उत्तराखंड में खतरनाक स्थलों को घोषित किया जाएगा ‘नो सेल्फी जोन’, लोगों की जान बचाने के लिए प्रशासन सख्त
सुरक्षित सेल्फी के लिए अलग से बनाए जाएंगे ‘सेल्फी जोन’, स्थानीय लोगों को दी जाएगी संचालन की जिम्मेदारी
देहरादून। उत्तराखंड जैसे पर्यटन प्रधान राज्य में जहां हर साल लाखों सैलानी देश-विदेश से प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं, वहीं सोशल मीडिया पर ‘परफेक्ट सेल्फी’ की होड़ अब एक गंभीर खतरे में तब्दील होती जा रही है। बीते वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें पर्यटकों ने जोखिम भरे स्थानों पर जाकर सेल्फी लेने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी। इसे देखते हुए अब राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है।
प्रदेश सरकार अब उत्तराखंड के खतरनाक और संवेदनशील स्थलों को ‘नो सेल्फी जोन’ घोषित करने जा रही है। इन स्थानों पर सेल्फी लेना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। वहीं, दूसरी ओर सुरक्षित और सौंदर्यपूर्ण स्थानों को ‘सेल्फी जोन’ के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां लोग आराम से और बिना खतरे के अपनी तस्वीरें ले सकेंगे।
उत्तराखंड में खतरे की घंटी: जान जोखिम में डाल रहे युवा
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने इस विषय में राज्य के सभी जिलाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश भेजे हैं। पत्र में उन्होंने चेतावनी दी है कि सेल्फी लेने की प्रवृत्ति खासकर युवाओं में एक प्रतिस्पर्धा का रूप ले चुकी है। लोग लाइक्स, शेयर और फॉलोअर्स की लालसा में जानलेवा जोखिम उठा रहे हैं।
उनका कहना है कि अक्सर लोग ऊंची पहाड़ियों, नदी-नालों, झरनों, रेलवे ट्रैकों, पुलों, चलती गाड़ियों की छतों और यहां तक कि जंगली जानवरों के साथ भी सेल्फी लेने की कोशिश करते हैं, जिससे गंभीर दुर्घटनाएं हो रही हैं।
प्रस्ताव तैयार करेंगे स्थानीय निकाय
राज्य सरकार अब ऐसे खतरनाक स्थलों की पहचान कर नो सेल्फी जोन के रूप में चिन्हित करेगी। इन स्थानों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे और आवश्यकतानुसार बैरिकेडिंग भी की जाएगी। दूसरी ओर, सुरक्षित और सुंदर प्राकृतिक स्थलों को “सेल्फी फ्रेंडली ज़ोन” के रूप में चिन्हित कर वहां बुनियादी सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी, जैसे: सुरक्षित प्लेटफॉर्म, रेलिंग, कार पार्किंग, अल्पाहार केंद्र, सार्वजनिक शौचालय, सहायता केंद्र।
इन स्थानों के विकास और संचालन की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों जैसे जिला पंचायत, ग्राम पंचायत, नगर निकायों के साथ-साथ महिला स्वयं सहायता समूहों को दी जा सकती है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि जिम्मेदारी और सुरक्षा का भाव भी विकसित होगा।
राज्य सरकार द्वारा केवल प्रतिबंध ही नहीं, बल्कि व्यापक स्तर पर जनजागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इसमें युवाओं को यह संदेश दिया जाएगा कि एक तस्वीर के लिए अपनी जान जोखिम में डालना किसी भी तरह से समझदारी नहीं है। स्कूलों, कॉलेजों, टूर ऑपरेटरों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को इस अभियान से जोड़ा जाएगा।
उत्तराखंड प्रशासन सख्त, नियम तोड़ने पर जुर्माना संभव
अगर कोई व्यक्ति ‘नो सेल्फी जोन’ में जाकर निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके लिए आपदा प्रबंधन एवं स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से निगरानी की व्यवस्था की जाएगी।
उत्तराखंड सरकार की यह पहल केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह एक जरूरी सामाजिक चेतावनी है। जहां एक ओर पर्यटन को बढ़ावा देना जरूरी है, वहीं पर्यटकों की सुरक्षा भी सर्वोपरि है। ऐसे में, ‘सेल्फी की दीवानगी’ को संतुलित और सुरक्षित दिशा देने की यह नीति सराहनीय कदम है।