हरीश रावत का आरोप: आरक्षण रोस्टर में जानबूझकर की गई गड़बड़ी, सरकार चुनाव टालना चाहती है
देहरादून। उत्तराखंड में निकाय और पंचायत चुनावों को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि आरक्षण रोस्टर में जानबूझकर गड़बड़ी की गई है, ताकि चुनाव प्रक्रिया को टाला जा सके।
रावत ने कहा कि जिस प्रकार से आरक्षण रोस्टर को तैयार किया गया है, वह पूरी तरह से असंतुलित और अनुचित है। उनका कहना है कि “जिस तरीके से आरक्षण का रोस्टर गड़बड़ाया गया है, उससे मुझे लगता है कि सरकार चुनाव नहीं कराना चाहती। यह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है।”
“SC-ST को क्यों दी जा रही है सजा?”
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरक्षण नीति में हुए बदलाव को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट या अन्य किसी स्तर से ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई निर्देश है, तो सरकार को नए सिरे से और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए रोस्टर तैयार करना चाहिए था।
उन्होंने कहा, “यदि आपके ऊपर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश जैसी कोई बाध्यता है, तो रोस्टर को फिर से तैयार कीजिए। लेकिन आप एक पूरे वर्ग—एससी और एसटी—को इसके लिए सजा क्यों दे रहे हैं?”
हरीश रावत ने विश्वास जताया कि आरक्षण से वंचित किए गए क्षेत्र न्यायालय का सहारा लेंगे। “जो क्षेत्र इस रोस्टर से प्रभावित हुए हैं, वे निश्चित रूप से कोर्ट में अपनी बात रखेंगे और मुझे विश्वास है कि न्यायालय उन्हें न्याय देगा,” उन्होंने कहा।
“लंबे समय तक वंचित रह जाएंगे कई क्षेत्र”
रावत ने यह भी आशंका जताई कि इस तरह के रोस्टर से कई ऐसे क्षेत्र लंबे समय तक आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने चेताया कि यदि समय रहते सुधार नहीं किया गया, तो यह सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को नुकसान पहुंचाएगा और इससे दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के बीच असंतोष बढ़ सकता है।
हरीश रावत के इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस ने भी सरकार से तत्काल स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है और कहा है कि अगर रोस्टर में सुधार नहीं किया गया तो पार्टी आंदोलन करेगी। वहीं, अभी तक सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है।