हेली सेवा विस्तार की ओर कदम: गौचर से शुरू, जोशियाड़ा की बुकिंग चालू, श्रीनगर-पौड़ी जल्द कतार में
चारधाम यात्रियों को मिलेगी बड़ी राहत, देहरादून-पंतनगर विमान सेवा भी जल्द
उत्तराखंड में हवाई सेवाओं के विस्तार की दिशा में एक और अहम कदम उठाया गया है। राज्य सरकार और उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) के संयुक्त प्रयासों से गौचर और जोशियाड़ा के लिए हेली सेवा की शुरुआत की जा रही है। बुधवार को सहस्त्रधारा हेलीपोर्ट से गौचर के लिए हेली सेवा का सफल संचालन किया गया, जबकि जोशियाड़ा के लिए यात्री न होने की वजह से पहली उड़ान रद्द करनी पड़ी। हालांकि, जोशियाड़ा के लिए अब ऑनलाइन बुकिंग प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और 10 मई से इसकी नियमित उड़ानें संचालित होने की संभावना है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर नवंबर 2024 में गौचर और जोशियाड़ा के लिए हवाई सेवा की घोषणा की गई थी, और अब इस पर अमल शुरू हो चुका है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत यूकाडा ने चरणबद्ध ढंग से सेवाओं की शुरुआत की योजना बनाई है।
जल्द शुरू होंगी श्रीनगर और पौड़ी की सेवाएं
यूकेडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सोनिका ने जानकारी दी कि 15 मई तक श्रीनगर और पौड़ी के लिए भी हवाई सेवाएं शुरू कर दी जाएंगी। यह सेवाएं न सिर्फ स्थानीय यात्रियों के लिए राहत लेकर आएंगी, बल्कि चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए भी बेहद उपयोगी सिद्ध होंगी। उन्होंने बताया कि हवाई सेवाओं के विस्तार से यात्रियों की आवाजाही तेज, सुरक्षित और सुगम होगी।
देहरादून-पंतनगर विमान सेवा की भी तैयारी
सोनिका ने यह भी बताया कि राज्य सरकार देहरादून और पंतनगर के बीच 19 सीटर विमान सेवा शुरू करने की योजना पर तेजी से काम कर रही है। यह सेवा कुमाऊं और गढ़वाल के बीच की दूरी को कम करेगी और राज्य के आंतरिक संपर्क को और मजबूत बनाएगी। इस सेवा के शुरू होने से व्यापार, शिक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में भी लोगों को सुविधा मिलेगी।
चारधाम यात्रा को मिलेगा बड़ा फायदा
गौरतलब है कि चारधाम यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंचते हैं। ऐसे में हवाई सेवाओं का यह विस्तार यात्रा को अधिक व्यवस्थित और सुविधाजनक बनाएगा। हेली सेवाओं के माध्यम से तीर्थयात्री कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे, जिससे यात्रा के दौरान भीड़भाड़ और समय की समस्या काफी हद तक कम होगी।
राज्य सरकार की यह पहल हवाई संपर्क में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। भविष्य में अन्य दुर्गम क्षेत्रों को भी इस सेवा से जोड़े जाने की योजना है, जिससे उत्तराखंड की भौगोलिक बाधाएं अब विकास में रुकावट नहीं बनेंगी।