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Wednesday, June 18, 2025
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तीर्थ यात्रियों के लिए नया नक्शा जारी, हरिद्वार-बदरी केदार मार्ग स्पष्ट रूप से शामिल

हरिद्वार-बदरी केदार मार्ग नए नक्शे में और सुगम, सभी तीर्थ मार्गों को मिला विशेष स्थान

देहरादून। उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना और तीर्थ यात्रा मार्गों को और अधिक सटीक और अद्यतन रूप में दिखाने के उद्देश्य से भारतीय सर्वेक्षण विभाग (Survey of India) ने राज्य का तीसरा नवीनतम टोपोग्राफिकल मानचित्र जारी किया है। इस अद्यतन नक्शे में न केवल हरिद्वार से बदरीनाथ और केदारनाथ तक की यात्रा को दर्शाने वाला मार्ग पहले से अधिक स्पष्ट और सुगम रूप में दिखाया गया है, बल्कि हिमालय क्षेत्र के अन्य प्रमुख तीर्थ स्थलों के मार्गों को भी प्रमुखता दी गई है।

यह नया नक्शा तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों, प्रशासनिक अधिकारियों और योजनाकारों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा। विशेष रूप से चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह मानचित्र मार्गदर्शन का सशक्त माध्यम बनेगा। इसमें यात्रा मार्गों की भौगोलिक स्थिति, ऊंचाई, सड़क नेटवर्क और आस-पास के महत्वपूर्ण स्थानों को विस्तृत रूप से दर्शाया गया है।

15 नई तहसीलों को मिला स्थान, संख्या हुई 110

नक्शे के इस नवीनतम संस्करण में राज्य की नई प्रशासनिक इकाइयों को भी शामिल किया गया है। अब उत्तराखंड की कुल तहसीलों की संख्या 95 से बढ़कर 110 हो गई है। इन सभी तहसीलों के मुख्यालयों को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है, जिससे प्रशासनिक पहचान और योजना निर्माण में सहायता मिलेगी। यह कदम राज्य की बदलती प्रशासनिक आवश्यकताओं और जनसंख्या वितरण को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे नेटवर्क का भी अद्यतन

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और भारतीय रेलवे के अद्यतन नेटवर्क को भी इस नए नक्शे में समाहित किया गया है। इससे अब राज्य के भीतर और बाहर के आवागमन के सभी प्रमुख साधनों की जानकारी एक ही नक्शे में उपलब्ध हो गई है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास कार्यों, आपदा प्रबंधन और पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगा।

ऐतिहासिक व धार्मिक स्थानों के नाम में संशोधन

नक्शे में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाले कुछ स्थानों के नामों में हुए परिवर्तनों को भी दर्शाया गया है। उदाहरण स्वरूप, जोशीमठ को अब ‘ज्योतिर्मठ’ और कौश्या कुटोली को ‘श्री कैंची धाम’ के रूप में अंकित किया गया है। इससे न केवल धार्मिक पहचान को सम्मान मिला है, बल्कि स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रमुखता मिली है।

यह उत्तराखंड राज्य का तीसरा टोपोग्राफिक अपडेटेड मैप है। इससे पहले दो मानचित्र वर्ष 2003 और 2008 में जारी किए गए थे। समय के साथ बदली भौगोलिक और प्रशासनिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह नया संस्करण जारी किया गया है। यह नक्शा डिजिटल और भौतिक दोनों प्रारूपों में उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे इसका उपयोग सामान्य नागरिकों के साथ-साथ सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान भी कर सकें।

इस नए मानचित्र की मदद से न केवल तीर्थ यात्रा मार्गों की जानकारी और सुगमता बढ़ेगी, बल्कि राज्य की प्रशासनिक दक्षता और योजना निर्माण में भी मजबूती आएगी। आधुनिक तकनीक और अद्यतन जानकारी के साथ जारी यह नक्शा उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को और अधिक प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है।

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