धराली के मलबे में कई लोग दबे, कई लापता में सेना के नौ जवान भी शामिल, चार मौतों की पुष्टि
आंध्र प्रदेश के दौरे से लौटे सीएम,.राहत कार्यों के लिए बीस करोड़ की धनराशि जारी की
उत्तरकाशी/देहरादून। उत्तरकाशी से 88 किमी दूर धराली में दोपहर दो बजे आये सैलाब में कई जिंदगी मलबे में समा गई। दर्जनों लोग लापता हैं। इनमें सेना के 9 जवान भी बताए जा रहे हैं।
सुक्खी टॉप में बादल फटने से हर्षिल के आर्मी कैम्प में नुकसान पहुंचा है। यहां भी झील बन गयी है। सेना के नौ जवानों के लापता होने की भी खबर है।
स्थानीय प्रशासन ने देर शाम तक चार मौतों की पुष्टि की। सेना व आईटीबीपी के जवानों ने घायलों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा कर इलाज शुरू कर दिया है। 130 से अधिक लोगों का रेस्क्यू कर राहत शिविर में रखा गया है।
राज्य आपदा मोचन निधि से आपदा राहत एवं बचाव कार्य के लिए रुपये बीस करोड़ की धनराशि जारी की गई है।
बुधवार से एनडीआरएफ , एसडीआरएफ ब अन्य दल मलबे में दबे लोगों की खोज करेंगे। मंगलवार को हर्षिल इलाके में आई भारी तबाही के बाद राज्य व केंद्र सरकार राहत व बचाव कार्य में जुट गई है।
उधर, सुक्खी टॉप पर भी बादल फटने से सेना के कैम्प व हेलीपैड में मलबा व पानी भर गया। इस इलाके में भी झील बनने से भागीरथी नदी का प्रवाह रुकने की खबर है।
खतरे को देखते हुए टिहरी तक अलर्ट किया गया है। स्वास्थ्य, खाद्य समेत कई विभागों ने टीम बना कर घटनास्थल की ओर रवाना किया है।

उन्होंने बताया कि संपर्क कट जाने और यूनिट बेस के प्रतिकूल रूप से प्रभावित होने के बावजूद, टीम अटूट दृढ़ संकल्प के साथ काम कर रही है। लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीवास्तव ने पुष्टि करते हुए कहा, “फिलहाल 9 सेना के जवानों के लापता होने की पुष्टि हुई है, जिनकी तलाश जारी है।”
हालांकि, ताजा जानकारी के अनुसार, इस त्रासदी में कुछ नौसेना के जवान भी लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश और बचाव कार्य जारी है। उनकी स्थिति के बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।
बचाव कार्यों की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीवास्तव ने आगे बताया, “अब तक 20 लोगों को बचाया जा चुका है। मूसलाधार बारिश और ध्वस्त कनेक्टिविटी ने हर नागरिक की सुरक्षा के उनके संकल्प को कमजोर नहीं किया है। विपरीत परिस्थितियों में उनका साहस भारतीय सेना की सच्ची भावना को दर्शाता है – जो जुझारू, निस्वार्थ और राष्ट्र की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहती है। इस बीच, बचाव कार्यों में लगाए जाने के लिए अतिरिक्त टुकड़ियों को भी भेजा जा रहा है।”
सेना, नौसेना और अन्य राहत दल लगातार प्रतिकूल मौसम और दुर्गम परिस्थितियों का सामना करते हुए लापता लोगों की तलाश और फंसे हुए लोगों को निकालने के अभियान में जुटे हुए हैं।
इस हादसे में कितने लोगों की मौत हुई, और कितने घायल हुए। यह आंकड़ा बुधवार तक ही सामने आ पायेगा।
सैलाब के बाद धराली कस्बे में कई फ़ीट मलबा जमा हो गया है। बाढ़ का वेग इतना तेज था कि कई तिमंजिली इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गई।
धराली गांव से ऊंचाई पर बसे मुखबा गांव के लोगों ने चिल्ला कर व सीटी बजा कर लोगों को भागने के लिए कहा। कुछ लोग जान बचाने के लिए सड़क पर भागते नजर आए। लेकिन बाढ़ के उफान व प्रचंड बहाव ने सम्भलने का कोई मौका नहीं दिया। और एक झटके में कई लोगों को लील लिया।
घटना से जुड़े वॉयरल वीडियो साफ तस्दीक कर रहे हैं कि कई दो-तीन मंजिला इमारतें पलक झपकते ही मलबे के तूफान में भर भरा कर गिर गईं। कुछ ही सेकेंड में भरा पूरा धराली का बाजार शमशान में तब्दील हो गया।
खीर गंगा की पहाड़ियों में बाफल फटा या कोई गुप्त झील। यह भी जॉच के बाद पता चलेगा। बहरहाल, इस आपदा ने एक बार फिर गाड़ गदेरों के किनारे की बसावटों व निर्माण कार्यों को कठघरे में खड़ा कर दिया है…
हादसे के बाद सरकार ने तीन आईएएस अभिषेक रुहेला, मेहरबान सिंह बिष्ट व गौरव कुमार को उत्तरकाशी में तैनात किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को अपना आंध्र प्रदेश दौरा तत्काल रद्द कर सीधे देहरादून स्थित आईटी पार्क के आपदा परिचालन केंद्र पहुंचकर उत्तरकाशी जनपद के हर्षिल क्षेत्र के धराली गांव में बादल फटने से प्रभावित क्षेत्रों के रेस्क्यू ऑपरेशन की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के लिए हर एक व्यक्ति की जान अमूल्य है और राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाए जाएं। उन्होंने सेना, SDRF, NDRF, जिला प्रशासन और सभी एजेंसियों को आपसी समन्वय के साथ तेज़ी से राहत कार्य करने के निर्देश दिए।

मुख्य निर्देश:
आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी शैक्षणिक और अन्य संस्थान बंद।
प्रभावितों के लिए होटल/होमस्टे में रहने, भोजन और दवाइयों की तत्काल व्यवस्था।
बिजली और संचार व्यवस्था मंगलवार रात तक बहाल करने के निर्देश।
सेना से अतिरिक्त हेलीकॉप्टर और MI-17 की मदद से एयरलिफ्ट व राहत सामग्री भेजने की मांग।
बेघर लोगों के लिए वैकल्पिक आवास, होटल अधिग्रहण की अनुमति।
खाने-पीने की वस्तुएं, कंबल, कपड़े की उपलब्धता और एयरड्रॉप की व्यवस्था।
मृतकों के परिजनों को पूर्ण सरकारी सहयोग और जीवन-यापन की जिम्मेदारी सरकार की।
मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी में राहत कार्यों के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया और बुधवार सुबह सचिवों की टीम को धराली-हर्षिल रवाना करने के निर्देश दिए।

रेस्क्यू अपडेट: SDRF, ITBP और अन्य एजेंसियों ने अब तक 130 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। नेताला में बाधित मार्ग खोल दिया गया है, जिससे जिलाधिकारी, एसपी और राहत दल घटनास्थल की ओर रवाना हो गए हैं। खाद्य और स्वास्थ्य विभाग की विशेष टीमें भी मौके पर भेजी गई हैं।
बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, डीजीपी दीपम सेठ, सचिव शैलेश बगौली, पंकज पांडे, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

उत्तरकाशी आपदा राहत कार्य हेतु वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों एवं विशेष पुलिस बलों की त्वरित तैनाती
दो आईजी, तीन एसपी, एक कमांडेंट, 11 डिप्टी एसपी सहित 300 पुलिस कर्मी रवाना
उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए राहत एवं बचाव कार्यों के प्रभावी संचालन हेतु वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों एवं विशेष पुलिस बलों की तत्काल तैनाती की गई है।
भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक SDRF अरुण मोहन जोशी, पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र, राजीव स्वरूप, प्रदीप कुमार राय, अमित श्रीवास्तव (प्रथम) एवं सुरजीत सिंह पंवार, श्रीमती श्वेता चौबे, 1 डिप्टी कमांडेंट तथा 11 डिप्टी एसपी को तत्काल उत्तरकाशी भेजा गया है, जो राहत एवं समन्वय कार्यों का नेतृत्व करेंगे।
साथ ही आपदा प्रबंधन को और अधिक सशक्त बनाने हेतु “सेनानायक IRB द्वितीय श्रीमती श्वेता चौबे के नेतृत्व में 40वीं वाहिनी पीएसी के विशेष आपदा राहत दल (ई कंपनी) तथा आईआरबी द्वितीय, देहरादून की सी कंपनी के 140 जवानों को भी उत्तरकाशी रवाना किया गया है।
इसके अतिरिक्त, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी एवं टिहरी जनपदों से कुल 160 पुलिसकर्मियों (निरीक्षक से आरक्षी स्तर तक) को आवश्यक आपदा राहत उपकरणों के साथ प्रभावित क्षेत्र में भेजा गया है, जिससे स्थानीय प्रशासन को तेजी से सहयोग प्रदान किया जा सके।
इन त्वरित, समन्वित और सुदृढ़ प्रयासों का उद्देश्य आपदा प्रभावित क्षेत्र में जनहानि को न्यूनतम करते हुए राहत, बचाव और पुनर्वास कार्यों को शीघ्रता एवं प्रभावशीलता के साथ संपन्न कराना है।
यह प्रयास है कि हर प्रभावित व्यक्ति तक शीघ्र सहायता पहुंचे। पुलिस बल को 24×7 अनवरत रूप से राहत एवं बचाव कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।”