निर्दलीय विधायक की वाई श्रेणी सुरक्षा पर मोर्चा ने साधा निशाना
सुरक्षा की आड़ में फल-फूल रहे अवैध धंधे -मोर्चा
विकासनगर। हाल ही में चैंपियन-उमेश विवाद के बाद खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को मिली वाई-प्लस श्रेणी की सुरक्षा को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। यह मामला सार्वजनिक होते ही सरकार पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश पर गृह विभाग ने निर्दलीय विधायक को मिली सुरक्षा की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की है, लेकिन अब तक इसकी रिपोर्ट सामने नहीं आई है। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार से स्पष्ट करने को कहा है कि आखिर किन परिस्थितियों और आधार पर इस विधायक को इतनी अधिक सुरक्षा प्रदान की गई।
गौरतलब है कि आमतौर पर विधायकों को केवल एक गनर प्रदान किया जाता है, लेकिन कई संगीन आपराधिक मुकदमों के बावजूद निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को वाई-प्लस सुरक्षा दी गई है। यही नहीं, उन्हें एस्कॉर्ट वाहन जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं, जिससे सरकार की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं। मामला तूल पकड़ते ही विभिन्न संगठनों और विपक्षी दलों ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है और सरकार से जवाबदेही की मांग की है।
सरकार पर जन संघर्ष मोर्चा का हमला
इस मुद्दे को लेकर सोमवार को जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सरकार पर करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और कुछ नहीं हो सकता कि एक ऐसा व्यक्ति, जिस पर यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग, जालसाजी, जबरन भूमि कब्जाने, और फरारी (जिस पर पूर्व में इनाम घोषित था) जैसे कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं, उसे वाई-प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने न केवल उसे सुरक्षा प्रदान की, बल्कि सरकारी खर्चे पर एस्कॉर्ट वाहन तक उपलब्ध कराया है, जो प्रदेश के खजाने पर सीधा बोझ डालने जैसा है।
नेगी ने कहा कि हरिद्वार पुलिस द्वारा निर्दलीय विधायक को दो गनर उपलब्ध कराए गए हैं, जबकि देहरादून और हरिद्वार स्थित उनके आवास पर अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड भी तैनात किए गए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किस आधार पर और किस मजबूरी के तहत सरकार ने इस व्यक्ति को इतनी अधिक सुरक्षा दी?
अधिकारियों पर गंभीर आरोप
नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ प्रभावशाली अधिकारी ब्लैकमेलिंग, जालसाजी और भूमि कब्जाने में लिप्त लोगों पर मेहरबान बने हुए हैं और उन्हें सुरक्षा तथा अन्य सरकारी सुविधाएं दिलाने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने संदेह जताया कि यह विवादित निर्दलीय विधायक किसी गुप्त स्टिंग ऑपरेशन की आड़ में बीते कई वर्षों से सुरक्षा और अन्य सुविधाएं हासिल कर रहा है। उन्होंने सरकार से सीधा सवाल पूछा कि आखिर क्यों एक आपराधिक छवि वाले व्यक्ति को इतनी सुरक्षा दी गई?
संपत्ति की जांच की उठी मांग
मोर्चा अध्यक्ष नेगी ने राज्य सरकार से यह मांग की कि विधायक उमेश कुमार की संपत्ति की गहन जांच की जाए, जिससे उनकी आय और संपत्ति के स्रोतों का खुलासा हो सके। उन्होंने कहा कि अगर सरकार में ईमानदारी और पारदर्शिता है, तो उसे इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाने का साहस दिखाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस प्रकरण की गहराई से जांच की जाए, तो कई गुप्त राज और बड़े घोटाले उजागर हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री धामी को दी सलाह
नेगी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सलाह दी कि वे ऐसे विवादित तत्वों से उचित दूरी बनाए रखें और अधिकारियों को धमकाने के अंदाज में बात करने वालों की सुरक्षा व संपत्ति की विस्तृत जांच कराएं। उन्होंने कहा कि किसी भी जनप्रतिनिधि को सुरक्षा देना आवश्यक हो सकता है, लेकिन अगर वह व्यक्ति कई आपराधिक मामलों में लिप्त है, तो सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
हाईकोर्ट की सख्ती और आंदोलन की चेतावनी
नेगी ने इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा दर्ज मुकदमों और सुरक्षा को लेकर संज्ञान लेने के फैसले का स्वागत किया और इसे प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि जन संघर्ष मोर्चा इस फर्जीवाड़े के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ेगा और अगर सरकार जल्द ही इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती, तो व्यापक स्तर पर जनआंदोलन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जन संघर्ष मोर्चा सरकार से यह भी मांग करता है कि अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आखिर किसके इशारे पर इतनी सुरक्षा दी गई।
पत्रकार वार्ता में मौजूद लोग
इस पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह, प्रवीण शर्मा पिन्नी, और संतोष शर्मा भी उपस्थित रहे। सभी ने सरकार से इस मामले में पारदर्शिता बरतने और जनहित में ठोस कदम उठाने की मांग की।
(यह मामला लगातार चर्चा में बना हुआ है और आने वाले दिनों में इस पर और बड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं।)