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Friday, September 26, 2025
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यमुनोत्री धाम की सुरक्षा योजनाएं ठप, 17 करोड़ के टेंडर पर रोक

यमुनोत्री धाम की सुरक्षा पर संकट, 17 करोड़ के कार्य अधर में लटके, मंदिर समिति ने जताई नाराजगी

यमुनोत्री धाम की सुरक्षा व्यवस्था एक बार फिर लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। धाम में सुरक्षा को लेकर किए जा रहे बड़े-बड़े दावों के बावजूद ज़मीनी हालात बेहद चिंताजनक हैं। सिंचाई विभाग द्वारा प्रस्तावित करीब 17 करोड़ रुपये के सुरक्षात्मक कार्यों के टेंडर अब तक जारी नहीं हो पाए हैं, जिससे न केवल कार्यों में देरी हो रही है बल्कि धाम की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

धाम में फिलहाल यात्रा सीजन शुरू हो चुका है और प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। बावजूद इसके, धाम की सुरक्षा के लिए आवश्यक संरचनात्मक कार्य अधर में लटके हुए हैं। यमुनोत्री मंदिर समिति ने इस स्थिति पर गहरी नाराजगी जताई है और कहा है कि हर वर्ष केवल आश्वासन दिए जाते हैं, जबकि धाम की सुरक्षा और संरचनात्मक विकास पर कोई ठोस कार्य नहीं हो रहा।

सिर्फ 15 मीटर दीवार, वह भी बिना टेंडर

सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता पन्नी लाल के अनुसार, अब तक मात्र 15 मीटर लंबी और आठ मीटर ऊंची सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया है, वह भी बिना किसी औपचारिक टेंडर प्रक्रिया और भुगतान के। उन्होंने बताया कि यह काम आपातकालीन हालात को देखते हुए कराया गया, ताकि रसोईघर के पास यमुना के जलस्तर में अचानक वृद्धि से संभावित नुकसान को रोका जा सके।

लेकिन धाम की संपूर्ण सुरक्षा के लिए यह नाकाफी है। अधिशासी अभियंता ने स्पष्ट किया कि जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम तक सुरक्षा दीवारों, घाटों और पुलियों के निर्माण जैसे कई बड़े कार्य अभी कागजों में ही सिमटे हुए हैं।

मंदिर समिति ने जताई गहरी नाराजगी

यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुनील उनियाल ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा,

“हर साल केवल आश्वासन दिए जाते हैं, पर यमुनोत्री धाम की उपेक्षा निरंतर जारी है। इस बार भी केवल रसोईघर के पास सीमित सुरक्षा कार्य हुआ है, जिससे कुछ हद तक ही राहत मिल सकती है। लेकिन मंदिर क्षेत्र की पूरी सुरक्षा के लिए घाटों, सुरक्षा दीवारों और हेलीपैड मार्ग की पुलिया का निर्माण बेहद जरूरी है।”

समिति ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते सुरक्षा कार्यों को अंजाम नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में धाम को प्राकृतिक आपदाओं से भारी क्षति का सामना करना पड़ सकता है। विशेष रूप से मानसून के दौरान यमुना का जलस्तर बढ़ने पर हालात और गंभीर हो सकते हैं।

प्रशासनिक दावे और हकीकत में फासला

पूर्व जिलाधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट ने अपने कार्यकाल में भारी मशीनों की उपलब्धता के बाद जल्द काम शुरू होने का दावा किया था। लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया और अब स्थानीय लोग तथा मंदिर समिति प्रशासन की नीयत पर सवाल उठा रही है।

मंदिर समिति का यह भी कहना है कि निर्माण एजेंसियों को मौके पर रहकर गुणवत्तापूर्ण कार्य करना चाहिए ताकि बजट का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके और यात्रियों तथा धाम की सुरक्षा के लिहाज से कोई जोखिम न रहे।

यात्रा सीजन में जोखिम

वर्तमान में यात्रा सीजन पूरे जोर पर है। हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन यमुनोत्री धाम पहुंच रहे हैं, लेकिन धाम में बुनियादी सुरक्षा ढांचे की कमी न केवल उनकी सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि भविष्य में पर्यटन पर भी नकारात्मक असर डाल सकती है।

यात्रियों और स्थानीय लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द लंबित टेंडरों की प्रक्रिया पूरी की जाए और निर्माण कार्य युद्धस्तर पर शुरू किए जाएं ताकि पवित्र धाम को किसी भी प्राकृतिक आपदा या दुर्घटना से बचाया जा सके

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