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Saturday, October 18, 2025
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चारधाम यात्रा से पहले बीकेटीसी में घमासान, कर्मचारी संगठन आमने-सामने

बीकेटीसी में मान्यता प्राप्त व गैर मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन आमने-सामने

सीईओ के विरुद्ध पत्र से मचा बवाल, चारधाम यात्रा की तैयारी पर मंडराए संकट के बादल

देहरादून/ऋषिकेश/गोपेश्वर/रुद्रप्रयाग। चारधाम यात्रा की तैयारियों के बीच श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) से जुड़े कर्मचारी संगठनों के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिल रहा है। कपाट खुलने से पहले ही मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है, जिससे यात्रा की व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका गहराने लगी है

मामले की शुरुआत बीकेटीसी के कुछ अस्थायी कर्मचारियों की ओर से मुख्य सचिव को भेजे गए एक पत्र से हुई, जिसमें समिति के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) विजय प्रसाद थपलियाल की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

इस पर पलटवार करते हुए बीकेटीसी के मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघ ने भी मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। उन्होंने गैर मान्यता प्राप्त संगठन को अवैध करार देते हुए कहा कि इस तरह के संगठनों की ओर से की जा रही बयानबाजी दुर्भावनापूर्ण और साजिशपूर्ण है, जिसका उद्देश्य मंदिर समिति और उसके अधिकारियों की छवि धूमिल करना है।

मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विजेंद्र बिष्ट ने मुख्य सचिव को संबोधित पत्र में कहा कि अस्थायी कर्मचारियों द्वारा बनाया गया तथाकथित संयुक्त कर्मचारी संघ न तो समिति द्वारा मान्यता प्राप्त है, न ही वैधानिक रूप से इसका कोई आधार है। इसके बावजूद यह संगठन सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहा है।

संघ ने साफ किया कि 24 दिसंबर 2021 को जारी संस्कृति, धर्मस्व एवं तीर्थाटन विभाग के पत्र संख्या 895/VI/2021-83(1)2021 के अनुसार केवल श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति कर्मचारी संघ को ही मान्यता प्राप्त है। इसी संघ को मंदिर समिति में कार्यरत कर्मचारियों के हितों का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है।

संघ ने गैर मान्यता प्राप्त संगठन द्वारा सीईओ पर लगाए गए आरोपों को निराधार, भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की। साथ ही, ऐसे संगठनों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग भी की, ताकि मंदिर समिति की गरिमा और यात्रा की तैयारी में बाधा उत्पन्न न हो।

सीईओ की कार्यप्रणाली की सराहना

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में मंदिर समिति का गठन नहीं हुआ है और न ही कोई प्रशासक नियुक्त किया गया है। ऐसे में सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल ही मंदिरों की व्यवस्थाओं के संचालन के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने मंदिरों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनमें कर्मचारियों को एसीपी लाभ, पदोन्नति, वेतन विसंगति सुधार और नियमितीकरण की प्रक्रिया शामिल हैं।

संगठनों की खींचतान से बिगड़ सकती है यात्रा व्यवस्था

गौरतलब है कि बीकेटीसी अध्यक्ष का पद बीते तीन महीनों से रिक्त है और सीईओ ही समस्त तैयारियों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। ऐसे समय में कर्मचारी संगठनों के बीच इस प्रकार की खींचतान, धरना-प्रदर्शन और सार्वजनिक बयानबाजी यात्रा व्यवस्थाओं को बाधित कर सकती है।

मुख्य सचिव को भेजे गए विरोधी पत्र और प्रतिक्रियाओं के बीच यह चिंता बढ़ रही है कि चारधाम यात्रा जैसे अत्यंत संवेदनशील धार्मिक आयोजन की तैयारियां इस विवाद के चलते प्रभावित हो सकती हैं।

इस बीच रुद्रप्रयाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघ ने यह स्पष्ट किया है कि यदि भविष्य में गैर मान्यता प्राप्त संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त संघ के नाम या लेटरहेड का अवैध रूप से उपयोग किया गया, तो एफआईआर दर्ज कर विधिक कार्यवाही की जाएगी।

अध्यक्ष विजेंद्र बिष्ट ने कहा कि मंदिर समिति के कार्यों में व्यवधान डालने के लिए कुछ कर्मचारी संगठनों द्वारा साजिशन गतिविधियां की जा रही हैं, जिनका कानूनी व संगठनात्मक स्तर पर विरोध किया जाएगा।

चारधाम यात्रा की शुरुआत से पहले ही श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) से जुड़े कर्मचारी संगठनों के बीच उपजा यह विवाद एक गंभीर संकट का संकेत दे रहा है। जिस संस्था पर यात्रा संचालन की पूरी जिम्मेदारी है, वहीं उसके भीतर संगठनों का आपसी टकराव व्यवस्था को बाधित करने की आशंका पैदा कर रहा है। इस टकराव का सीधा असर यात्रा की तैयारियों, प्रशासनिक समन्वय और श्रद्धालुओं की सुविधा पर पड़ सकता है।

चारधाम यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था, भावनाओं और विश्वास का प्रतीक है। ऐसे में बीकेटीसी जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में फैली यह अराजकता न केवल यात्रा प्रबंधन को चुनौती दे सकती है, बल्कि राज्य की धार्मिक छवि को भी प्रभावित कर सकती है।

इस स्थिति में शासन और प्रशासन को आवश्यक है कि वह समय रहते हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित करे और किसी निष्पक्ष जांच व समाधान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाए। यह सुनिश्चित किया जाना अत्यंत आवश्यक है कि बीकेटीसी अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से निभा सके और चारधाम यात्रा श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित, व्यवस्थित और श्रद्धामय वातावरण में संपन्न हो

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