गांव-गांव जाकर लेगी हाल-चाल, सरकार ने जिलाधिकारियों को दिए सख्त निर्देश
बुजुर्गों की सेवा में जुटेगी उत्तराखंड पुलिस
देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार और सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक सुलभ तरीके से पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे अपने-अपने जिलों में निवासरत बुजुर्ग नागरिकों की पहचान करें और उनकी देखभाल एवं निगरानी के लिए ठोस व्यवस्था सुनिश्चित करें।
सरकार का यह निर्देश खासतौर पर उन बुजुर्गों के लिए है जो प्रदेश के सुदूरवर्ती, दुर्गम और पलायन प्रभावित गांवों में अकेले रहते हैं और जिन तक स्वास्थ्य, दवा, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं समय पर नहीं पहुंच पातीं। इन परिस्थितियों को देखते हुए अब उत्तराखंड पुलिस गांव-गांव जाकर वरिष्ठ नागरिकों का हाल-चाल लेगी और जरूरत पड़ने पर उन्हें त्वरित सहायता भी प्रदान करेगी।
जिलाधिकारियों को स्पष्ट आदेश, पुलिस करेगी घर-घर संपर्क
समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव प्रकाश चंद द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण अधिनियम, 2007 और उत्तराखंड माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण नियमावली, 2011 लागू है, जिसके तहत बुजुर्गों को समुचित देखभाल, सुरक्षा और योजनाओं का लाभ सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
इस आदेश में सभी जिलों के पुलिस थानों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने क्षेत्र में निवास करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की सूची तैयार करें। इसके बाद पुलिसकर्मी नियमित अंतराल पर – विशेष रूप से हर माह – घर-घर जाकर बुजुर्गों से मुलाकात करेंगे, उनका हाल-चाल पूछेंगे और यदि कोई आवश्यकता या समस्या हो तो उसकी त्वरित रिपोर्ट कर समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।
पलायनग्रस्त गांवों में बुजुर्ग अकेले, सरकार ने जताई चिंता
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों के कई गांव पलायन की मार झेल रहे हैं। रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में युवा मैदानी इलाकों की ओर जा चुके हैं, जिसके कारण गांवों में ज्यादातर बुजुर्ग ही बचे हैं। विषम भौगोलिक परिस्थितियों और बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते उन्हें दवाओं, स्वास्थ्य सेवाओं, राशन और सामाजिक संवाद तक में कठिनाई होती है।
सरकार का मानना है कि इन बुजुर्गों के लिए पहले से चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाएं तभी सफल हो सकती हैं जब उनका लाभ वास्तव में उन तक पहुंचे। इसी उद्देश्य से अब प्रशासन और पुलिस की संयुक्त भागीदारी से निगरानी और सहायता प्रणाली को अधिक सक्रिय बनाया जा रहा है।
नियमों का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई संतान या उत्तराधिकारी अपने माता-पिता की उपेक्षा करता है, तो उसे भरण-पोषण अधिनियम के तहत दंडित किया जा सकता है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर 5000 रुपये तक जुर्माना, तीन महीने की जेल, या दोनों सजा हो सकती है। जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि ऐसे मामलों की निगरानी की जाए और जरूरत पड़ने पर कानून के तहत कठोर कार्रवाई की जाए।
योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार करने पर जोर
अपर सचिव प्रकाश चंद ने निर्देश दिया है कि सभी जिले समाज कल्याण विभाग की वृद्धजन कल्याणकारी योजनाओं – जैसे वृद्धावस्था पेंशन, स्वास्थ्य सहायता, भरण-पोषण सहायता इत्यादि – का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें। इन योजनाओं की जानकारी स्थानीय प्रशासन, ग्राम प्रधान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, और पुलिस की मदद से घर-घर तक पहुंचाई जाए, ताकि कोई भी पात्र बुजुर्ग इनसे वंचित न रहे।
नागरिक संगठनों ने की थी पहल
गौरतलब है कि संयुक्त नागरिक संगठन के कार्यकारी उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र भट्ट और महासचिव सुशील त्यागी ने हाल ही में मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन से मुलाकात कर राज्य में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए बनाए गए कानूनों को सख्ती से लागू करने का आग्रह किया था। सरकार ने इस मांग को गंभीरता से लेते हुए यह विस्तृत निर्देश जारी किए हैं।