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Friday, December 6, 2024
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कोरोना जांच रिपोर्ट में हुए फर्जीवाड़े में दून की लैब ने डकारे 84 लाख

फर्जी रिपोर्ट “इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल” रिसर्च वेबसाइट पर की अपलोड 

सरकार से कुल 84.57 लाख रुपये फर्जी तरीके से किए हासिल

देहरादून। हरिद्वार में वर्ष 2021 में हुए कुंभ मेले के दौरान कोरोना की रैपिड और आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर हुए फर्जीवाड़े में दून की एक लैब का भी नाम जुड़ गया है। पैथोलाजी लैब ने फर्जी रिपोर्ट इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की वेबसाइट पर अपलोड की और स्वास्थ्य विभाग से 84 लाख रुपये से अधिक का भुगतान ग्रहण किया। प्रवर्तन निदेशालय चंडीगढ़ की ओर से मनी लांड्रिंग मामले में की जा रही जांच में दून की लैब का कारनामा सामने आया। जिसकी रिपोर्ट मिलने पर दून पुलिस ने गड़बड़ी को सही पाते हुए पटेलनगर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया है।

हरिद्वार कुंभ मेला में कई लैब को श्रद्धालुओं की कोविड जांच का काम दिया गया था। मेला समापन के बाद पता चला कि लैब संचालकों ने बड़े पैमाने पर कोविड जांच में फर्जीवाड़ा कर सरकार से धन प्राप्त किया था। जांच में पाया गया था कि कई श्रद्धालुओं के विभिन्न तिथियों में आरटीपीसीआर व एंटीजन टेस्ट किए गए थे। इसमें कई मरीज ऐसे थे जिनके अलग-अलग पते थे।

अब ईडी की जांच में देहरादून कारगी रोड स्थित डीएनए लैब का नाम भी आया है। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि ईडी के पत्र के आधार पटेलनगर थाने को प्राथमिक जांच के निर्देश दिए गए थे। इस प्रयोगशाला के आईसीएमआर डेटा की जांच की तो पता चला कि आईसीएमआर पोर्टल पर की गई अधिकांश एंट्री नकली थी। एक ही समय पर कई लोगों की जांच दर्शायी गई। इनके पते भी अलग थे। इस तरह लैब ने सरकार से कुल 84.57 लाख रुपये फर्जी तरीके से हासिल कर दिए। प्राथमिक जांच के बाद लैब संचालक दिव्य प्रकाश के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। एसएसपी ने बताया कि मामले में जांच शुरू हो गई है जल्द ही अगली कार्रवाई की जाएगी।

कुंभ मेले में आए कई लोगों ने सरकार से शिकायत की थी। श्रद्धालुओं के फोन में जब मैसेज आए तो उन्हें कोविड पॉजिटिव व निगेटिव होने का पता चला। जबकि, इनमें से ज्यादातर श्रद्धालुओं की जांच हुई ही नहीं थी। जांच में पता चला कि चेकपोस्ट पर उनके दस्तावेज तो ले लिए जाते थे, लेकिन जांच नहीं की जाती थी। इसके फर्जी रिपोर्ट बनाकर आईसीएमआर पोर्टल पर दर्ज कर दी जाती थी।

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