भारी बोल्डर से चिपलघाट-नोठा-थलीसैंण मार्ग अवरुद्ध, दर्जनों गांवों का मुख्य मार्ग से संपर्क टूटा, चुनाव ड्यूटी भी प्रभावित
पौड़ी (उत्तराखंड)। जिले के पाबौ विकासखंड में चिपलघाट-नोठा-थलीसैंण मोटर मार्ग मंगलवार सुबह एक भारी भू-स्खलन की चपेट में आ गया, जिससे मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है। पहाड़ी से अचानक गिरे विशाल बोल्डर ने सड़क को पूरी तरह जाम कर दिया, जिसे हटाने में जिला प्रशासन को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
घटना सुबह करीब 8 बजे की है, जब स्थानीय ग्रामीणों ने एक तेज धमाके जैसी आवाज सुनी। मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने देखा कि सड़क पर एक बेहद बड़ा बोल्डर आ गिरा है, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है।
जेसीबी भी बेअसर, मार्ग खोलना बना चुनौती
स्थानीय प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जेसीबी मशीन भेजी, लेकिन बोल्डर की विशालता इतनी अधिक है कि मशीनें भी असहाय नजर आ रही हैं। लोक निर्माण विभाग (PWD) की टीम मौके पर डटी है, लेकिन फिलहाल मार्ग खोलने की कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की जा सकी है।
ग्रामीणों की दिनचर्या अस्त-व्यस्त
मार्ग बंद होने से क्षेत्र के 12 से अधिक गांव — जिनमें मडोली, ग्वालखेत, नोठा, सुराण, चौरा, धूरखेत आदि शामिल हैं — का संपर्क मुख्य बाजार थलीसैंण से पूरी तरह कट गया है। इन गांवों के लोग जरूरी सामान की खरीदारी, स्कूल जाने वाले छात्र और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए इसी मार्ग पर निर्भर हैं।
स्थानीय निवासी अरुण पंत ने बताया कि इस मार्ग के बंद होने से ग्रामीणों को वैकल्पिक मार्गों से 15–20 किलोमीटर अतिरिक्त सफर करना पड़ रहा है। “अगर किसी मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना हो, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है,” उन्होंने कहा।
चुनाव व्यवस्था पर भी संकट के बादल
31 जुलाई को पाबौ और थलीसैंण ब्लॉकों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना प्रस्तावित है। इस मार्ग से कई पोलिंग बूथों और मतगणना स्थलों तक मतदान कर्मियों और अधिकारियों को पहुंचना था, लेकिन अब उन्हें लंबा और जटिल रास्ता तय करना होगा। इससे मतगणना की व्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है।
पाबौ तहसील प्रशासन ने बताया कि मार्ग को खोलने के प्रयास युद्धस्तर पर जारी हैं। तहसीलदार सुरेंद्र रावत के अनुसार, “हमने वैकल्पिक मशीनों की व्यवस्था की है और कुछ बड़े उपकरण बुलाए जा रहे हैं। मौसम अनुकूल रहा तो जल्द ही बोल्डर हटाने का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।”
ग्रामीणों की मांग— जल्द हो स्थायी समाधान
इस मार्ग पर पहले भी भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को केवल आपदा के समय ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक समाधान के लिए भी काम करना चाहिए। रिटेनिंग वॉल या सुरक्षात्मक निर्माण की मांग वर्षों से की जा रही है, लेकिन अब तक कोई स्थायी कार्य योजना नहीं बनी है।
चिपलघाट-नोठा-थलीसैंण मार्ग केवल एक सड़क भर नहीं, बल्कि इस क्षेत्र की जीवनरेखा है। इसका बंद होना न केवल जनजीवन को प्रभावित करता है, बल्कि आपातकालीन सेवाओं और प्रशासनिक कार्यों को भी बाधित करता है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस चुनौती से कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से निपट पाता है।