भालू के आतंक से शीघ्र मिलेगी ग्रामीणों को निजात, अंतिम विकल्प के रूप में दी जाएगी भालू को नष्ट करने की अनुमति
देहरादून। श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के थलीसैण विकासखण्ड के कई गांव पिछले लंबे समय से भालू के आतंक से त्रस्त हैं। भालू ग्रामीणों के मवेशियों का लगातार शिकार कर रहा है और स्थानीय लोगों की सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा बना हुआ है। ग्रामीणों में खासकर स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्याप्त है। इसी गंभीर परिस्थिति को देखते हुए राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने वन विभाग को भालू को आदमखोर घोषित करने और अंतिम विकल्प के रूप में उसे मारने के स्पष्ट निर्देश दिये हैं।
बैठक में लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय
इस मुद्दे पर शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में यमुना कॉलोनी स्थित उनके शासकीय आवास पर वन विभाग की विशेष बैठक आयोजित हुई। बैठक में अपर सचिव वन सी. रवि शंकर, प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) रंजन कुमार मिश्रा, विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
बैठक में गढ़वाल वन प्रभाग की पैठाणी रेंज के अंतर्गत आने वाले कुण्डिल, कुचोली, सौंठ, कठयूड़, कुठ और खण्डतल्ला गांवों में भालू के बढ़ते आतंक और ग्रामीणों को हो रही समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई। जनप्रतिनिधियों ने बताया कि अब तक दो दर्जन से अधिक मवेशी भालू के शिकार हो चुके हैं। ग्रामीण भय के साये में जी रहे हैं और स्कूली बच्चों के स्कूल आने-जाने पर भी संकट मंडरा रहा है।
भालू को निपटाने की तीन चरणीय रणनीति
कैबिनेट मंत्री डॉ. रावत ने वन विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि ग्रामीणों और बच्चों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी भी कीमत पर लोगों को भयमुक्त जीवन जीने का अधिकार सुनिश्चित किया जाएगा।
बैठक में इस संबंध में तीन-चरणीय रणनीति तय की गई–
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पहला प्रयास – प्रभावित गांवों में पिंजरे लगाकर भालू को सुरक्षित पकड़ने की कोशिश की जाएगी।
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दूसरा प्रयास – यदि पिंजरे से सफलता नहीं मिलती तो भालू को ट्रैंक्यूलाईज कर काबू में लिया जाएगा।
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अंतिम विकल्प – अगर उपरोक्त सभी प्रयास विफल रहते हैं और ग्रामीणों की जानमाल पर खतरा बढ़ता है, तो अंतिम विकल्प के रूप में भालू को नष्ट करने की अनुमति दी जाएगी।
सरकार का सख्त रुख
डॉ. धन सिंह रावत ने बैठक में कहा, “जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है। गांवों में रह रहे लोग भयमुक्त वातावरण में जीवन जी सकें, यह हमारी जिम्मेदारी है।
बैठक में यह भी तय किया गया कि प्रभावित क्षेत्रों में वन विभाग की टीम लगातार निगरानी रखेगी और गांवों में पिंजरे लगाने की कार्रवाई तुरंत शुरू की जाएगी। साथ ही विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये गये कि किसी भी स्थिति में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।