उत्तराखंड में एक और रोपवे बनाने की तैयारी, तीर्थयात्रियों को मिलेगी बड़ी राहत — 4.5 किलोमीटर से अधिक लंबा होगा नीलकंठ रोपवे
उत्तराखंड में तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा को और अधिक सुगम और सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से एक और रोपवे निर्माण की तैयारी जोरों पर है। आने वाले समय में नीलकंठ महादेव मंदिर की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को पैदल मार्ग पर चलने की कठिनाइयों से काफी हद तक राहत मिलेगी। सरकार और प्रशासन मिलकर इस बड़े प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा।
इसी क्रम में, जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल डॉ. आशीष चौहान ने एनआईसी कक्ष में नीलकंठ रोपवे परियोजना को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में परियोजना से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि परियोजना के काम को समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाए और किसी भी प्रकार की देरी न हो। उन्होंने विशेष जोर दिया कि भूमि से संबंधित दस्तावेजों में मौजूद खसरा संख्याओं की त्रुटियों को शीघ्रता से सुधारा जाए ताकि आगे की कार्यवाही में कोई बाधा उत्पन्न न हो।
डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि भूमि अभिलेखों का शुद्धीकरण बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रोपवे परियोजना के लिए बुनियादी कार्यों में से एक है। उन्होंने तहसीलदार यमकेश्वर को निर्देश दिए कि सभी खसरा नंबरों का गहन परीक्षण करें और एक त्रुटिरहित और अद्यतन विवरण तैयार करें, जिसे समय पर शासन को भेजा जा सके। इसके अलावा, जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि खसरा सुधार का कार्य समयसीमा के भीतर पूर्ण होना चाहिए ताकि परियोजना की गति में कोई अवरोध न आए।
जिलाधिकारी ने आगे जानकारी दी कि प्रस्तावित नीलकंठ रोपवे लगभग 4.5 किलोमीटर लंबा होगा और इसके निर्माण पर लगभग 450 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी। उन्होंने बताया कि रोपवे बनने से न केवल तीर्थयात्रियों को यात्रा में सुविधा होगी, बल्कि इससे स्थानीय व्यापार और पर्यटन को भी भारी बढ़ावा मिलेगा। रोपवे के माध्यम से यात्रा का समय भी कम होगा और यात्रा अधिक सुरक्षित तथा आरामदायक होगी।
बैठक में जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी को भी विशेष दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नीलकंठ क्षेत्र में जहां-जहां अतिक्रमण हुआ है, उसे शीघ्र चिन्हित किया जाए और संबंधित कार्यवाही कर अवैध कब्जों को हटाया जाए। इस कार्य को समय पर पूरा करने के लिए उपजिलाधिकारी यमकेश्वर अनिल चन्याल और तहसीलदार साक्षी उपाध्याय को समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश दिए गए।
बैठक में उपजिलाधिकारी यमकेश्वर अनिल चन्याल, तहसीलदार साक्षी उपाध्याय समेत परियोजना से जुड़े अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी भी उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने मिलकर परियोजना को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई।
प्रशासन द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों से स्पष्ट है कि भविष्य में नीलकंठ महादेव मंदिर की यात्रा करना पहले से कहीं अधिक सुगम और आनंददायक होगा। इस रोपवे के निर्माण से उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को भी एक नई गति मिलेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी सकारात्मक दिशा में लाभ पहुंचेगा।