स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राहुल गांधी को हिंदू धर्म से किया बहिष्कृत; इस बयान पर जताया आक्रोश
ज्योतिष्पीठ के प्रमुख स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की घोषणा की है। यह कदम राहुल गांधी के हालिया बयान के बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने मनुस्मृति के बारे में एक विवादास्पद टिप्पणी की थी। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राहुल गांधी का बयान सनातन धर्मियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला था, और इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया न मिलने के कारण उन्होंने राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बाहर करने का निर्णय लिया है।
राहुल गांधी का विवादास्पद बयान और उसके परिणाम
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राहुल गांधी ने संसद में मनुस्मृति के बारे में एक गलत बयान दिया था, जिसे पूरी सनातन धर्मी समुदाय ने गहरी निंदा की थी। उनका यह बयान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से गलत था, बल्कि यह हिंदू धर्म की मूल आस्थाओं को भी कमजोर करता है। स्वामी ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी से इस बयान पर स्पष्टीकरण मांगने का प्रयास किया था, लेकिन जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो यह तय किया गया कि राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत कर दिया जाए। स्वामी के अनुसार, इस तरह के बयान धर्मनिरपेक्ष समाज में भी भ्रामक हो सकते हैं और हिंदू धर्म की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
तीर्थ स्थलों और धर्म स्थलों के प्रति आक्रोश
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक पत्रकार वार्ता में तीर्थ स्थलों की मर्यादा और उनके महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि तीर्थ स्थलों का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था और श्रद्धा को बढ़ावा देना होता है, न कि इसे पर्यटन का हिस्सा बनाना। कुछ लोग तीर्थ स्थलों पर अमर्यादित व्यवहार करते हैं, जो ना केवल वहां की धार्मिक महत्ता को कम करता है, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
स्वामी ने यह भी स्पष्ट किया कि तीर्थाटन और पर्यटन में स्पष्ट अंतर है। तीर्थ स्थलों का उद्देश्य केवल श्रद्धालु के आध्यात्मिक उत्थान के लिए है, जबकि पर्यटन स्थल मनोरंजन और भ्रमण के लिए होते हैं। इस अंतर को समझना बहुत जरूरी है, ताकि तीर्थ स्थलों का पवित्रता बनी रहे और वहां की धार्मिक महत्वता पर कोई आंच न आए।
देवभूमि के दर्शन और आस्था पर ध्यान
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस अवसर पर देवभूमि उत्तराखंड की विशेषता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि देवभूमि आने वाले हर श्रद्धालु के लिए दर्शन की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि कोई श्रद्धालु बिना दर्शन किए वापस न लौटे। देवभूमि से यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि श्रद्धालु दर्शन के बिना लौटे हैं। यह श्रद्धालुओं की आस्था को चोट पहुंचाने जैसा है और इसके परिणामस्वरूप देवभूमि की पवित्रता पर सवाल उठ सकते हैं।
स्वामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को उचित समय पर दर्शन की सुविधा मिले, ताकि उनका धार्मिक अनुभव पूर्ण हो सके और वे देवभूमि से प्रसन्नचित्त होकर लौट सकें।
चार धामों में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने चारों धामों में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर भी अपनी कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि चारों धामों में केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों का ही प्रवेश होना चाहिए। उनके अनुसार, यह धार्मिक स्थल विशेष रूप से हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र हैं, और इन स्थलों की मर्यादा को बनाए रखने के लिए इस तरह के प्रतिबंध जरूरी हैं।
पहलगाम हमले पर श्रद्धांजलि और श्राद्ध कार्यक्रम
स्वामी ने पत्रकार वार्ता के दौरान जम्मू और कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हाल ही में हुए आतंकी हमले में मारे गए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि इस हमले में शहीद हुए जवानों की आत्मा की शांति के लिए ज्योतिर्मठ की ओर से ब्रह्मकपाल में श्राद्ध का आयोजन किया जाएगा। स्वामी ने इस हमले को कायरतापूर्ण बताया और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। उनका कहना था कि आतंकवादियों का उद्देश्य केवल हमारे धर्म, संस्कृति और देश को नुकसान पहुंचाना है, लेकिन हमें उनके नापाक इरादों को नाकाम करना होगा।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का यह बयान न केवल राहुल गांधी के खिलाफ था, बल्कि यह भारतीय समाज में धर्म, आस्था, और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक मजबूत संदेश भी था। उनका कहना था कि भारत के धार्मिक स्थलों और उनकी मर्यादाओं का सम्मान करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है, ताकि हमारे पवित्र स्थल और धार्मिक आस्थाएँ सुरक्षित और संरक्षित रह सकें।