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Monday, May 19, 2025
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HRDA ने भवन मानचित्र स्वीकृति हेतु सुशासन कैम्प प्रारंभ किए

भवन मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया होगी अब सरल, त्वरित और पारदर्शी छोटे भूखण्डों के स्वामियों को मिलेगा विशेष लाभ

देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा नागरिक सेवा सुधारों की दिशा में उठाए गए कदमों को सशक्त रूप देते हुए, हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण (HRDA) ने अपने विकास क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में विशेष सुशासन कैम्पों के आयोजन की घोषणा की है। यह निर्णय राज्य सरकार की “सरलीकरण, समाधान, निस्तारण तथा संतुष्टि” की नीति को व्यवहार में लाने के उद्देश्य से लिया गया है। इन सुशासन कैम्पों के माध्यम से भवन मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया को सरल, तेज और पारदर्शी बनाते हुए नागरिकों को समय पर सेवा उपलब्ध कराने की दिशा में यह एक सराहनीय पहल मानी जा रही है।

इन सुशासन कैम्पों का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को उन जटिल तकनीकी एवं प्रशासनिक प्रक्रियाओं से राहत दिलाना है जिनका सामना उन्हें भवन मानचित्र स्वीकृति हेतु करना पड़ता है। विशेष रूप से ऐसे लोगों को ध्यान में रखते हुए यह योजना तैयार की गई है जो एकल आवासीय भवन या 75 वर्ग मीटर तक के भूखण्ड क्षेत्रफल वाले व्यवसायिक भवन का निर्माण करना चाहते हैं। यह वर्ग सामान्यतः मध्यमवर्गीय अथवा निम्नवर्गीय होता है, जिन्हें बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने, दस्तावेज़ों के सत्यापन, तकनीकी जाँच तथा अन्य प्रक्रियाओं में समय और संसाधनों की क्षति उठानी पड़ती है।

हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण द्वारा इन कैम्पों की संरचना इस प्रकार की गई है कि आवेदक को एक ही स्थान पर सभी सुविधाएं मिल सकें। प्रत्येक सुशासन कैम्प स्थल पर संबंधित क्षेत्र के सहायक अभियंता, अवर अभियंता, तकनीकी सुपरवाइजर, पंजीकृत वास्तुविद, अभियंता, मानचित्रकार, प्राधिकरण के तहसीलदार तथा राजस्व विभाग के कर्मचारी मौजूद रहेंगे। यह बहु-स्तरीय उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी प्रकार के तकनीकी या दस्तावेजीय प्रश्नों का समाधान तत्काल किया जा सके और यदि आवेदक सभी आवश्यक दस्तावेज साथ लेकर आता है, तो मौके पर ही मानचित्र की स्वीकृति दी जा सकेगी। यह ‘वन स्टॉप सॉल्यूशन’ की अवधारणा पर आधारित मॉडल है

इन कैम्पों की एक अन्य विशिष्टता यह है कि प्रत्येक आवेदक की समस्या को प्राथमिकता के आधार पर सुना जाएगा और वहीं पर समाधान भी प्रस्तुत किया जाएगा। इससे आम नागरिकों को यह भरोसा मिलेगा कि प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनता और समाधान करता है। जिन आवेदकों के मामले अधिक तकनीकी होंगे, उनके लिए भी विशेषज्ञ कर्मचारियों द्वारा मार्गदर्शन और सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।

प्राधिकरण ने इस अभियान के प्रचार-प्रसार के लिए भी व्यापक व्यवस्था की है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक फ्लैक्स, बैनर, पोस्टर, और सूचना पटल के माध्यम से कैम्पों की सूचना दी जा रही है। इसके साथ ही, जो लोग पहले से ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं, उन्हें दूरभाष कॉल, SMS, व्हाट्सएप ग्रुप्स और ईमेल के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर सूचित किया जा रहा है। इसके अलावा, स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायतों और सामाजिक संगठनों के माध्यम से भी प्रचार अभियान चलाया जा रहा है ताकि अंतिम व्यक्ति तक यह जानकारी पहुंचे और सभी पात्र नागरिक इस योजना का लाभ उठा सकें।

HRDA का मानना है कि इस पहल से भवन निर्माण प्रक्रिया में अनुशासन आएगा, अनधिकृत निर्माण पर नियंत्रण होगा और शहरी नियोजन अधिक सुव्यवस्थित ढंग से किया जा सकेगा। साथ ही इससे नागरिकों का विश्वास बढ़ेगा कि सरकारी संस्थाएं अब जनहित में तत्परता से कार्य कर रही हैं। यह सुशासन कैम्प केवल एक तकनीकी पहल नहीं बल्कि जनसहभागिता आधारित प्रशासन की मिसाल बनने की क्षमता रखता है।

प्राधिकरण ने सभी पात्र नागरिकों से अपील की है कि वे संबंधित तिथियों में अपने निकटतम सुशासन कैम्प स्थल पर आवश्यक दस्तावेजों के साथ उपस्थित हों और इस नवाचारपूर्ण सेवा का लाभ उठाएं। यह पहल न केवल प्रशासन को जनसरोकारों से जोड़ती है, बल्कि यह दर्शाती है कि उत्तराखण्ड सरकार अपने नागरिकों को सशक्त, सुविधाजनक और पारदर्शी सेवाएँ देने के लिए निरंतर प्रयासरत है

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