20.5 C
New York
Friday, September 26, 2025
spot_img

जीएसटी चोरी पर लगेगा लगाम, प्रदेश में स्थापित होगी पहली डिजिटल फॉरेंसिक लैब

जीएसटी चोरी की रोकथाम के लिए प्रदेश में बनेगी पहली डिजिटल फॉरेंसिक लैब, टैक्स जांच प्रक्रिया होगी तेज़ और सटीक

12.9 करोड़ की लागत से स्थापित होगी अत्याधुनिक लैब, डिजिटल साक्ष्य विश्लेषण से त्वरित कार्रवाई और राजस्व में वृद्धि की उम्मीद

देहरादून। प्रदेश में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) चोरी जैसे आर्थिक अपराधों पर शिकंजा कसने के लिए पहली डिजिटल फॉरेंसिक लैब स्थापित की जाएगी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को राज्य मंत्रिमंडल की स्वीकृति मिल चुकी है। लगभग 12.9 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह अत्याधुनिक लैब न केवल जीएसटी चोरी की जांच प्रक्रिया को तेज और सटीक बनाएगी, बल्कि प्रदेश सरकार के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि की भी संभावना जगाएगी। राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गुजरात इस लैब के संचालन की जिम्मेदारी संभालेगा।

राज्य कर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल जीएसटी चोरी की जांच के दौरान फर्मों से जब्त किए गए लैपटॉप, मोबाइल, सर्वर, पेन ड्राइव और अन्य डिजिटल उपकरणों को दिल्ली या हैदराबाद स्थित केंद्रीय प्रयोगशालाओं में भेजना पड़ता है। इस प्रक्रिया में न केवल काफी समय लगता है, बल्कि जांच में देरी की वजह से कई बार आरोपी साक्ष्य मिटाने या छुपाने में सफल हो जाते हैं, जिससे जांच और राजस्व वसूली पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “प्रदेश के पास फिलहाल डिजिटल फॉरेंसिक साक्ष्यों की जांच की कोई स्थानीय सुविधा नहीं थी। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा गया था, जिसे अब कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। लैब के शुरू होने के बाद टैक्स चोरी के मामलों की जांच और कार्रवाई की रफ्तार कई गुना बढ़ जाएगी और साक्ष्यों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।”

डिजिटल फॉरेंसिक लैब में अत्याधुनिक उपकरण और सॉफ्टवेयर लगाए जाएंगे, जिनकी मदद से डेटा रिकवरी, डेटा एनालिसिस, डिजिटल डिवाइसेज की क्लोनिंग, एन्क्रिप्टेड फाइल्स की डिक्रिप्शन, नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस, ईमेल और चैट विश्लेषण, मोबाइल फॉरेंसिक और डिजिटल साक्ष्यों के संरक्षित संग्रहण जैसे कार्य किए जाएंगे। इससे जब्त किए गए डिजिटल उपकरणों से तुरंत महत्वपूर्ण सूचनाएं निकाली जा सकेंगी और दोषियों पर समय रहते शिकंजा कसा जा सकेगा।

विभाग का कहना है कि लैब की स्थापना से सरकार को जीएसटी चोरी जैसे मामलों में सैकड़ों करोड़ रुपये के संभावित राजस्व की सुरक्षा की उम्मीद है। इसके अलावा, इससे व्यापारिक प्रतिष्ठानों और करदाताओं में यह संदेश जाएगा कि डिजिटल माध्यम से टैक्स चोरी अब आसान नहीं रही

राज्य कर विभाग योजना बना रहा है कि लैब के साथ-साथ अपने अधिकारियों और तकनीकी कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिलवाया जाए, ताकि वे डिजिटल साक्ष्यों को सही ढंग से जब्त और विश्लेषण कर सकें। यह लैब भविष्य में ई-वे बिल की जांच, फर्जी इनवॉइसिंग, इनपुट टैक्स क्रेडिट की धोखाधड़ी, शेल कंपनियों के नेटवर्क का पर्दाफाश और बोगस बिलिंग जैसे मामलों में भी अहम भूमिका निभाएगी।

अधिकारियों का मानना है कि प्रदेश की अपनी डिजिटल फॉरेंसिक लैब होने से न केवल जांच की गति बढ़ेगी, बल्कि डिजिटल साक्ष्यों की गोपनीयता और प्रमाणिकता भी सुनिश्चित की जा सकेगी, जो न्यायिक कार्रवाई में निर्णायक होती है। सरकार को विश्वास है कि इस कदम से कर प्रणाली में पारदर्शिता आएगी और प्रदेश के राजस्व में वृद्धि होगी, जिससे विकास कार्यों को और बल मिलेगा।

गा, जिससे निवेशकों और उद्योग जगत का भरोसा भी मजबूत होगा। यह पहल प्रदेश को डिजिटल युग की चुनौतियों से नवीनतम तकनीक से लैस यह लैब न सिर्फ टैक्स मामलों की जांच में मददगार होगी, बल्कि प्रदेश को साइबर अपराध, कॉरपोरेट धोखाधड़ी और डिजिटल फ्रॉड के मामलों में भी तकनीकी सहयोग प्रदान कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की सुविधा के चलते प्रदेश में व्यवसायिक माहौल अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनेनिपटने में अग्रणी बनाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है

Related Articles

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles