विधानसभा का मानसून सत्र जल्द, विपक्षी हमलों के बीच कौन बनेगा सरकार की ढाल?
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र अगस्त महीने में आयोजित किया जाएगा। मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सत्र की तिथि और स्थान तय करने का अधिकार सौंपा गया है। लेकिन सत्र शुरू होने से पहले ही यह राजनीतिक चर्चा जोरों पर है कि क्या इस बार सदन के भीतर विपक्षी हमलों का सामना स्वयं मुख्यमंत्री करेंगे या किसी मंत्री को यह जिम्मेदारी दी जाएगी?
पूर्व विधायी एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद यह विभाग फिलहाल मुख्यमंत्री के पास है। परंपरागत रूप से मुख्यमंत्री विधानसभा में इस भूमिका को नहीं निभाते हैं, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि धामी इस परंपरा को बरकरार रखते हैं या इस बार नया प्रयोग करते हैं।
कौन होगा सदन में सरकार का ‘फ्लोर मैनेजर’?
विधानसभा के भीतर सरकार का पक्ष रखना केवल तर्क और तथ्यों का खेल नहीं होता, बल्कि अनुभव, संयम और तीव्र राजनीतिक समझ की भी आवश्यकता होती है। खासकर तब, जब विपक्ष आक्रामक तेवर में हो। फ्लोर मैनेजर की जिम्मेदारी निर्विवाद रूप से तलवार की धार पर चलने जैसी होती है।
पिछले सत्र के अनुभव बताते हैं कि एक छोटी सी चूक से सरकार को भारी आलोचना झेलनी पड़ सकती है। ऐसे में मुख्यमंत्री को एक ऐसे चेहरे की तलाश है जो विपक्ष के तीखे सवालों का तार्किक जवाब दे सके और सरकार की नीति का मजबूती से बचाव कर सके।
फिलहाल जिन नामों पर सबसे ज्यादा चर्चा है, उनमें सतपाल महाराज, डॉ. धन सिंह रावत और सुबोध उनियाल प्रमुख हैं। इन मंत्रियों को अनुभवी और संतुलित वक्ता माना जाता है। हालांकि अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री धामी को ही लेना है कि इस बार सदन में उनकी ‘ढाल’ कौन बनेगा।