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Friday, September 26, 2025
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महापंचायत ने सैफई में केदारनाथ मंदिर निर्माण का किया पुरजोर विरोध

देहरादून उत्तर प्रदेश के सैफई में केदारनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर उत्तराखंड चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने कड़ा विरोध जताया है। खास बात यह है कि सैफई के इस मंदिर का वास्तु और गर्भगृह उत्तराखंड के वास्तविक केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर तैयार किया गया है, जिसमें गर्भगृह में उसी प्रकार के शिवलिंग की स्थापना की गई है। महापंचायत का कहना है कि यह प्रयास न केवल धार्मिक आस्था का अपमान है, बल्कि सनातन धर्म के करोड़ों अनुयायियों की भावनाओं को भी ठेस पहुँचाने वाला है।

पिछले विवाद की याद दिलाई

इससे पहले बीते वर्ष दिल्ली के बौराड़ी में प्रस्तावित केदारधाम मंदिर निर्माण को लेकर भी तीव्र विरोध हुआ था। उस समय भी मंदिर निर्माण को लेकर पुरोहित संगठनों एवं धर्माचार्यों ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद ट्रस्ट को मंदिर निर्माण की योजना स्थगित करनी पड़ी थी। अब सैफई में इसी प्रकार का विवाद उभर रहा है, जिससे यह मामला फिर से गरमाने लगा है।

महापंचायत का सख्त रुख

उत्तराखंड चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को मीडिया के माध्यम से स्पष्ट संदेश दिया है कि सनातन धर्म की इस प्राचीन और पवित्र आस्था का सम्मान किया जाए। महापंचायत ने यह भी स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड स्थित चार धामों की प्रतिकृति, उनके नामों के अनादर और नामों पर आधारित किसी भी ट्रस्ट या संगठन के निर्माण का वह दृढ़ता से विरोध करेगा। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि संबंधित लोग और संस्थाएं इस मामले को गंभीरता से नहीं लेंगी, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

करोड़ों की लागत से हुआ निर्माण

सैफई में बन रहे इस केदारनाथ मंदिर की कुल लागत करोड़ों में है और इसका निर्माण उत्तराखंड के वास्तविक केदारनाथ मंदिर की वास्तुशिल्प नकल पर आधारित है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग भी उसी प्रकार का है जो असली मंदिर में स्थापित है। यह कदम उत्तराखंड के लोगों और सनातन धर्म के अनुयायियों के बीच तीखी नाराजगी का कारण बना है।

अन्य स्थानों पर भी विरोध की परंपरा

सिर्फ सैफई ही नहीं, बल्कि तेलंगाना में भी केदारनाथ मंदिर के भूमि पूजन को लेकर महापंचायत ने विरोध किया था। विगत वर्ष 18 जुलाई को उत्तराखंड राज्य कैबिनेट ने चार धामों के नामों के प्रयोग पर सख्त कानून बनाने का प्रस्ताव पारित किया था। लेकिन इस प्रस्ताव का पालन अभी तक प्रभावी ढंग से नहीं हो पाया है, जिससे पुरोहित महापंचायत सहित कई धार्मिक समूहों में असंतोष व्याप्त है

धार्मिक आस्था और विधिक पहल

महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल और महासचिव बृजेश सती ने कहा कि चार धामों की आस्था करोड़ों हिंदुओं की आत्मा में गहरी बसी है, इसलिए उनके नाम और वास्तुशिल्प की नकल करना अनुचित है। उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से अपील की है कि वे करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करें और केदारनाथ मंदिर की वास्तु से अलग, एक स्वतंत्र और भिन्न मंदिर निर्माण की पहल करें। साथ ही महापंचायत ने इस मामले में विधिक सलाह लेना शुरू कर दिया है और आवश्यकता पड़ी तो न्यायालय की शरण भी ली जाएगी।

विरोध प्रदर्शन की तैयारी

महापंचायत ने जल्द ही उत्तराखंड के चारों धामों में व्यापक विरोध प्रदर्शन करने की भी घोषणा की है। उनका कहना है कि यह आंदोलन सनातन धर्म की रक्षा और चार धामों के सम्मान के लिए आवश्यक है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों और संस्थानों से अपील की है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं।

उत्तर प्रदेश के सैफई में बनने वाला केदारनाथ मंदिर केवल एक धार्मिक संरचना नहीं, बल्कि सनातन धर्म की गहरी आस्था और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा मामला बन गया है। इस विषय पर पुरोहितों, धर्माचार्यों और सरकार के बीच जारी विवाद से साफ है कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान हर स्तर पर जरूरी है। अब देखना होगा कि सैफई के इस मंदिर निर्माण को लेकर आगे क्या हल निकाला जाता है और किस प्रकार से संतुलन बनाकर इस विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाता है

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