सरस आजीविका मेले में 1.20 करोड़ की आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण, मुख्यमंत्री धामी ने किया महिला सशक्तिकरण की पहलों का शुभारंभ
ऋषिकेश। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को ऋषिकेश में आयोजित सरस आजीविका मेले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सी.एल.एफ. (क्लस्टर लेवल फेडरेशन) के लिए 1.20 करोड़ रुपये की 12 आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने 10 अन्य सी.एल.एफ. के लिए 1 करोड़ रुपये की प्रस्तावित गतिविधियों का शिलान्यास भी किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ‘Rising Tehri – Physics Wala Online Coaching Class’ का भी शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि इस पहल से ग्रामीण युवाओं को अपने गांव में रहकर ही जेईई और नीट जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह पहल ग्रामीण शिक्षा और डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्यमंत्री ने ग्राम्य विकास विभाग और जिला प्रशासन द्वारा ‘ग्रामोत्थान परियोजना’ के तहत की गई पहलों की सराहना करते हुए कहा कि यह मेला ग्रामीण संस्कृति, कौशल और उद्यमिता को प्रदर्शित करने का अनूठा मंच है। उन्होंने कहा कि मेले के माध्यम से स्थानीय उत्पादों और ग्रामीण कारीगरों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने का अवसर मिल रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल रही है।
मुख्यमंत्री धामी ने उपस्थित लोगों से ‘स्वदेशी अपनाओ, देश बढ़ाओ’ का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मेले में लगे स्टॉल से स्थानीय और स्वदेशी उत्पादों की खरीद कर लोग न केवल महिला उद्यमियों का उत्साह बढ़ाएं, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ के संकल्प को भी सशक्त बनाएं।
महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की नई कहानी
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि ‘लखपति दीदी योजना’ के तहत अब तक 1.65 लाख महिलाओं ने आर्थिक आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल कर लखपति बनने का गौरव प्राप्त किया है। इसी क्रम में ‘मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना’ के तहत राज्यभर में महिलाओं ने 2000 से अधिक स्टॉल लगाकर 5.5 करोड़ रुपये का विपणन किया, जिससे उनके उत्पादों को व्यापक बाजार मिला।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की पहल पर स्थापित ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड के माध्यम से उत्तराखंड के स्वदेशी उत्पादों को राष्ट्रीय और वैश्विक बाजार में पहचान मिली है। इस ब्रांड के जरिए ग्रामीण महिलाओं के उत्पाद अब देश की सीमाओं से बाहर भी पहुंच रहे हैं।
वर्तमान में राज्य में 68 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों (SHGs) में 5 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। इनके माध्यम से न केवल महिलाओं की आजीविका सुदृढ़ हुई है, बल्कि वे अपने गांवों में रोज़गार सृजन का केंद्र बन रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला किसान सशक्तिकरण योजना और फार्म लाइवलीहुड कार्यक्रम के जरिए अब तक 3 लाख से अधिक महिला किसानों की क्षमता विकसित की गई है। साथ ही, 2.5 लाख किचन गार्डन स्थापित किए गए हैं और 500 से अधिक फार्म मशीनरी बैंक उपलब्ध कराए गए हैं। इन पहलों ने न केवल ग्रामीण महिलाओं की आय में वृद्धि की है, बल्कि उन्हें कृषि, उत्पादन और विपणन के क्षेत्र में सशक्त बनाया है।
उन्होंने कहा, “आज उत्तराखंड की मातृशक्ति आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही है। गांवों में महिलाएं अब अपने दम पर परिवार और समाज की आर्थिक रीढ़ बन चुकी हैं। सरकार का लक्ष्य हर महिला को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है।”
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारी, स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं, ग्रामीण उद्यमी और स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।