प्रदेश में 13 संस्कृत ग्रामों की होगी स्थापना
32 विभागों के 58 अधिकारी-कर्मचारी संस्कृत संभाषण शिविर में हुए प्रशिक्षित
देहरादून। उत्तराखंड में संस्कृत को जीवन व्यवहार में अपनाने और जनसामान्य तक पहुंचाने के उद्देश्य से शीघ्र ही 13 संस्कृत ग्रामों की स्थापना की जाएगी। यह घोषणा संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित संस्कृत संभाषण शिविर के दौरान की गई, जिसमें प्रदेश सचिवालय के 32 विभागों के 58 अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
शिविर की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा संस्कृत के उत्थान हेतु अनुमोदित योजनाएं प्रदेशभर में सक्रिय रूप से संचालित हैं। उन्होंने कहा, “संस्कृत उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा है और इसके समग्र विकास के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।” उन्होंने यह भी बताया कि संस्कृत अकादमी, संस्कृत शिक्षा निदेशालय, संस्कृत शिक्षा परिषद एवं संस्कृत विश्वविद्यालय अपने-अपने स्तर पर संस्कृत के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं।
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि “देववाणी संस्कृत हमारी शास्त्र-संपदा की जननी है और दैनिक जीवन में इसका समावेश अत्यंत आवश्यक है।”
संस्कृत शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा को ग्राम्य स्तर से लेकर प्रादेशिक स्तर तक बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि “संस्कृत ग्रंथों में आधुनिक विज्ञान से जुड़े अनेक तथ्यों का उल्लेख पहले से ही मिलता है।”
प्रशिक्षण में सचिवालय के अनेक विभाग शामिल
संस्कृत शिविर में संस्कृत शिक्षा, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, कार्यक्रम क्रियान्वयन, कार्मिक, सचिवालय प्रशासन, समाज कल्याण, वन, पुस्तकालय, मुख्य सचिव कार्यालय, ग्राम्य विकास, कृषि, गृह, मत्स्य, उच्च शिक्षा, वित्त, औद्योगिक विकास आदि विभागों के अधिकारी-कर्मचारी सम्मिलित हुए। शिविर के प्रशिक्षक डॉ. महेश चंद्र मासिवाल और धीरज मैठाणी को प्रशस्ति पत्र एवं अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
वैदिक मंगलाचरण से हुई शुरुआत, संस्कृत में प्रस्तुत हुए प्रेरक वक्तव्य
समारोह की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण से हुई। कार्यक्रम में संस्कृत शिक्षा की संयुक्त सचिव गीता शरद, संयोजिका तरुण धंजीवाल, तथा अकादमी के वित्त अधिकारी सत्येंद्र डबराल ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन शोध अधिकारी डॉ. हरीश गुरुरानी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रकाशन अधिकारी किशोरीलाल रतूड़ी ने प्रस्तुत किया।
यह शिविर उत्तराखंड संस्कृत अकादमी, हरिद्वार के तत्वावधान में संचालित किया गया।