मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में गड़बड़ी: अफसरों ने खुद के नाम पर लगवा लिए सोलर प्लांट, जांच के आदेश
उत्तराखंड की मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं। आरोप है कि योजना का लाभ आम जनता को देने के बजाय कुछ सरकारी अधिकारियों ने स्वयं या अपने परिजनों के नाम पर सोलर प्लांट लगवा लिए। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव ऊर्जा आर. मीनाक्षी सुंदरम ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर विशेष जांच के निर्देश दिए हैं।
पहले आओ, पहले पाओ की अनदेखी
सरकार ने यह योजना प्रदेश के बेरोजगार युवाओं, प्रवासियों, लघु एवं सीमांत कृषकों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए शुरू की थी। इसके अंतर्गत 20, 25, 50, 100 और 200 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं। चयनित लाभार्थियों को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत सब्सिडी भी मिलती है।
लेकिन अब आरोप है कि कई जिलों में ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की नीति का पालन नहीं हुआ और प्रभावशाली लोगों को प्राथमिकता दी गई।
जिलाधिकारियों को भेजा गया पत्र
प्रमुख सचिव द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि कुछ सरकारी अधिकारियों या उनके परिजनों के नाम पर सोलर प्लांट लगाने की शिकायतें मिली हैं, जो हितों के टकराव (conflict of interest) की स्थिति बनाते हैं। सभी जिलों में अब तक हुए आवंटनों की समीक्षा करने को कहा गया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि योजना पारदर्शी ढंग से लागू हो रही है।
नियम विरुद्ध आवंटन पर सब्सिडी बंद
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी जिले में अनियमित आवंटन सामने आता है, तो उस परियोजना को मिलने वाली राज्य सरकार की सब्सिडी रोक दी जाएगी। इस संबंध में महानिदेशक उद्योग को भी पत्र भेजा गया है।
मजबूत प्रक्रिया के बावजूद चूक
उल्लेखनीय है कि योजना के तहत प्रोजेक्ट आवंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी और मजबूत बनाने के लिए जिला स्तर पर तकनीकी समिति गठित की गई थी। इस समिति द्वारा उपयुक्त पाए गए आवेदनों को डीएम या मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में बनी जिला समिति द्वारा अंतिम मंजूरी दी जाती है।
इसके बावजूद, हालिया खुलासे इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि प्रक्रियागत सख्ती के बावजूद अंदरूनी मिलीभगत से लाभार्थियों का चयन प्रभावित किया गया।