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Wednesday, September 10, 2025
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मसूरी वन प्रभाग में अतिक्रमण का मामला, केंद्र ने मांगा पूरा ब्योरा

मसूरी वन प्रभाग में 7,375 पिलर गायब, वन भूमि अतिक्रमण पर केंद्र सख्त

केंद्र सरकार ने उत्तराखंड से मांगी विस्तृत जांच रिपोर्ट, दोषियों पर कार्रवाई के संकेत

देहरादून। मसूरी वन प्रभाग में हजारों सीमा स्तंभों (पिलर) के गायब होने और वन भूमि पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण के गंभीर मामले पर अब केंद्र सरकार ने संज्ञान ले लिया है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उत्तराखंड शासन से इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच रिपोर्ट तत्काल मांगी है। मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि इस मामले में वन संरक्षण अधिनियम-1980 और भारतीय वन अधिनियम-1927 के उल्लंघन की आशंका है, लिहाजा दोषियों पर कठोर कार्रवाई जरूरी है।

7,375 पिलर मौके से गायब

जानकारी के अनुसार मसूरी वन प्रभाग में कुल 7,375 सीमा स्तंभ ऐसे पाए गए हैं जो आधिकारिक मानचित्रों में दर्ज तो हैं, लेकिन मौके पर मौजूद नहीं मिले। इन स्तंभों के गायब होने से न केवल वन क्षेत्र की परिभाषा धुंधली हो रही है, बल्कि बड़े पैमाने पर अवैध कब्जों और अतिक्रमण की आशंका भी गहराती जा रही है।

मुख्य वन संरक्षक ने उठाए सवाल

इस मामले की जानकारी तब केंद्र तक पहुंची जब तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक (कार्य योजना) संजीव चतुर्वेदी ने 22 अगस्त को मंत्रालय को भेजे पत्र में मसूरी वन प्रभाग की पुनरीक्षणाधीन कार्य योजना के दौरान सामने आए इस बड़े खुलासे का उल्लेख किया। पत्र में उन्होंने बताया कि सीमा स्तंभों के गायब होने के साथ-साथ वन भूमि पर अतिक्रमण की शिकायतें भी मिली हैं।
अब, केंद्र की ओर से विस्तृत जांच के आदेश के बीच मुख्य वन संरक्षक ने राज्य सरकार द्वारा की जा रही दोबारा जांच प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि जब इस विषय पर पहले ही राज्य स्तरीय स्थायी परामर्शदात्री समिति उच्च स्तर पर अनुमोदन दे चुकी है, तो किसी कनिष्ठ अधिकारी से दोबारा जांच कराना प्रशासनिक परंपराओं के विरुद्ध है और इससे और भ्रम पैदा होगा।

मंत्रालय का कड़ा रुख

पर्यावरण मंत्रालय की सहायक महानिरीक्षक वन (केंद्रीय) नीलिमा शाह की ओर से उत्तराखंड शासन के प्रमुख सचिव (वन) को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि इस मामले में वन संरक्षण अधिनियम-1980 की धारा दो का उल्लंघन सामने आ सकता है। साथ ही धारा तीन-ए के अंतर्गत कड़ी कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार शीघ्र जांच पूरी कर पारदर्शी रिपोर्ट प्रस्तुत करे, ताकि वन भूमि की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

लंबे समय से विवादों में मसूरी वन प्रभाग

मसूरी वन प्रभाग लंबे समय से अतिक्रमण, सीमा निर्धारण की गड़बड़ियों और वन भूमि संरक्षण से जुड़े विवादों में घिरा हुआ है। गायब सीमा स्तंभों की वजह से वन क्षेत्रों की सही सीमांकन प्रक्रिया प्रभावित हो रही है और यह स्थिति अवैध कब्जों को बढ़ावा दे रही है।

केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद अब उत्तराखंड शासन पर दबाव है कि वह इस पूरे मामले की गहन जांच कर दोषियों की जिम्मेदारी तय करे। राज्य सरकार से अपेक्षा की जा रही है कि वह जल्द ही मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट भेजे और यह भी स्पष्ट करे कि गायब स्तंभों और अतिक्रमण के पीछे किसकी लापरवाही या मिलीभगत रही

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