17.5 C
New York
Saturday, April 19, 2025
spot_img

शिक्षा विभाग को मिले संस्कृत के एक दर्जन असिस्टेंट प्रोफेसर

दुर्गम क्षेत्र के राजकीय महाविद्यालयों में मिली प्रथम तैनाती

देहरादून, उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत उत्तराखंड के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में संस्कृत विषय के असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति कर दी गई है। राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित इन शिक्षकों को विशेष रूप से दुर्गम एवं अति दुर्गम क्षेत्रों के महाविद्यालयों में तैनात किया गया है। इस कदम से न केवल संस्कृत शिक्षकों की कमी दूर होगी, बल्कि देववाणी संस्कृत के अध्ययन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति पर सरकार की पहल

राज्य सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि प्रदेश के सभी राजकीय महाविद्यालयों में ढांचागत सुविधाओं के साथ-साथ विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता हो। इसी दिशा में, संस्कृत विषय के एक दर्जन सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति कर उन्हें प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में पदस्थ किया गया है। इससे न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई जारी रखने में भी सुविधा मिलेगी।

संस्कृत विषय में चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों को राज्य के दुर्गम एवं अति दुर्गम क्षेत्रों के महाविद्यालयों में भेजा गया है। इनमें दीपक कुमार कोठारी को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गोपेश्वर में तैनाती मिली है, जबकि कंचन तिवारी और विनोद कुमार को पीजी कॉलेज, उत्तरकाशी भेजा गया है। सुश्री आरती आर्य को राजकीय महाविद्यालय, दन्या में नियुक्त किया गया है, वहीं सुश्री मंजू पाण्डे को राजकीय महाविद्यालय, चिन्यालीसौड में भेजा गया है। डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र को राजकीय महाविद्यालय, मजरामहादेव में नियुक्त किया गया है। मनोज जोशी और डॉ. महेश चन्द्र शर्मा को राजकीय महाविद्यालय, जैंती में तैनाती दी गई है। इसके अलावा, सुश्री रजनी नेगी को राजकीय महाविद्यालय, थलीसैण, सुनीता जोशी को राजकीय महाविद्यालय, गणाई गंगोली, सुश्री निर्मला को राजकीय महाविद्यालय, बेतालघाट और डॉ. गोविंद कुमार को राजकीय महाविद्यालय, बलुवाकोट में नियुक्त किया गया है।

संस्कृत शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा

संस्कृत विषय में असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति से प्रदेश के महाविद्यालयों में इस विषय की शिक्षा को नई ऊर्जा मिलेगी। संस्कृत, जो उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा है, को बढ़ावा देने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। नवनियुक्त शिक्षकों की उपस्थिति से छात्र-छात्राओं में संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ेगी और इसे एक व्यवहारिक विषय के रूप में अपनाने की प्रवृत्ति विकसित होगी।

शिक्षकों की नियुक्ति से शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार

नए असिस्टेंट प्रोफेसरों की तैनाती से महाविद्यालयों में लंबे समय से चली आ रही शिक्षकों की कमी दूर होगी। इससे न केवल शैक्षणिक गतिविधियों में सुधार होगा, बल्कि छात्रों को उच्च स्तरीय शिक्षा भी प्राप्त होगी। शिक्षा विभाग का मानना है कि शिक्षकों की यह नई नियुक्ति प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

उच्च शिक्षा मंत्री का बयान

उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस अवसर पर कहा –

“राजकीय महाविद्यालयों में संस्कृत विषय के एक दर्जन सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति कर दी गई है। इन शिक्षकों के आने से महाविद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधियों में उल्लेखनीय सुधार होगा, साथ ही संस्कृत शिक्षा के प्रसार में भी वृद्धि होगी।”

राज्य सरकार की इस पहल से प्रदेश के शिक्षार्थियों को बेहतर शिक्षा मिलने की उम्मीद है और इससे संस्कृत भाषा एवं संस्कृति को आगे बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी

Related Articles

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles