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Tuesday, May 20, 2025
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गरीब मजदूरों की बेदखली पर भड़का जनाक्रोश, सरकार के वादों पर उठे सवाल

बेदखली की कार्रवाई के खिलाफ मजदूरों का विरोध प्रदर्शन

सरकारी दावों और योजनाओं पर उठे सवाल

देहरादून गुरुवार को जाखन चौक पर आयोजित जनसभा में वक्ताओं ने बेदखली की कार्रवाइयों के खिलाफ जमकर विरोध जताया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक ओर बड़े अतिक्रमणकारियों को संरक्षण दे रही है, जबकि दूसरी ओर गरीब मजदूरों को उनके आशियानों से बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है

जनसभा में बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रभावित परिवारों ने कहा कि कोर्ट के आदेशों की आड़ में केवल कमजोर और गरीब तबके को निशाना बनाया जा रहा है। रसूखदारों द्वारा नदियों में खुलेआम मलबा फेंका गया, अवैध निर्माण किए गए, लेकिन प्रशासन की ओर से उनके खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया। इसके उलट, बिंदाल नदी के किनारे वर्षों से बसे मजदूर परिवारों को उजाड़ने की तैयारी हो रही है।

वक्ताओं ने यह भी बताया कि जाखन क्षेत्र में जिन घरों को गिराने की कार्रवाई की जा रही है, उनमें से कई 2016 से पहले बने हैं। इसी तरह, 2024 में रिस्पना नदी के किनारे बस्तियों को अवैध घोषित कर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की थी। लेकिन जब मजदूरों ने संगठित होकर आवाज उठाई, तो प्रशासन को खुद यह स्वीकार करना पड़ा कि 525 में से 400 से अधिक मकान वैध हैं।

बेदखली के नाम पर अन्याय बर्दाश्त नहीं
सभा में वक्ताओं ने साफ तौर पर कहा कि बेदखली की इस प्रक्रिया में भारी पक्षपात हो रहा है। प्रशासन गरीबों को निशाना बना रहा है, जबकि असली अतिक्रमणकारियों पर हाथ डालने से कतरा रहा है। उन्होंने चेताया कि यदि गरीब मजदूरों की बस्तियों को उजाड़ने की कार्रवाई नहीं रोकी गई, तो जनआंदोलन और तेज किया जाएगा।

सरकारी आश्वासनों पर सवाल
सभा में वक्ताओं ने सरकार द्वारा दिए गए वादों और योजनाओं पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि 17 जनवरी को स्वयं मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से आश्वासन दिया था कि एक भी मजदूर बस्ती नहीं हटाई जाएगी। लेकिन उस आश्वासन के महज दो सप्ताह बाद ही पहले एलिवेटेड रोड के नाम पर और अब कोर्ट के आदेशों की आड़ में बस्तियां तोड़ी जा रही हैं।सभा के अंत में यह मांग की गई कि सरकार दोहरे मापदंड छोड़कर पारदर्शी नीति बनाए और मजदूरों को स्थायी पुनर्वास की गारंटी दी जाए

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