सचिवालय में वर्षों से जमे अफसर अब हटेंगे, मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन ने लागू की नई तबादला नीति
31 जुलाई तक होंगे सभी तबादले, अधिकारियों की अधिकतम तैनाती अवधि निर्धारित
देहरादून। राज्य सचिवालय में लंबे समय से एक ही विभाग या अनुभाग में तैनात अधिकारियों पर अब तबादले की गाज गिरने वाली है। मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन ने सचिवालय प्रशासन को लेकर नई तबादला नीति को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। इस नीति का मकसद प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाना, कार्य संस्कृति को सुदृढ़ करना और एक ही स्थान पर वर्षों से जमे अधिकारियों की जड़ता तोड़ना है।
31 जुलाई तक पूरे होंगे तबादले
मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 31 जुलाई 2025 तक सभी आवश्यक तबादलों की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। इस नीति के तहत वर्षों से सचिवालय के एक ही विभाग या अनुभाग में जमे हुए अधिकारी हटाए जाएंगे और उन्हें नियमानुसार नई जिम्मेदारियां दी जाएंगी।
किस पर लागू होगी नई नीति
यह नीति सचिवालय सेवा संवर्ग के निम्न अधिकारियों पर लागू होगी:
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अनुभाग अधिकारी से लेकर संयुक्त सचिव तक
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समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी
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कंप्यूटर सहायक
इन सभी श्रेणियों के अधिकारियों के लिए एक ही विभाग या अनुभाग में अधिकतम तैनाती की अवधि तय कर दी गई है।
तैनाती की अधिकतम समय-सीमा
| अधिकारी श्रेणी | अधिकतम तैनाती अवधि |
|---|---|
| श्रेणी ‘क’ (संयुक्त सचिव स्तर तक) | 3 वर्ष (एक विभाग में) |
| श्रेणी ‘ख’ (अनुभाग अधिकारी आदि) | 5 वर्ष (एक अनुभाग में) |
| समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी | 5 वर्ष (एक अनुभाग में) |
| कंप्यूटर सहायक | 7 वर्ष (एक अनुभाग में) |
तबादला समिति का गठन
वार्षिक तबादलों के संचालन के लिए एक तबादला समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में शामिल होंगे:
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अध्यक्ष: अपर मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव / सचिव (सचिवालय सेवा में से कोई एक)
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सदस्य: अपर सचिव (सचिवालय प्रशासन) और मुख्य सचिव द्वारा नामित अधिकारी (अपर सचिव स्तर तक)
यह समिति अधिकारियों के सेवा काल, कार्य निष्पादन, आवश्यकता और प्रशासनिक संतुलन जैसे मापदंडों के आधार पर तबादलों की संस्तुति करेगी।
पुरानी नीति प्रभावी नहीं रही थी
गौरतलब है कि वर्ष 2007 में भी सचिवालय के लिए तबादला नीति बनाई गई थी, लेकिन उसे प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया। नतीजतन, कई अधिकारी 10-15 वर्षों से एक ही अनुभाग या विभाग में जमे हुए हैं। इससे न केवल कार्य प्रणाली में निष्क्रियता आई, बल्कि सत्ता समीकरणों और सिफारिशों के चलते तबादले ठप हो गए।
प्रशासनिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम
मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन की यह पहल सचिवालय प्रशासन में जवाबदेही और निष्पक्षता की नई शुरुआत मानी जा रही है। इससे विभागों में नई ऊर्जा आएगी, कर्मचारियों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और जनता से जुड़े कार्यों की गति भी तेज होगी।
नई तबादला नीति से वर्षों से जमी हुई प्रणाली में हलचल मचेगी। यह नीति न केवल पदस्थापन को संतुलित करेगी बल्कि शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। अब देखना होगा कि यह नीति ज़मीनी स्तर पर कितनी प्रभावी साबित होती है।



