
इसके साथ ही, अब स्नातक पाठ्यक्रमों में एक नया ढांचा अपनाया जाएगा, जिसमें एक साल की पढ़ाई के बाद छात्रों को सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा, दो साल पूरे करने पर डिप्लोमा मिलेगा और तीन साल के बाद छात्रों को स्नातक डिग्री दी जाएगी। चौथे वर्ष में छात्रों को एक विशिष्ट ऑनर्स डिग्री प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जो उन्हें उच्च स्तरीय और अनुसंधान आधारित शिक्षा के लिए तैयार करेगा। इसके परिणामस्वरूप, छात्रों को पाठ्यक्रम के प्रति अधिक प्रतिबद्धता और समय निवेश करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिससे उनकी अकादमिक और पेशेवर क्षमता में वृद्धि होगी।
बीसीए और बीकॉम में विशेष अवसर: ऑनर्स और रिसर्च की दिशा
छात्रों को चौथे वर्ष में बीसीए, बीकॉम और बीए में विशेष “ऑनर्स” डिग्री और “रिसर्च” आधारित पाठ्यक्रमों का विकल्प मिलेगा। यह विकल्प छात्रों को गहन अध्ययन और शोध कार्य में संलग्न करने का अवसर प्रदान करेगा, जो उनकी विशेषज्ञता को न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी बढ़ाएगा। उदाहरण के लिए, बीसीए (ऑनर्स) और बीसीए (ऑनर्स विद रिसर्च) के पाठ्यक्रमों में छात्रों को तकनीकी क्षेत्रों में प्रगति और नए अध्ययनों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा, जिससे उन्हें आईटी और सॉफ़्टवेयर विकास के क्षेत्र में अग्रणी बनने की क्षमता प्राप्त होगी।
नई ट्रेनिंग और कौशल विकास: छात्रों को मिलेगा भविष्य की तकनीकी दुनिया में आगे बढ़ने का अवसर
इस बदलाव का एक और महत्वपूर्ण पहलू है छात्रों को आधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण और कौशल विकास के अवसर प्रदान करना। छात्रों को भविष्य की उभरती तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग, और डेटा साइंस जैसी तकनीकों में गहरी समझ हासिल करने का मौका मिलेगा। इस प्रशिक्षण के तहत, उन्हें इन विषयों के सिद्धांत, प्रैक्टिकल उपयोग और उद्योग में इनका प्रभावी प्रयोग समझाया जाएगा। इससे उन्हें वैश्विक टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा करने के लिए बेहतर कौशल प्राप्त होंगे।
विशेष रूप से, छात्रों को डाटा एनालिटिक्स, डाटा विजुअलाइजेशन, टाइम सीरीज एनालिसिस, बिग डाटा एनालिसिस, बिजनेस इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स, डाटा माइनिंग, डाटा सिक्योरिटी एंड प्राइवेसी, न्यूरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, डीप लर्निंग फॉर कम्प्यूटर विज़न, और स्पीच रिकॉग्निशन जैसे अत्याधुनिक और उभरते हुए क्षेत्रों में प्रशिक्षण मिलेगा। ये कोर्स छात्रों को न केवल तकनीकी दक्षता में निपुण बनाएंगे, बल्कि उन्हें उन उभरते हुए व्यवसायों के लिए भी तैयार करेंगे, जिनकी मांग आने वाले वर्षों में तेजी से बढ़ने वाली है।
इसके अलावा, छात्रों के लिए समर इंटर्नशिप को अनिवार्य किया जाएगा। यह पहल छात्रों को कार्यस्थल पर वास्तविक अनुभव प्राप्त करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी, जिससे वे अपने अकादमिक ज्ञान को व्यावसायिक दुनिया के साथ जोड़ सकेंगे। इंटर्नशिप के दौरान छात्रों को विभिन्न उद्योगों, संगठनों और कंपनियों में काम करने का मौका मिलेगा, जिससे उन्हें अपने करियर के लिए आवश्यक व्यावहारिक ज्ञान मिलेगा। यह अनुभव उन्हें पेशेवर दुनिया के लिए तैयार करेगा और उन्हें अपनी योग्यताओं को निखारने का अवसर देगा।
आखिरकार, विद्यार्थियों को मिलेंगी वैश्विक दृष्टिकोण और बेहतर रोजगार के अवसर
इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के छात्रों को न केवल एक ठोस शैक्षिक आधार मिलेगा, बल्कि वे उद्योग में अपनी उच्चतम मांग वाली तकनीकी क्षमताओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भी तैयार होंगे। नई शिक्षा नीति के तहत किए गए ये बदलाव छात्रों को वैश्विक दृष्टिकोण से सोचने, शोध कार्यों में संलग्न होने और विभिन्न उद्योगों में रोजगार के लिए तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होंगे। यह मॉडल छात्रों को उनके भविष्य के करियर के लिए न केवल अधिक अवसरों की ओर मार्गदर्शन करेगा, बल्कि उन्हें तकनीकी, व्यावसायिक और शैक्षिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा।