देहरादून। दिल्ली के विज्ञान भवन में 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया है। इसमें उत्तराखंड की शॉर्ट फिल्म ‘पाताल ती’ को बेस्ट सिनेमेटोग्राफी का अवॉर्ड दिया गया। इसके अलावा ‘एक था गांव’ को अंतिम मिश्रित ट्रैक का री- रिकॉर्डिस्ट के तहत बेस्ट ऑडियोग्राफी के पुरस्कार से नवाजा गया। लघु फिल्म ‘पाताल ती’ को बेस्ट सिनेमेटोग्राफी में शामिल किया गया था।
इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक संतोष रावत है। जबकि, सिनेमेटोग्राफर बिटू रावत हैं. वहीं, बेस्ट नॉन फीचर फिल्म के लिए सृष्टि लखेड़ा की ‘एक था गांव को चुना गया था, जिन्हें विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुरस्कृत किया है।
‘पाताल ती’ फिल्म 39वें बुसान अंतरराष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल कोरिया के लिए भी सिलेक्ट हुई थी। ‘पाताल ती’ एक शॉर्ट फिल्म है, जो भोटिया जनजाति की लोक कथा पर बेस्ड है। इस फिल्म के निर्माण के लिए पूरी टीम ने कड़ी मेहनत की है। टीम ने पहाड़ों पर पैदल चलकर कई ऐसे दृश्य फिल्माए हैं, जो देखने में अकल्पनीय और बेहतरीन हैं। इस शॉर्ट फिल्म का बिट्टू रावत और दिव्यांशु रौतेला ने फिल्मांकन किया है।
बेस्ट नॉन फीचर फिल्म के लिए उत्तराखंड की ‘एक था गांव’ फिल्म का चयन किया गया था। ‘एक था गांव’ फिल्म खाली होते पहाड़ों की पृष्ठभूमि पर बनाई गई है। उत्तराखंड में पलायन की पीड़ा को देखते हुए सृष्टि ने यह फिल्म बनाई। बताया, पहले उनके गांव में 40 परिवार रहते थे और अब पांच से सात लोग ही बचे हैं। लोगों को किसी न किसी मजबूरी से गांव छोड़ना पड़ा। इसी उलझन को उन्होंने एक घंटे की फिल्म के रूप में पेश किया है। फिल्म के दो मुख्य पात्र हैं। 80 वर्षीय लीला देवी और 19 वर्षीय किशोरी गोलू।
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