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Friday, September 26, 2025
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चमोली में पूर्व फौजी की बड़ी जीत, पूर्व मंत्री की पत्नी चुनाव में परास्त

उत्तराखंड: चमोली में पूर्व फौजी ने किया बड़ा उलटफेर, पूर्व मंत्री की पत्नी को दी करारी शिकस्त

चमोली, उत्तराखंड। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नतीजों ने उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा और अप्रत्याशित मोड़ ला दिया है। चमोली जिले की बहुचर्चित रानों जिला पंचायत सीट से सामने आए परिणाम ने न केवल स्थानीय राजनीतिक समीकरण बदल दिए, बल्कि प्रदेश भर में चर्चा का विषय भी बना दिया है।

इस सीट पर पूर्व फौजी लक्ष्मण खत्री ने सभी राजनीतिक गणनाओं को धता बताते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी और निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को 479 मतों के अंतर से परास्त कर शानदार जीत दर्ज की। इस जीत को राजनीतिक गलियारों में “बड़ा उलटफेर” बताया जा रहा है।

बीजेपी जिलाध्यक्ष भी पिछड़े

इस चुनाव में चौंकाने वाला एक और पहलू यह रहा कि बीजेपी के चमोली जिलाध्यक्ष गजपाल बर्तवाल भी मैदान में उतरने के बावजूद अच्छी स्थिति हासिल नहीं कर सके और चौथे स्थान पर रहे। यह नतीजा बीजेपी की स्थानीय संगठनात्मक पकड़ पर भी सवाल खड़े करता है।

भंडारी परिवार के लिए लगातार दूसरा झटका

रजनी भंडारी की यह हार केवल व्यक्तिगत स्तर पर झटका नहीं है, बल्कि इसे उनके पति राजेंद्र भंडारी के राजनीतिक भविष्य से भी सीधे तौर पर जोड़ा जा रहा है। राजेंद्र भंडारी ने हाल ही में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। इसके बाद हुए बद्रीनाथ विधानसभा उपचुनाव में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी लखपत बुटोला से हार का सामना करना पड़ा था। अब पंचायत चुनाव में उनकी पत्नी की हार ने भंडारी परिवार की राजनीतिक साख को एक और गहरा आघात पहुंचाया है।

जिले की राजनीति पर दूरगामी असर

स्थानीय जानकार मानते हैं कि यह नतीजा केवल पंचायत स्तर तक सीमित नहीं रहेगा। भंडारी परिवार लंबे समय से चमोली जिले की राजनीति में एक प्रभावशाली नाम रहा है। ऐसे में इस हार को आने वाले समय में जिले के राजनीतिक नेतृत्व में संभावित बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस नतीजे से स्थानीय राजनीति में नए नेतृत्व और समीकरण उभर सकते हैं, जिनका असर आगामी विधानसभा चुनावों तक पड़ सकता है

पूर्व फौजी की लोकप्रियता का प्रभाव

लक्ष्मण खत्री की जीत यह भी दर्शाती है कि मतदाता अब केवल पारंपरिक राजनीतिक परिवारों तक सीमित नहीं रह गए हैं। पूर्व फौजी होने के नाते खत्री को स्थानीय जनता के बीच एक ईमानदार, अनुशासित और सेवा-भाव से जुड़ी छवि का लाभ मिला। ग्रामीण क्षेत्रों में उनका सीधा संपर्क और जमीनी मुद्दों पर काम करने का वादा चुनावी मैदान में उनके लिए निर्णायक साबित हुआ।

राजनीतिक संदेश

यह परिणाम चमोली की राजनीति में इस बात का स्पष्ट संदेश देता है कि जनता अब बदलाव चाहती है और पारंपरिक नेतृत्व को चुनौती देने के लिए तैयार है। साथ ही, यह नतीजा बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए संकेत है कि अगर स्थानीय स्तर पर जनता की अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया गया, तो परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं

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