मंदिर परिसर में 30 मीटर के दायरे में मोबाइल पर प्रतिबंध बदरीनाथ–केदारनाथ में अब नहीं बना सकेंगे रील्स और वीडियो
चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से शुरू, दर्शन व्यवस्था को लेकर बीकेटीसी सख्त
देवभूमि उत्तराखंड में आगामी चारधाम यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। इस वर्ष यात्रा 30 अप्रैल से आरंभ हो रही है। 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। इसी के साथ सरकार और बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) ने इस बार भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है।
BKTC के अनुसार, इस बार बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर परिसर के 30 मीटर के दायरे में वीडियो और सोशल मीडिया रील बनाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। इतना ही नहीं, मंदिर परिसर में मोबाइल फोन के उपयोग पर भी रोक लगाई जा रही है। यह फैसला मुख्यमंत्री के निर्देश पर लिया गया है ताकि श्रद्धालुओं को भीड़भाड़ से मुक्त, शांतिपूर्ण और व्यवस्थित दर्शन का अनुभव मिल सके।
पिछली यात्राओं में यह देखा गया कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में वीडियो और रील्स बनाने में जुट जाते थे, जिससे दर्शन पंक्ति बाधित होती थी और कई श्रद्धालुओं को असुविधा होती थी। मोबाइल से शूटिंग के चक्कर में मंदिर परिसर में अनावश्यक भीड़ जमा हो जाती है, जिससे न केवल सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि श्रद्धा और अनुशासन का माहौल भी भंग होता है।
BKTC के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि इस बार यात्रा को अधिक सुगम और अनुशासित बनाने के लिए कई नई व्यवस्थाएं लागू की जा रही हैं। “श्रद्धालुओं को दर्शन में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए BKTC पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है,” उन्होंने कहा।
सोशल मीडिया पर निगरानी भी होगी सख्त
मंदिर समिति ने यह भी स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर भ्रामक और असत्य जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। समिति एक निगरानी टीम का गठन करने पर भी विचार कर रही है जो सोशल मीडिया गतिविधियों पर नजर रखेगी और जरूरत पड़ने पर कानूनी कदम उठाएगी।
श्रद्धालुओं से अपील
BKTC और राज्य सरकार ने तीर्थयात्रियों से अपील की है कि वे धार्मिक मर्यादा और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें, और यात्रा को श्रद्धा, अनुशासन और सहयोग की भावना से पूर्ण करें। मंदिर परिसर में मोबाइल प्रतिबंध का उद्देश्य किसी की आस्था को ठेस पहुँचाना नहीं, बल्कि सामूहिक अनुभव को बेहतर और व्यवस्थित बनाना है।
चारधाम यात्रा हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक जुड़ाव का अवसर देती है। इस बार की यात्रा, डिजिटल युग के अनावश्यक दिखावे से हटकर, श्रद्धा और अनुशासन की मिसाल बन सकती है—यदि सभी यात्री प्रशासन के निर्देशों का सहयोगपूर्वक पालन करें।