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Tuesday, May 20, 2025
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दून अस्पताल के बाहर मजार तोड़े जाने पर इंसानियत मंच ने जताई नाराजगी

मजार तोड़ने को बताया गलत फैसला
कश्मीरी छात्रों को धमकी देने वालों की गिरफ्तारी की मांग की

देहरादून उत्तराखंड इंसानियत मंच में दून अस्पताल के बाहर सैकड़ों साल पुरानी मजार तोड़े जाने पर नाराजगी जताई है। प्रशासन के इस कदम को मंच ने लोगों की धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है। इसके साथ ही मंच ने देहरादून में रह रहे कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और धमकी देने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।

मंच की एक बैठक में कहा गया कि दून अस्पताल के बाहर की मजार तोड़ना किसी भी हालत में ठीक नहीं था। इससे लोगों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंची है। बैठक के बाद जारी एक प्रेस नोट में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि मजार को तोड़ना किसी साम्प्रदायिक एजेंडा का हिस्सा है। हाल के समय में पूरे राज्य में मजारें तोड़ने और मदरसों को सीज करने का अभियान चलाया गया। समुदाय विशेष को टारगेट करने के लिए जानबूझ कर यह सब किया जा रहा है

मजार

प्रेस नोट में कहा गया कि मजारें भारत में साम्प्रदायिक एकता का प्रतीक रही हैं। मजारों में मुसलमानों से ज्यादा हिन्दू समुदाय के लोग दुआ मांगने जाते हैं। मजारें उन सूफी संतों की होती हैं, जो धार्मिक आडंबरों के बजाय प्रेम और भाईचारें में विश्वास रखते थे और जिन्होंने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए इस्लाम के कठोर नियमों की जगह संगीत को तरजीह दी। सूफी संतों द्वारा ईजाद की गई कव्वालियो में प्रेम, जीवन और ईश्वर के कई गहन रहस्य छिपे होते हैं। लगता है कि साम्प्रदायिक सौहार्द के इन प्रतीकों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।

प्रेस नोट में यह भी कहा गया है प्राचीन मजारों को तोड़कर शहर के पुराने स्वरूप को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। देहरादून का हर पुराना वाशिंदा दून अस्पताल की मजार में आस्था रखता है। इतना ही नहीं दून अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों के लिए यह मजार बुरे वक्त में सहारा बनती थी। लोग यहां परिजन के स्वस्थ होने की दुआ मांगते थे।

यह भी कहा गया कि दून अस्पताल की मजार अस्पताल से पुरानी थी। यह  बहुत छोटी थी और किसी तरह का कोई व्यवधान भी नहीं डालती थी। इसके बावजूद मजार हटानी थी तो आपसी राय-मशविरे के बाद किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट की जा सकती थी, लेकिन ऐसा न करके रात के अंधेरे में सीएम पोर्टल पर शिकायत की आड़ में मजार तोड़ी गई।

बैठक में पहलगाम की घटना के बाद देहरादून में पढ़ाई कर रहे छात्रों को देहरादून को छोड़ने की धमकी दिये जाने पर भी रोष जताया गया और इस तरह की धमकी देने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई।
इसके साथ ही चकराता में स्पेशल फ्रंटियर फोर्स द्वारा चर्च के रास्ते को बंद किये जाने और ईसाई समुदाय के लोगों को परेशान किये जाने की भी निन्दा की गई। मंच ने इन तीनों मामलों को लेकर सोमवार को सुबह 11 बजे विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर डीएम के माध्यम से राज्यपाल ज्ञापन देने का भी निर्णय लिया है।
इस बैठक में डॉ. रवि चोपड़ा, कमला पंत, निर्मला बिष्ट, नन्द नन्दन पांडेख्, त्रिलोचन भट्ट, तुषार रावत आदि मौजूद थे।

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