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Wednesday, July 9, 2025
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हल्द्वानी में अतिक्रमण पर प्रशासन का शिकंजा, 512 घर-दुकानों को तोड़ने की तैयारी

हल्द्वानी में 512 भवनों पर बुलडोजर चलाने की तैयारी, प्रशासन ने भेजे घर-दुकान तोड़ने के नोटिस; विधायक सुमित ने जताई कड़ी आपत्ति

हल्द्वानी। शहर के देवखड़ी और रकसिया नाले के किनारे बने 512 भवनों और दुकानों को अतिक्रमण माना गया है। प्रशासन ने इन सभी को 15 दिनों के भीतर तोड़ने के नोटिस जारी कर बड़े पैमाने पर बुलडोजर चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस कार्रवाई के बाद विधायक सुमित हृदयेश ने नाराज़गी जताई है और इसे अमानवीय तथा प्रशासनिक असंवेदनशीलता करार दिया है। उन्होंने प्रभावित लोगों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है और नोटिसों को रद्द करने की मांग की है।

प्रशासन का सर्वे और नोटिस जारी करने की प्रक्रिया

प्रशासन की ओर से देवखड़ी एवं रकसिया नाले के क्षेत्र का व्यापक सर्वे कर 512 भवनों को अवैध निर्माण मानते हुए अतिक्रमण नोटिस जारी किया गया है। इनमें आवास-विकास और सुभाषनगर क्षेत्र के लगभग 140 भवन भी शामिल हैं। विशेष रूप से इन नालों के किनारे बने घर और दुकानों को अतिक्रमण क्षेत्र घोषित कर 15 दिनों के भीतर इन्हें तोड़ने के आदेश दिए गए हैं। प्रशासन का तर्क है कि नालों के किनारे निर्माण से जल निकासी बाधित हो रही है और यह बाढ़ जैसे आपदाओं के लिए खतरा है।

विधायक सुमित का विरोध और जनता से संवाद

शनिवार को विधायक सुमित हृदयेश खुद प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे और लोगों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि इतने वर्षों से इन इलाकों में लोग रह रहे हैं और प्रशासन द्वारा इस तरह के नोटिस जारी करना न्यायसंगत नहीं है। उनका कहना था कि यह पूरी प्रक्रिया अमानवीय है और इससे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। विधायक ने बताया कि उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से फोन पर बात कर नोटिसों को रद्द करने का अनुरोध किया है

उन्होंने कहा, “यहां के लोग 50 साल से भी अधिक समय से रहते आ रहे हैं, उन्हें किसी भी हालत में बेघर नहीं किया जाएगा। प्रशासन को चाहिए कि वे संवेदनशीलता दिखाएं और इन लोगों को न्याय दें।”

विधायक सुमित ने प्रशासन पर यह भी आरोप लगाया कि देवखड़ी नाले के पानी को टेढ़ी पुलिया के पास नहर में डायवर्ट कर बरेली रोड पर छोड़ा गया है, जिससे पानी का बहाव बदला गया है, और फिर भी प्रशासन स्थानीय लोगों को अतिक्रमण का दोषी ठहरा रहा है। उन्होंने कहा, “लोगों ने कौन सी जमीन कब्जा की है जब पानी का रास्ता ही बदला गया है?”

प्रभावित इलाकों की स्थिति और जनता की प्रतिक्रिया

आवास-विकास, सुभाषनगर के साथ-साथ दमुवाढूंगा क्षेत्र में भी यह नोटिस भेजे गए हैं। इन क्षेत्रों में कई परिवार दशकों से रह रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें पूर्व में प्रशासन की ओर से कोई सूचना या विकल्प नहीं दिया गया, जिससे उन्हें बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों ने अपनी दुकानें और घर इस कार्रवाई से बचाने की गुहार लगाई है।

कुछ प्रभावित लोगों ने बताया कि वे पहले से ही आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर हैं और यदि ये निर्माण टूट गए तो उनके परिवार की आजीविका पर गहरा असर पड़ेगा। कई महिलाओं और बुजुर्गों ने भी प्रशासन से सहानुभूति और समर्थन की मांग की है।

राजनीतिक और प्रशासनिक दौराबाजी

विधायक सुमित के साथ मौके पर उनके कई समर्थक और स्थानीय नेता मौजूद थे, जिनमें गोपाल भट्ट, गुरप्रीत प्रिंस, हर्षित भट्ट, सुरेश किरौला, धीरज जोशी, तरुण सुयाल, जगमोहन सिंह, प्रकाश कन्याल, कमल कालाकोटी, हेमा जोशी, तारा जोशी, प्रेमा रावत आदि शामिल थे। उन्होंने भी प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए और स्थानीय लोगों के समर्थन में आवाज बुलंद की।

वहीं, प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई नालों की सफाई और जल निकासी के लिए जरूरी है। उन्होंने बताया कि अतिक्रमण से बाढ़ का खतरा बढ़ता है और इसे रोकना प्रशासन की प्राथमिकता है। अधिकारियों का कहना है कि नोटिस जारी करने से पहले विस्तृत सर्वे और कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई है।

भविष्य की योजना और समाधान की संभावना

प्रशासन और विधायक दोनों के बीच चल रही बातचीत में इस बात पर जोर दिया गया है कि कोई भी कार्रवाई संवेदनशीलता और समझदारी के साथ होनी चाहिए। विधायक ने प्रभावितों को आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही उच्च अधिकारियों से मिलकर इस मामले को सुलझाने का प्रयास करेंगे ताकि कोई भी परिवार बेघर न हो और उचित समाधान निकाला जा सके।

स्थानीय प्रशासन भी जल्द ही प्रभावितों से पुनः वार्ता करने का संकेत दे रहा है, ताकि नोटिसों को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सके और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।

हल्द्वानी में 512 भवनों को अतिक्रमण मानकर तोड़ने की योजना ने प्रशासन और स्थानीय नेताओं के बीच तनाव बढ़ा दिया है। जनता की आशंकाओं और विधायकों के विरोध को देखते हुए इस मामले में जल्द ही कोई मध्यम मार्ग खोजने की आवश्यकता है, ताकि कानूनी प्रक्रिया के साथ-साथ सामाजिक न्याय भी सुनिश्चित किया जा सके

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