सीएम धामी की नई टीम पर मंथन जारी, दावेदार अलर्ट मोड में
पंचायत चुनाव की तैयारी में जुटे भाजपा दावेदार असमंजस में
पूर्व सैनिक, महिलाएं और युवाओं की हुंकार से बदला माहौल
दिल्ली से पहाड़ तक विरोध की लपटें
देहरादून। उत्तराखंड में राजनीतिक माहौल लगातार गरमाता जा रहा है। दिल्ली से लेकर राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विपक्षी दल, पूर्व सैनिक, सामाजिक संगठन और आम जनता सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रही है। जहां यह विरोध पहले शहरों तक सीमित था, वहीं अब इसकी लपटें गांवों तक पहुंच चुकी हैं।
सीएम धामी की सरकार के मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के विवादित बयान और उसके बाद कुछ भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों ने जनता के गुस्से को और बढ़ा दिया है। इससे पहले भी सरकार के खिलाफ कई मुद्दों पर जनता में असंतोष देखने को मिला था, लेकिन अब हालात पूरी तरह से भाजपा सरकार के नियंत्रण से बाहर जाते दिख रहे हैं।
महिलाएं, युवा और पूर्व सैनिक—जो कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन की रीढ़ माने जाते हैं—अब एकजुट होकर भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। जनता का यह गुस्सा भाजपा नेतृत्व को बैकफुट पर लाने के लिए काफी है, जिसके चलते पार्टी के भीतर नई रणनीति पर मंथन तेज हो गया है।
सीएम धामी का कड़ा रुख
अब तक संयमित बयानबाजी कर संतुलन बनाए रखने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपना लिया है। उन्होंने पार्टी नेताओं और अन्य जनप्रतिनिधियों को साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी तरह के भेदभाव फैलाने वाले बयान या विवादित टिप्पणी से बचा जाए। साथ ही, उन्होंने इस तरह के बयानों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
बहरहाल, प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा सदन में दिए गए बयान के बाद मामला और बिगड़ गया जब विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला को ‘नसीहत’ दी। इससे विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका मिल गया, जिससे राजनीतिक माहौल और गर्म हो गया।
उत्तराखंडी प्रवासियों में भी आक्रोश
इस पूरे घटनाक्रम का असर सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं है। दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडी भी भाजपा सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक विरोध दर्ज किया जा रहा है। खासकर उत्तराखंडियों पर की गई अभद्र टिप्पणी ने पूर्व सैनिकों को भी आक्रोशित कर दिया है। वे लामबंद होकर भाजपा नेताओं के खिलाफ खुलकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
देखें, सीएम धामी का रुख
पंचायत चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ीं
प्रस्तावित पंचायत चुनाव में उपजा आक्रोश भाजपा के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। भाजपा उम्मीदवारों को अपने नेताओं के विवादित बयानों का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक हालात ने पहाड़ी जनता को एकजुट कर दिया है, जिससे भाजपा के संभावित पंचायत चुनाव प्रत्याशियों की चिंताएं बढ़ गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी नेताओं के खिलाफ असंतोष गहराता जा रहा है, जिससे भाजपा को अपनी चुनावी रणनीति पर दोबारा विचार करना पड़ रहा है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों की चुनौती
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटे संभावित भाजपा प्रत्याशियों को अब स्थानीय स्तर पर विपक्ष और विभिन्न संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जगह-जगह भाजपा नेताओं के खिलाफ नारेबाजी हो रही है, जबकि कई स्थानों पर उनके पुतले भी जलाए जा चुके हैं। इससे भाजपा के रणनीतिकारों की परेशानी बढ़ गई है।
इस विरोध का असर इतना व्यापक हो चुका है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को नए सिरे से रणनीति बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। भाजपा के कई उम्मीदवारों को गांव-गांव जाकर जनता से संवाद स्थापित करना पड़ रहा है, ताकि माहौल को थोड़ा शांत किया जा सके।
मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की बर्खास्तगी की मांग तेज
इस पूरे विवाद के केंद्र में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल हैं। जनता उनकी मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की मांग कर रही है। विरोध प्रदर्शन के दौरान कई स्थानों पर उनके खिलाफ नारेबाजी हुई, जिससे भाजपा के लिए स्थिति और भी जटिल हो गई है।
अब सवाल यह है कि भाजपा इस संकट से कैसे निपटेगी? जनता के गुस्से को शांत करने के लिए पार्टी को जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे, अन्यथा इसका असर आगामी पंचायत चुनावों में भाजपा की संभावनाओं पर पड़ सकता है।
धामी कैबिनेट में बड़ा फेरबदल संभव
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व इस संकट से उबरने के लिए मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल पर विचार कर रहा है। नए मंत्रियों के नामों की तलाश जारी है, और जल्द ही कैबिनेट पुनर्गठन किया जा सकता है।
कुछ विधायक इस राजनीतिक संकट को अपने लिए अवसर के रूप में भी देख रहे हैं। पार्टी के भीतर नई टीम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
क्या भाजपा इस संकट से उबर पाएगी?
सीएम धामी के सख्त रुख और संभावित कैबिनेट बदलाव से यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा जनाक्रोश को कैसे शांत करती है। पंचायत चुनाव से पहले पार्टी को जिस तरह के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, उससे उबरने के लिए भाजपा को ठोस रणनीति बनानी होगी।
नई टीम के गठन के बाद भाजपा को उम्मीद है कि पंचायत चुनाव से पहले पार्टी को नई ऊर्जा मिलेगी और जनता का विश्वास फिर से जीतने का मौका मिलेगा। लेकिन जनता का गुस्सा जिस स्तर पर पहुंच चुका है, उसे देखते हुए भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी।