19 C
New York
Wednesday, June 18, 2025
spot_img

उत्तराखंड में दरगाह गिराने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, मांगा सरकार से जवाब

दरगाह ध्वस्तीकरण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी — अवमानना याचिका में उठे गंभीर सवाल

नई दिल्ली: उत्तराखंड के देहरादून में स्थित एक ऐतिहासिक दरगाह को कथित तौर पर अवैध रूप से ध्वस्त किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों से जवाब मांगा है। इस मामले में दायर अवमानना याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस याचिका को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली मुख्य याचिका के साथ जोड़कर देखेगी।

दरअसल, देहरादून में स्थित दरगाह हज़रत कमाल शाह, जो कि वर्ष 1982 से उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ के साथ पंजीकृत वक्फ संपत्ति है, को 25-26 अप्रैल की मध्यरात्रि में प्रशासन द्वारा गिरा दिया गया। यह कार्रवाई उस समय हुई जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही वक्फ अधिनियम से जुड़ी एक याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को एक आदेश में स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि अगली सुनवाई तक देशभर में किसी भी वक्फ संपत्ति की न तो स्थिति में कोई बदलाव किया जाएगा और न ही कोई नई अधिसूचना जारी की जाएगी। यह निर्देश विशेष रूप से केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा अदालत को दिए गए आश्वासन के आधार पर दिया गया था।

याचिकाकर्ता की दलीलें

इस आदेश के बावजूद दरगाह को गिराए जाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की, जिसमें आरोप लगाया गया कि उत्तराखंड सरकार ने न केवल अदालत के आदेश की अवहेलना की, बल्कि केंद्र के आश्वासन की भी अनदेखी की।

अधिवक्ता सिब्बल ने तर्क दिया कि यह स्थल 150 वर्षों से अधिक पुराना है और समुदाय के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि दरगाह को बिना किसी पूर्व नोटिस के अचानक ध्वस्त कर दिया गया, जो कि कानून और न्याय की मूल भावना के विरुद्ध है

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले को मुख्य याचिका के साथ जोड़ा जाएगा, जिसमें वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।

कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को इस अवमानना याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है और अगली सुनवाई 15 मई को तय की है।

वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन कर केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों से संबंधित प्रावधानों में कुछ बड़े बदलाव प्रस्तावित किए हैं। इसके खिलाफ कई मुस्लिम संगठनों और धार्मिक न्यासों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं। उनका कहना है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को कमजोर करता है और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

अब शीर्ष अदालत यह जांचेगी कि क्या उत्तराखंड प्रशासन की कार्रवाई वास्तव में कोर्ट के आदेश की अवमानना है और यदि हां, तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए। यह मामला न केवल धार्मिक स्थल के विध्वंस का है, बल्कि न्यायिक आदेशों की अवहेलना से जुड़ा एक संवेदनशील संवैधानिक प्रश्न भी बन गया है।

Related Articles

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles