केदारनाथ की पगडंडियों से IIT मद्रास तक: खच्चर चालक का बेटा बना युवाओं की उम्मीद की मिसाल
बीरों देवल, रुद्रप्रयाग
यह कहानी सिर्फ एक छात्र की सफलता की नहीं, बल्कि एक पूरे पहाड़ी समाज की आकांक्षाओं, संघर्षों और उम्मीदों की है। यह उस युवा की कहानी है, जिसने पहाड़ की हर चढ़ाई को अपने सपनों की सीढ़ी बना लिया। रुद्रप्रयाग जिले के एक छोटे से गांव बीरों देवल का अतुल कुमार अब देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT मद्रास में दाख़िला ले रहा है।
अतुल ने हाल ही में IIT JAM 2025 (Joint Admission Test for M.Sc.) की परीक्षा में All India Rank 649 हासिल कर पूरे क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया है। वह M.Sc. Mathematics में प्रवेश ले रहा है। यह उपलब्धि इसलिए और खास है क्योंकि अतुल एक ऐसे परिवार से आता है जो केदारनाथ धाम में खच्चर और घोड़े चलाकर यात्रियों का सामान ढोने का काम करता है।
बचपन से संघर्ष की पाठशाला
अतुल का जन्म एक ऐसे घर में हुआ जहां हर रोज़ रोटी कमाना ही सबसे बड़ी चुनौती होती थी। उसके माता-पिता आज भी गर्मियों में केदारनाथ यात्रा के दौरान खच्चर चलाकर आजीविका कमाते हैं। घर में न टीवी था, न लैपटॉप, न ही कोचिंग के पैसे। लेकिन अतुल के भीतर पढ़ाई को लेकर एक आग थी।
वह स्कूल की छुट्टियों में अपने माता-पिता के साथ केदारनाथ जाकर यात्रियों का सामान खच्चरों से ढोता था। जो पैसे मिलते, उनसे वह पुरानी किताबें खरीदता, मोबाइल डेटा रिचार्ज करता और एक सस्ता स्टडी लैंप खरीदकर पढ़ाई करता।
पढ़ाई और पहाड़: दोहरी चुनौती
गांव में इंटरनेट नेटवर्क कमजोर था। बिजली अक्सर गुल रहती। लेकिन अतुल ने हार नहीं मानी। वह पहाड़ के किसी ऊंचे पत्थर पर चढ़कर नेटवर्क पकड़ता और मोबाइल से ऑनलाइन लेक्चर सुनता। किताबें उसने देहरादून से मंगवाईं, जो ट्रक और बस से कई दिनों में पहुंचतीं।
उसका दिन कुछ यूं बीतता — सुबह यात्रियों का सामान खच्चर पर लादना, दोपहर में थोड़ा आराम, शाम को फिर से खच्चर चलाना, और रात को पढ़ाई। कई बार वह टॉर्च की रोशनी में 4-4 घंटे बैठकर गणित के कठिन सवाल हल करता।
शैक्षणिक रिकॉर्ड बना मिसाल
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10वीं कक्षा में: 94.8% अंक
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12वीं कक्षा में: 92.8% अंक, जिले में शीर्ष रैंक
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वर्तमान में: HNBGU श्रीनगर से B.Sc. अंतिम वर्ष
अतुल ने किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। उसने सिर्फ यूट्यूब लेक्चर और ओपन ऑनलाइन रिसोर्सेस की मदद से IIT JAM की तैयारी की।
“मेरे मां-बाप मेरे हीरो हैं”
अतुल कहता है,
“मेरे माता-पिता ने कहा था – पढ़ाई कर लो बेटा, शायद तुम्हारी जिंदगी हमारी तरह खच्चर चलाते नहीं बीतेगी। मैंने उनका सपना अपना सपना बना लिया। अब मेरा सपना है कि मैं गणित में रिसर्च करूं और पहाड़ के बच्चों के लिए फ्री कोचिंग सेंटर खोलूं।”