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Friday, September 26, 2025
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शिक्षा मंत्री का ऐलान- स्कूलों में पढ़ाया जाएगा मोबाइल का दुष्प्रभाव

स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया जाएगा मोबाइल के दुष्प्रभावों पर पाठ, शिक्षा मंत्री बोले- जल्द जारी होगी एसओपी

देहरादून। प्रदेश सरकार अब बच्चों को मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने की तैयारी कर रही है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि प्रदेश में जल्द ही स्कूलों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की जाएगी, जिसके माध्यम से बच्चों को यह बताया जाएगा कि मोबाइल का प्रयोग किस सीमा तक सुरक्षित है और इसके ज्यादा इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर क्या-क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि कई विकसित देशों ने इस विषय पर पहले ही एसओपी तैयार कर रखी है, जिन्हें प्रदेश सरकार ने अध्ययन किया है। इसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी एसओपी तैयार की जा रही है ताकि बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके।

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा, “प्रदेश में बड़ी संख्या में बच्चे अपनी पढ़ाई की तुलना में ज्यादा समय मोबाइल पर बिता रहे हैं। इससे उनकी एकाग्रता, मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। हम चाहते हैं कि बच्चे तकनीक का सही इस्तेमाल सीखें, लेकिन उसकी लत से दूर रहें।

पाठ्यक्रम में शामिल होंगे मोबाइल के दुष्प्रभाव

शिक्षा विभाग के अनुसार, केवल एसओपी ही नहीं, बल्कि मोबाइल फोन के दुष्प्रभावों को स्कूल के पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाएगा। इसके तहत बच्चों को विज्ञान, स्वास्थ्य शिक्षा और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में मोबाइल के अत्यधिक उपयोग के नुकसान पढ़ाए जाएंगे।

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, मोबाइल के चलते बच्चों में कई व्यवहारिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। मसलन, बच्चों का ध्यान जल्दी भटक जाता है, वे पढ़ाई में पूरी तरह एकाग्र नहीं हो पाते और कई बार सोने से पहले मोबाइल का अत्यधिक उपयोग उनकी नींद में खलल डालता है। इससे अगले दिन थकान, चिड़चिड़ापन और कक्षा में सुस्ती जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

अभिभावकों को भी किया जाएगा जागरूक

शिक्षा मंत्री ने बताया कि बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी इस विषय पर प्रशिक्षित किया जाएगा। अक्सर देखा गया है कि छोटे बच्चों के रोने या जिद करने पर माता-पिता तुरंत उन्हें मोबाइल पकड़ा देते हैं ताकि वे चुप हो जाएं। यह आदत बच्चों को छोटी उम्र से ही मोबाइल पर निर्भर बना रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में शिक्षा मंत्रियों की बैठक में इस विषय पर चिंता जताई थी। उन्होंने घरों में ‘नो मोबाइल ज़ोन’ बनाने और बच्चों को डिजिटल डिटॉक्स के महत्व के बारे में जागरूक करने पर जोर दिया है।

स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभाव

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो मोबाइल का अत्यधिक उपयोग बच्चों में डिजिटल आंखों की थकान (Digital Eye Strain), अनिद्रा, सिरदर्द और मोटापे जैसी समस्याओं को बढ़ा रहा है। लंबे समय तक मोबाइल की स्क्रीन देखने से आंखों पर दबाव पड़ता है और बच्चों में माइग्रेन, गर्दन और पीठ में दर्द जैसी समस्याएं भी देखी जा रही हैं।

सरकारी स्कूलों में पहले से है मोबाइल पर रोक

शिक्षा विभाग के नियमों के मुताबिक, सरकारी स्कूलों में कक्षा 12 तक छात्रों को मोबाइल फोन लाने की अनुमति नहीं है। हालांकि, अधिकारी मानते हैं कि समस्या का बड़ा हिस्सा घर पर बच्चों द्वारा मोबाइल के इस्तेमाल से जुड़ा है। घर पर इंटरनेट, सोशल मीडिया, गेम्स और वीडियो कंटेंट में डूबे रहने के कारण बच्चे घंटों तक मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई और सामाजिक विकास प्रभावित हो रहा है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि एसओपी में बच्चों के लिए सुरक्षित स्क्रीन टाइम की अवधि, मोबाइल के उपयोग का उचित तरीका, और डिजिटल उपकरणों के प्रति संतुलित दृष्टिकोण विकसित करने पर विशेष जोर होगा। विभाग जल्द ही एसओपी को अंतिम रूप देकर स्कूलों को भेजेगा। इसके अलावा, शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे बच्चों को मोबाइल के दुष्प्रभावों के बारे में सही जानकारी दे सकें और उनका मार्गदर्शन कर सकें

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