समूह-ग भर्तियों को मिलेगी रफ्तार! अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में 15 नए पदों को मिली मंजूरी
प्रदेश में समूह-ग के रिक्त पदों पर चयन की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और तीव्र बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के कार्यदक्षता को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। इसी क्रम में कैबिनेट द्वारा अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में 15 नए पदों के सृजन को स्वीकृति दी गई है, जिससे आयोग की कार्यक्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। यह निर्णय प्रदेश में विभिन्न विभागों से प्राप्त हो रहे अधियाचनों की बढ़ती संख्या और आयोग पर पड़ रहे कार्यभार को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य में विभिन्न विभागों के अंतर्गत आने वाले समूह-ग के पदों पर चयन की जिम्मेदारी उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को सौंपी गई है। इसके लिए वर्ष 2014 में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अधिनियम 2014 की धारा 5 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आयोग का गठन किया गया था। आयोग के गठन के समय इसके लिए एक संरचनात्मक ढांचा भी स्वीकृत किया गया था, जिसके तहत 64 अस्थायी पदों का सृजन किया गया था। इनमें से दो पद डाइंग कैडर की श्रेणी में आने के कारण वर्तमान में आयोग के पास कुल 62 सृजित पद ही कार्यरत हैं।
हाल के वर्षों में आयोग को विभिन्न विभागों से बड़ी संख्या में भर्तियों से संबंधित अधियाचन प्राप्त हो रहे हैं, जिससे आयोग पर कार्य का दबाव बढ़ा है। इसे देखते हुए सरकार ने आयोग के कार्यों के सुचारु संचालन और प्रक्रिया को गति देने के लिए इसके संरचनात्मक ढांचे के पुनर्गठन की आवश्यकता को महसूस किया। इसी उद्देश्य से राज्य सरकार ने आयोग में नए पदों के सृजन का निर्णय लिया है।
कैबिनेट द्वारा स्वीकृत इन 15 नए पदों में एक पद उप सचिव का होगा, जिसे नियमित रूप से भरा जाएगा। इसके अतिरिक्त, विधि अधिकारी का एक पद संविदा आधार पर सृजित किया गया है। साथ ही, डाटा एंट्री ऑपरेटर के दो पद, कंप्यूटर प्रोग्रामर का एक पद, स्वागती का एक पद और वाहन चालक के तीन पद आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरे जाएंगे। इसके अलावा, सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए छह सुरक्षाकर्मियों की भी नियुक्ति आउटसोर्स माध्यम से की जाएगी। इस प्रकार कुल मिलाकर 15 नए पद (एक नियमित और 14 आउटसोर्सिंग अथवा संविदा) सृजित किए गए हैं।
सरकार के इस निर्णय से जहां आयोग को अधिक संसाधन और मानवबल मिलेगा, वहीं समूह-ग की भर्तियों में पारदर्शिता और गति सुनिश्चित हो सकेगी। इससे प्रदेश के हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर समयबद्ध रूप से प्राप्त हो सकेंगे। आयोग के पुनर्गठित ढांचे से ना केवल भर्ती प्रक्रियाओं का संचालन और अधिक प्रभावी होगा, बल्कि इससे शासन-प्रशासन में विश्वास और सुशासन को भी बल मिलेगा।
इस निर्णय को राज्य सरकार की रोजगार सृजन के प्रति प्रतिबद्धता और युवाओं के हित में उठाए गए एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है।