रामबाड़ा-गरुड़चट्टी पुराने मार्ग के पुनर्जीवन का कार्य फिर शुरू, केदारनाथ यात्रा होगी सुगम
केदारनाथ धाम तक की यात्रा को सुगम बनाने और गरुड़चट्टी को पुनः आबाद करने के उद्देश्य से रामबाड़ा के पुराने मार्ग को पुनर्जीवित करने का कार्य दोबारा शुरू कर दिया गया है। बर्फबारी के कारण कुछ समय से रुका यह कार्य अब तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। वर्तमान में लगभग 70 मज़दूर पहाड़ी काटने और रास्ता बनाने में जुटे हुए हैं।
इस मार्ग की लंबाई 5.35 किमी और चौड़ाई लगभग 1.8 मीटर है। यह रास्ता रामबाड़ा से गरुड़चट्टी होते हुए केदारनाथ तक जाएगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार वर्ष के मध्य तक यह कार्य पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद यह मार्ग वन-वे यात्रा के रूप में उपयोग में लाया जाएगा, जिससे केदारनाथ यात्रा कुछ हद तक आसान हो जाएगी।
पुराने रास्ते से लौटेगी गरुड़चट्टी की रौनक
गरुड़चट्टी वह पावन स्थल है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अस्सी के दशक में लगभग तीन माह तक साधना की थी। वे प्रतिदिन यहां से केदारनाथ मंदिर जाया करते थे और बाबा केदार के दर्शन कर जलाभिषेक करते थे। वरिष्ठ तीर्थपुरोहित श्रीनिवास पोस्ती बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का इस स्थान से विशेष भावनात्मक जुड़ाव है। वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री बनने के बाद जब वह पहली बार केदारनाथ धाम पहुंचे थे, तो उन्होंने गरुड़चट्टी में बिताए पलों को सार्वजनिक रूप से याद किया था और उस समय के लोगों का भी ज़िक्र किया था।
रामबाड़ा-गरुड़चट्टी मार्ग का महत्व
16-17 जून 2013 को आई भीषण केदारनाथ आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक का लगभग आठ किलोमीटर पैदल मार्ग पूरी तरह से नष्ट हो गया था। इस आपदा के बाद गरुड़चट्टी पूरी तरह वीरान हो गया था और यहां का संपर्क केदारनाथ से टूट गया था।
आपदा के बाद वर्ष 2014 में नया मार्ग तैयार किया गया, जो मंदाकिनी नदी के बाईं ओर से होते हुए रामबाड़ा से केदारनाथ तक 9 किमी लंबा बना। बीते एक दशक से यही मार्ग यात्रा के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।
लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने जून 2023 में रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराने मार्ग को पुनर्जीवित करने का कार्य 200 मज़दूरों के साथ शुरू किया था। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद 5.35 किमी लंबे इस मार्ग का लगभग चार किमी हिस्सा पूरा कर लिया गया है।
फरवरी 2024 के अंत में भारी बर्फबारी के कारण कार्य को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा था। दो दिन पूर्व पुनः इसे शुरू किया गया है और इस बार 70 मज़दूर कार्य में जुटे हुए हैं। अधिशासी अभियंता विनय झिक्वाण ने बताया कि जुलाई 2025 तक कटान, सुरक्षा दीवार, पत्थर बिछाने और पैराफिट का कार्य पूरा करने का लक्ष्य है।
श्रद्धालुओं को मिलेगा नया अनुभव
इस मार्ग के तैयार होने के बाद श्रद्धालु केदारनाथ यात्रा के दौरान एक अलग ही अनुभव ले सकेंगे। वे पुराने रास्ते से यात्रा करते हुए गरुड़चट्टी में रुककर हनुमान जी और गरुड़ जी के दर्शन कर सकेंगे। वर्ष 2017-18 में गरुड़चट्टी से केदारनाथ तक लगभग तीन किमी रास्ता पहले ही तैयार किया जा चुका है और इसे जोड़ने के लिए मंदाकिनी नदी पर स्टील गार्डर पुल भी बनाया गया है।
इस तरह यह मार्ग न केवल यात्रा को आसान बनाएगा बल्कि प्रधानमंत्री की साधना स्थली गरुड़चट्टी में फिर से रौनक लौटाएगा, जो पिछले 11 वर्षों से वीरान पड़ा हुआ था।