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Wednesday, July 9, 2025
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76 फॉरेस्ट दरोगाओं को मिला प्रमोशन, बने ACF – शासन ने जारी किए आदेश

उत्तराखंड: 76 वन दरोगाओं पदोन्नत होकर बने उप वन क्षेत्राधिकारी, अपर प्रमुख वन संरक्षक ने जारी किए आदेश

देहरादून। उत्तराखंड वन विभाग में लंबे समय से प्रतीक्षित पदोन्नति प्रक्रिया को लेकर बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। विभाग में कार्यरत 76 वन दरोगाओं को पदोन्नति देकर उप वन क्षेत्राधिकारी (एसीएफ रैंक) बनाया गया है। इस संबंध में आदेश अपर प्रमुख वन संरक्षक मीनाक्षी जोशी द्वारा जारी किए गए हैं।

वन विभाग की पदोन्नति समिति की सिफारिशों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। प्रमोशन प्राप्त सभी कार्मिकों को फिलहाल उनके वर्तमान तैनाती वाले कार्यालय में ही उप वन क्षेत्राधिकारी के पद पर योगदान देना होगा। तैनाती से संबंधित आदेश विभाग की ओर से अलग से जारी किए जाएंगे।

सेवा पुस्तिका में दर्ज होगी पदोन्नति की जानकारी

जारी आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि सभी पदोन्नत कार्मिकों की पदोन्नति की जानकारी उनके व्यक्तिगत सेवा अभिलेखों (सर्विस बुक) में विधिवत रूप से दर्ज की जाएगी। यह प्रविष्टि न केवल भविष्य में सेवा संबंधी किसी भी प्रशासनिक प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण होगी, बल्कि यह उनके करियर रिकॉर्ड में एक स्थायी उपलब्धि के रूप में संकलित की जाएगी।

वन विभाग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि पदोन्नति प्राप्त कार्मिकों को अपने वर्तमान तैनाती स्थल पर ही उप वन क्षेत्राधिकारी के रूप में योगदान देना होगा। उनकी नई तैनाती को लेकर पृथक आदेश भविष्य में विभाग द्वारा जारी किए जाएंगे। यदि कोई कार्मिक पदोन्नति को अस्वीकार करता है, योगदान नहीं देता या जानबूझकर पदभार ग्रहण करने से इंकार करता है, तो उसके विरुद्ध “उत्तराखंड राज्याधीन सेवाओं में पदोन्नति का परित्याग नियमावली 2024” के तहत कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इस नियमावली के अंतर्गत, ऐसे कार्मिकों की पदोन्नति को निरस्त कर उनकी वरिष्ठता और भविष्य की पदोन्नति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

दरोगाओं को छूट नीति के तहत मिली पदोन्नति

वन विभाग द्वारा इस बार की पदोन्नति प्रक्रिया में ‘छूट नीति’ (Relaxation Policy) को भी लागू किया गया, जो उन कार्मिकों के लिए विशेष रूप से प्रभावी रही, जो किन्हीं कारणवश सामान्य मानकों को नहीं पूर्ण कर पा रहे थे, लेकिन सेवा में उनकी निरंतरता, कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन और विभागीय योगदान को देखते हुए उन्हें पदोन्नति का पात्र माना गया।

इस नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विभाग के ऐसे समर्पित कर्मियों को उचित अवसर मिले, जिनकी प्रशासनिक या तकनीकी कारणों से पदोन्नति लंबित रह गई थी। छूट के आधार पर की गई पदोन्नति विभाग की मानव संसाधन नीतियों को अधिक संवेदनशील और व्यावहारिक बनाती है, जिससे कर्मचारियों में विश्वास और उत्साह का संचार होता है।

इसके अतिरिक्त, यह छूट सेवा अनुभव, विभागीय परीक्षा, आचरण और वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्टों जैसे अन्य मापदंडों के समुचित विश्लेषण के पश्चात दी गई है, जिससे चयन की प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायसंगत बनी रहे। विभाग का यह प्रयास स्पष्ट करता है कि सेवा की गुणवत्ता और ईमानदार योगदान को वरीयता दी जा रही है, जिससे संपूर्ण संगठनात्मक ढांचा अधिक सक्षम और उत्तरदायी बन सके।

इन दरोगाओं को मिली पदोन्नति

प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिन वन दरोगाओं को उप वन क्षेत्राधिकारी के रूप में पदोन्नत किया गया है, उनमें प्रमुख नाम निम्नलिखित हैं:

प्रवीण सिंह, शिव प्रसाद भट्ट, भजन सिंह रावत, दयालाल, जगत सिंह, दीप चंद्र पांडे, राधिका जोशी, किशन चंद्र भगत, चंदन राम, चंद्रशेखर उप्रेती, भगवती उपाध्याय, लीला मठपाल, तारा दत्त सेमवाल, गणेश दत्त सती, सोबन राम, कमल किशोर, मंजू बहुगुणा, होरी लाल, देवकी नंदन आदि।

इन सभी अधिकारियों की पदोन्नति से विभाग में न केवल कार्यप्रणाली को मजबूती मिलेगी, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्थाओं में भी गति आएगी। वन विभाग में यह पदोन्नति प्रक्रिया काफी समय से लंबित थी, जिसे अब सिरे चढ़ाया गया है।

प्रशासनिक सशक्तिकरण की दिशा में कदम

वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की पदोन्नतियां कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाती हैं और उन्हें और अधिक उत्साह से अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए प्रेरित करती हैं। साथ ही विभाग की प्रशासनिक दक्षता भी इससे सुदृढ़ होती है

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