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Monday, October 14, 2024
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उत्तराखण्ड पुलिस व गृह मंत्रालय की टीम ने दक्षिण एशिया में सिम कार्ड भेजने वाले सिम कार्टेल का किया गया भंडाफोड़

20 हजार से ज्यादा सिम कार्ड थाईलैण्ड, कम्बोडिया, म्यामांर भेजे

अन्तर्राष्ट्रीय साइबर अपराधियों को फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराने वाला मंगलौर क्षेत्र से गिरफ्तार

देहरादून। उत्तराखण्ड पुलिस व गृह मंत्रालय की टीम ने दक्षिण एशिया में सिम कार्ड भेजने वाले सिम कार्टेल का भंडाफोड़ कर एक साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया है। अभियुक्त के कब्जे से 1816 सिम कार्डस, दो चेक बुक, 5 मोबाइल फोन व 2 बायोमैट्रिक डिवाइस बरामद की गई।

गिरफ्तार अपराधी ने थाना मंगलौर क्षेत्र में घर घर जाकर कई महिलाओं को फर्जी सरकारी स्कीम अथवा कंपनी की ओर से कप का सेट देने का लालच देकर उनके आधार कार्ड आदि दस्तावेज व बायोमैट्रिक मशीन पर अंगूठा निशानी लेकर फर्जी तरीके से हजारों सिम कार्डस को एक्टिवेट किया।

अभियुक्त ने फर्जी तरीके से प्राप्त इन हजारों सिम कार्ड को चाइनीज व कम्बोडिया से संचालित व्हाट्सएप ओटीपी ग्रुप के माध्यम से साइबर ठगों को तीन रुपये से लेकर 50 रुपये प्रति ओटीपी के हिसाब से बेचे ।

चाइनीज व कम्बोडिया से संचालित उक्त व्हाट्सएप ओटीपी ग्रुप के माध्यम से सुदूर विदेशों में बैठे अन्य अभियुक्तों के द्वारा इन भारतीय सिमों पर व्हाट्सएप व अन्य एप्लिकेशन्स एक्टिवेट कर व्हाट्सएप कॉलिंग कर या इंस्टाग्राम पर मासूम लोगों को अपने जाल में फंसा कर ट्रेडिंग/इन्वेस्टमेंट के नाम पर व अन्य लालच देकर पूरे भारतवर्ष में की जा साइबर ठगी हो रही थी।

पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था नीलेश ने बताया कि माह अप्रैल-2024 में माजरी माफी मोहकमपुर देहरादून निवासी एक शिकायतकर्ता की तहरीर के आधार पर थाना नेहरु कॉलोनी जनपद देहरादून पर दर्ज मुकदमे की विवेचना एस0टी0एफ0/साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को प्राप्त हुई थी ।

पीडित ने बताया कि वह पिछले आठ महीने से फेसबुक पर कथित कल्याणी निवासी चेन्नई नामक फेसबुक फ्रेंड के सम्पर्क में था जिसके द्वारा Metal Advisor का कार्य करना बताया गया था । और वह किसी वेबसाइट पर लोगों को पैसा इन्वेस्ट कर तीनगुना मुनाफा कमाने को कहती थी। उसके द्वारा फेसबुक पर कई ऐसी चैट के स्क्रीनशॉट डाले गये थे जिसमें लोगों ने तीन गुना फायदा होने की बात स्वीकार की गयी थी। उसके द्वारा कई महीनों तक नोटिस करने के बाद खुद भी इन्वेस्टमेण्ट करने का फैसला किया।

फिर उसे अपने व्हाट्सएप नम्बर दिये गये और फिर व्हाट्सएप पर एक website का link भेजकर बताया कि कैसे- कैसे उसे उस website पर अपना user ID बनाना है और भी क्या-क्या करना है। फिर एक प्रोग्रामर का व्हाट्सएप नम्बर दिया जिसके द्वारा बताना शुरू किया कि क्या करना है website पर कहा जाना है कौन सा link open करना है आदि आदि।

उन पर विश्वास कर वह उनके बताये अनुसार वैसा-वैसा करता गया और सबसे पहले 10,000/- रुपये इन्वेस्ट किये जिसका मुनाफा दो दिन के अन्दर कुल रुपये 23,776/- उसके बैंक अकाउण्ट में आ गये। उसके बाद उसने 25,000/- रुपये इन्वेस्ट किये तो बताया कि Management के द्वारा limit Minimum 50,000 रूपये कर दिये हैं जिसके लिये आपको 25 हजार रुपये और इन्वेस्ट करने होंगे नहीं तो पहले के 25 हजार भी नहीं निकाल पाओगे। उसके द्वारा 25 हजार का नुकसान बचाने के लिये और 25 हजार रुपये उनके बताये गये खाते में इन्वेस्ट हेतु जमा कर दिये गये। और उन्हें पहले की तरह गाइड करने को कहा ताकि मैं पैसा निकाल सकूं। किन्तु उनके द्वारा पुनः पॉलिसी बदलने की बात कहकर और एक लाख रुपया जमा करने को कहा गया। शक होने पर जब उसके द्वारा साइबर क्राइम को रिपोर्ट करने की बात कही तो उसका नं0 ब्लॉक कर दिया गया और वह Website- td network.info एवं tdnetwork.top भी बन्द आ रहे हैं।

प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 ने घटना के शीघ्र अनावरण हेतु पुलिस उपाधीक्षक साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून की संयुक्त पुलिस टीम गठित की ।विवेचक निरीक्षक विकास भारद्वाज के नेतृत्व में गठित टीम ने घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया और प्राप्त डेटा का गहनता से विश्लेषण करते हुये तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र किये गये।

साथ ही विवेचना से यह तथ्य भी प्रकाश में आये कि घटना में प्रयुक्त कॉलिंग मोबाइल नम्बर धारक महिलाओं से घटना के मास्टर माइण्ड अभियुक्त द्वारा सरकारी स्कीम के तहत कप का सेट देने की बात कहकर उनका आधार कार्ड, फोटो व एक मशीन पर अंगूठे का निशान लिया था व उन्हें धोखे में रखकर व झूठ बोलकर उनकी आई0डी0 पर सिम कार्ड निकलवाया गया है।

जांच टीम ने घटना में संलिप्त मुख्य अभियुक्त को चिन्ह्ति किया गया एवं तलाश जारी करते हुये कई स्थानों पर दबिश दी गयी ।
आखिरकार साइबर पुलिस टीम ने मुख्य अभियुक्त सोहिल (काल्पनिक नाम) निवासी मंगलौर जनपद हरिद्वार को गिरफ्तार किया गया। कब्जे से 1816 सिम कार्डस, दो चैक बुक, 05 मोबाइल फोन व 02 बायोमैट्रिक डिवाइस बरामद हुई।
मामले की विवेचना इंस्पेक्टर विकास भारद्वाज ने की, जिनका सहयोग एडिशनल एसपी चंद्रमोहन सिंह एवं पुलिस उपाधीक्षक आरवी चमोला की देखरेख में एसटीएफ इंस्पेक्टर एनके भट्ट और उनकी टीम ने किया उन्होंने डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा को मामले की बारीकी से निगरानी करने का निर्देश दिया. डिप्टी एसपी मिश्रा ने मोबाइल नंबरों का विश्लेषण करने के लिए I4C, गृह मंत्रालय के साथ समन्वय किया और पूरे भारत में कई आपराधिक शिकायतें मिलीं।

गृह मंत्रालय के I4C द्वारा उत्तराखंड पुलिस को सहायता प्रदान की गई। इसके लिए हम सीईओ I4C डॉ. राजेश कुमार, निदेशक I4C रूपा एम, उप निदेशक मुनीश दत्त, वरिष्ठ फोरेंसिक विश्लेषक रूशी मेहता को धन्यवाद देते हैं।

गिरफ्तार अभियुक्त का नाम पता-
सोहिल (काल्पनिक नाम) निवासी मंगलौर, जनपद हरिद्वार।

गिरफ्तारी- 29.09.2024
बरामदगी- 1816 सिमकार्ड, दो चैक बुक, 05 मोबाइल फोन व 02 बायोमैट्रिक डिवाइस*

गिरफ्तारी पुलिस टीम-
1-निरी0 विकास भारद्वाज
2- निरी0 नन्द किशोर भट्ट
3- उ0नि0 विपिन बहुगुणा
4- उ0नि0 राजीव सेमवाल
5- अपर उ0नि0 मनोज बेनीवाल
6- अपर उ0नि0 देवेन्द्र भारती
7- हे0का0 प्रमोद कुमार
8- हे0कॉन्स0 देवेन्द्र मंमगाई
9-हे0कॉन्स0 प्रमोद
10-कॉन्स0 नितिन कुमार
11-कानि0 शादाब अली
12-कानि0 मोहित जोशी

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