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Wednesday, July 9, 2025
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हेली सेवा का पहला चरण सफलतापूर्वक संपन्न, अब मानसून के बाद अगला चरण

मानसून के चलते रुकी केदारनाथ हेली सेवा, पहला चरण हुआ समाप्त; सितंबर में फिर शुरू होगी उड़ानें

देहरादून/रुद्रप्रयाग।
केदारनाथ धाम के लिए संचालित हेलीकॉप्टर सेवा का पहला चरण अब समाप्त हो गया है। सभी हेली कंपनियों ने अपने हेलिकॉप्टर केदारघाटी से वापस बुला लिए हैं। अब यह सेवा मानसून समाप्त होने के बाद सितंबर में फिर से शुरू होगी। इस बार का पहला चरण कई लिहाज से चुनौतीपूर्ण और घटनाओं से भरा रहा—जहां एक ओर खराब मौसम और तकनीकी खामियों के चलते उड़ानों में बार-बार व्यवधान आया, वहीं एक बड़े हेलिकॉप्टर हादसे ने सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए।

मानसून के चलते बंद हुई सेवा

जून के अंतिम सप्ताह में मानसून के सक्रिय होते ही केदारनाथ हेली सेवा को स्थगित कर दिया गया। यात्रा के नोडल अधिकारी राहुल चौबे ने पुष्टि की कि सभी छह हेली कंपनियों के सात हेलिकॉप्टर केदारघाटी से वापस लौट गए हैं। अब यात्रियों को यह सेवा फिर सितंबर में मिल सकेगी, जब मानसून कमजोर हो जाएगा और मौसम उड़ानों के अनुकूल रहेगा।

डीजीसीए ने दी थी उड़ान की अनुमति

केदारनाथ यात्रा के लिए नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने इस वर्ष आठ हेली कंपनियों को नौ हेलिकॉप्टरों के संचालन की अनुमति दी थी। यात्रा की शुरुआत 2 मई को हुई थी, और तभी से इन सेवाओं ने यात्रियों को गौरीकुंड से केदारनाथ पहुंचाने का कार्य शुरू किया था। हालांकि, अनियमित मौसम और कई अन्य कारणों से यह सेवा सुचारु रूप से नहीं चल पाई।

13 हजार से अधिक टिकट रद्द, 8.65 करोड़ का घाटा

कपाट खुलने से लेकर 21 जून तक का यह चरण हेली कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से भारी नुकसानदायक रहा। मौसम की मार और तकनीकी कारणों से कुल 13,304 टिकट रद्द किए गए, जिससे कंपनियों को लगभग 8.65 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सिर्फ 2 से 16 मई के बीच ही 1,638 टिकट रद्द हुए थे, जिसकी वजह भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ा तनाव और प्रतिकूल मौसम रहा।

बड़ा हादसा और प्रशासनिक सख्ती

15 जून को यात्रा के दौरान एक भीषण हादसा हुआ, जब आर्यन हेली कंपनी का एक हेलिकॉप्टर केदारनाथ से गुप्तकाशी जाते समय गौरी माई खर्क के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट समेत सात लोगों की मौत हो गई। प्राथमिक जांच में इस दुर्घटना का कारण खराब मौसम बताया गया।
इसके बाद, नागर विमानन महानिदेशालय ने दो दिन के लिए हेली सेवा पूरी तरह बंद कर दी और जांच शुरू की। इसी दौरान, ट्रांस भारत कंपनी के दो हेलिकॉप्टरों ने भी खराब मौसम के बावजूद उड़ान भरी थी, जिसके बाद उनके पायलटों के लाइसेंस छह महीने के लिए निलंबित कर दिए गए। वहीं आर्यन कंपनी के खिलाफ राजस्व विभाग ने मुकदमा दर्ज कराया और विस्तृत पूछताछ की गई।

इमरजेंसी लैंडिंग की घटना

7 जून को एक और घटना ने सुरक्षा प्रबंधों पर सवाल खड़े किए। क्रिस्टल कंपनी के हेलिकॉप्टर को बडासू हेलिपैड से उड़ान भरते समय रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी। इस घटना के बाद डीजीसीए ने सभी कंपनियों के कार्यालयों का निरीक्षण किया और उड़ानों के लिए नई शटल निर्धारण प्रणाली लागू की गई, जिससे उड़ानों की संख्या नियंत्रित करनी पड़ी। इसका असर यह हुआ कि प्रतिदिन सैकड़ों यात्रियों की टिकटें रद्द करनी पड़ीं।

यात्री परेशान, व्यवस्था सवालों के घेरे में

17 से 21 जून तक खराब मौसम के चलते हेली सेवा पूरी तरह ठप रही, जिससे हजारों तीर्थयात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अचानक उड़ानें रद्द होने और जानकारी की कमी के कारण कई यात्रियों को केदारघाटी में लंबा इंतजार करना पड़ा।

अब सभी हेली कंपनियां वापस लौट गई हैं। यात्रा का दूसरा चरण पूरी तरह मानसून की वजह से स्थगित रहेगा। नोडल अधिकारी राहुल चौबे ने बताया कि हेली सेवा का तीसरा चरण सितंबर में शुरू होगा, जब मौसम सामान्य होने लगेगा और उड़ानें सुरक्षित रूप से संचालित की जा सकेंगी।

इस वर्ष का पहला चरण जहां तीर्थयात्रियों के लिए राहत देने वाला रहा, वहीं असामान्य घटनाओं और सुरक्षा चिंताओं ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन की निगरानी बढ़ी है और हेली सेवाओं की संचालन प्रक्रिया पर कड़ा नियंत्रण लाया गया है। अब देखना होगा कि सितंबर में शुरू होने वाला तीसरा चरण किस तरह की व्यवस्थाओं और सुरक्षा सुधारों के साथ सामने आता है

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