उत्तराखंड: समूह-ग वर्दीधारी पदों पर पूर्व अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण
क्षैतिज आरक्षण नियमावली – 2025 के जरिए अब सेवामुक्त हुए अग्निवीरों को विभिन्न विभागों के वर्दीधारी पदों पर 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
उत्तराखंड के मूल और स्थायी निवासी पूर्व अग्निवीरों को अब राज्य सरकार की ओर से एक बड़ा लाभ मिलने जा रहा है। कार्मिक विभाग द्वारा जारी की गई नई नियमावली के अनुसार समूह-ग के वर्दीधारी पदों पर भर्ती के दौरान पूर्व अग्निवीरों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिलेगा। यह आरक्षण पांच प्रमुख विभागों – गृह विभाग, वन विभाग, आबकारी विभाग, परिवहन विभाग और सचिवालय प्रशासन विभाग – में होने वाली विभिन्न भर्ती परीक्षाओं और सीधी भर्तियों में लागू होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले वर्ष यह घोषणा की थी कि भारतीय सेना से सेवामुक्त हुए अग्निवीरों को उत्तराखंड राज्य की विभिन्न सेवाओं में आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। अब उनकी यह घोषणा धरातल पर उतर चुकी है और नियमावली भी जारी कर दी गई है। इससे पूर्व अग्निवीरों को न केवल रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि उन्हें राज्य की सेवा करने का अवसर भी मिलेगा।
इस नियमावली के तहत सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना में अग्निवीर के रूप में सेवाएं दे चुके पूर्व सैनिकों को सीधी भर्ती प्रक्रिया में शारीरिक दक्षता परीक्षा (Physical Efficiency Test) से छूट प्रदान की जाएगी। साथ ही, उन्हें भारतीय सेना में अग्निवीर के रूप में की गई कुल सेवा अवधि के बराबर अधिकतम आयु सीमा में भी छूट मिलेगी। यानी यदि किसी अग्निवीर ने चार वर्ष की सेवा की है तो उसे चार वर्ष की अतिरिक्त आयु छूट का लाभ प्राप्त होगा। यह प्रावधान उन युवाओं के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगा जिन्होंने देश की सेवा पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ की है।
इन पदों पर मिलेगा आरक्षण का लाभ
नियमावली के अनुसार अग्निवीरों को गृह विभाग में पुलिस आरक्षी (नागरिक पुलिस/पीएसी), उप निरीक्षक नागरिक पुलिस, प्लाटून कमांडर पीएसी, अग्निशामक, अग्निशमन द्वितीय अधिकारी, बंदी रक्षक, उप कारापाल जैसे पदों पर आरक्षण मिलेगा। वन विभाग में वन आरक्षी और वन दरोगा की भर्ती में यह प्रावधान लागू होगा। इसी प्रकार आबकारी विभाग में आबकारी सिपाही, परिवहन विभाग में प्रवर्तन सिपाही और सचिवालय प्रशासन विभाग में सचिवालय रक्षक के पद भी इस आरक्षण के दायरे में शामिल किए गए हैं।
इस फैसले के माध्यम से सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश की सेवा कर लौटे हुए अग्निवीर समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सकें और उन्हें भविष्य की चिंता न करनी पड़े। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा कि पूर्व अग्निवीर प्रदेश का गौरव हैं। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में देश की सेवा की है, इसलिए उन्हें सम्मान और रोजगार का अवसर देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल सेवामुक्त हुए अग्निवीरों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम है, बल्कि यह उन्हें समाज में एक नई पहचान और आत्मनिर्भरता भी प्रदान करेगा।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार पूर्व सैनिकों और अग्निवीरों को हर संभव सहायता और सेवायोजन का प्रयास कर रही है। इस आरक्षण से हजारों युवाओं को लाभ मिलेगा और वे अपने अनुभव, अनुशासन और समर्पण की भावना के साथ राज्य की विभिन्न सेवाओं में योगदान दे सकेंगे। यह निर्णय निश्चित ही उत्तराखंड में रोजगार सृजन और पूर्व अग्निवीरों के पुनर्वास की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।