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Saturday, April 19, 2025
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कार्तिक स्वामी मंदिर में पीएमओ टीम का दौरा, तीर्थाटन सुविधाओं के विस्तार पर जोर

मंदिर क्षेत्र का पीएमओ टीम ने किया निरीक्षण

पीएमओ की पहल – वायरलेस संचार प्रणाली

उत्तराखंड के चमोली और रुद्रप्रयाग जनपदों के 360 गांवों के आराध्य भगवान कार्तिकेय का पावन धाम कार्तिक स्वामी मंदिर देशविदेश के श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। इस धार्मिक स्थल को राष्ट्रीय तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की दो सदस्यीय टीम ने मंदिर का दौरा किया और यात्री सुविधाओं की संभावनाओं का गहन निरीक्षण किया।

मंदिर तक सुविधाओं के विस्तार की योजना

रुद्रप्रयाग-चोपता-पोखरी मोटर मार्ग पर स्थित यह मंदिर जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के कारण यह मंदिर पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हो रहा है। हाल के वर्षों में इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है, जिससे यात्री सुविधाओं के विस्तार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। पीएमओ टीम ने जिलाधिकारी डॉ. सौरभ गहरवार, उप जिलाधिकारी आशीष चंद्र घिल्डियाल और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर मंदिर परिसर और उसके मार्ग का विस्तृत निरीक्षण किया।

प्राकृतिक सौंदर्य और तीर्थाटन की बढ़ती संभावनाएं

कनकचौंरी से मंदिर तक लगभग साढ़े चार किलोमीटर लंबा मार्ग सघन वन क्षेत्र से होकर गुजरता है। यह इलाका अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, विशेषकर वसंत ऋतु में जब संपूर्ण वन क्षेत्र बुरांश के लाल फूलों से आच्छादित हो जाता है। इस मंदिर का विशेष महत्व केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि दक्षिण भारत के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में यहां आते हैं। बीते कुछ वर्षों में मई-जून के दौरान दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं द्वारा भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) की विशेष पूजा-अर्चना की जाने लगी है। इस दौरान उत्तराखंड सरकार के सहयोग से दक्षिण भारत से विशेष रेल सेवाओं का संचालन भी किया जाता है, जिससे श्रद्धालुओं को यात्रा में सुविधा हो।

मंदिर को वायरलेस सिस्टम से जोड़ने की योजना

पीएमओ की टीम ने मंदिर क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जताई। अधिकारियों के अनुसार, मंदिर को जल्द ही वायरलेस सिस्टम से जोड़ा जाएगा, जिससे किसी भी आपात स्थिति में मंदिर परिसर में संचार सुविधा बनी रहेगी। यह पहली बार है जब पीएमओ की ओर से उच्चस्तरीय अधिकारियों का दल मंदिर क्षेत्र का दौरा करने पहुंचा है, जो इस स्थल को एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में उभारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

श्रद्धालुओं के लिए रोपवे और धर्मशाला निर्माण की मांग

मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कनकचौंरी से मंदिर तक रोपवे निर्माण की मांग की। इस रोपवे के बनने से विशेष रूप से वृद्ध, दिव्यांग और छोटे बच्चों के साथ आने वाले तीर्थयात्रियों को अत्यधिक सहूलियत मिलेगी। इसके अलावा, मंदिर परिसर में पेयजल व्यवस्था को और मजबूत करने तथा श्रद्धालुओं के रात्रि प्रवास के लिए एक धर्मशाला के निर्माण की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई।

अधिकारियों का बयान

विक्रम सिंह नेगी, अध्यक्ष कार्तिक स्वामी मंदिर समिति ने कहा:
“मंदिर को जोड़ने वाली सुविधाओं के विकास के लिए प्रशासन द्वारा गंभीर पहल की जा रही है। मंदिर को जल्द ही वायरलेस संचार प्रणाली से जोड़ा जाएगा, जिससे किसी भी विषम परिस्थिति में संचार व्यवस्था बनी रहेगी। इसके अलावा, यात्रियों की सुविधा के लिए अन्य योजनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।”

आशीष चंद्र घिल्डियाल, उप जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग ने कहा:
“प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की टीम ने मंदिर क्षेत्र और प्रशासनिक व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। यात्रियों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए सुविधाओं के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।”

राष्ट्रीय स्तर पर तीर्थ स्थल के रूप में उभरने की संभावना

कार्तिक स्वामी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह पर्यटन और आध्यात्मिक शांति की दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण स्थल बनता जा रहा है। पीएमओ की टीम के दौरे के बाद यह स्पष्ट संकेत मिला है कि केंद्र सरकार भी इस मंदिर के विकास को लेकर गंभीर है। बुनियादी सुविधाओं में सुधार और यात्रियों के लिए अतिरिक्त व्यवस्थाएं किए जाने से यह मंदिर राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित हो सकता है।

आने वाले वर्षों में मंदिर क्षेत्र में रोपवे, धर्मशाला, संचार प्रणाली और अन्य बुनियादी सुविधाओं के विस्तार से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को एक बेहतर अनुभव मिलेगा, जिससे यह स्थल देश-विदेश के यात्रियों के लिए आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का एक आदर्श केंद्र बन सकता है

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