मलबे के नीचे तलाश रही जिंदगी: 238 लोगों को एयरलिफ्ट, 100 से अधिक के मलबे में दबे होने की आशंका
उत्तरकाशी/धराली। उत्तरकाशी जिले के धराली और आसपास के सैलाब प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य तेज हो गया है। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें युद्धस्तर पर खोज एवं रेस्क्यू अभियान में जुटी हैं। हर्षिल, गंगोत्री और झाला से अब तक 238 लोगों को सुरक्षित एयरलिफ्ट किया जा चुका है। गंगोत्री हाईवे छोटे वाहनों के लिए खोल दिया गया है, जबकि लिमचा गाड में बेली ब्रिज निर्माण की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके पर रहकर लगातार हालात की निगरानी कर रहे हैं।
आपदा के तीसरे दिन बचाव कार्य में तेजी
खीर गंगा का उफान थमने के साथ ही धराली में जिंदगी की तलाश तेज हो गई है। गुरुवार को मौसम अनुकूल रहने और धूप खिलने से बचाव कार्य को रफ्तार मिली। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस-प्रशासन की संयुक्त टीमें दिनभर मलबा हटाकर फंसे लोगों की तलाश करती रहीं। चिनूक और अन्य हेलीकॉप्टरों ने मोर्चा संभालते हुए धराली, हर्षिल, गंगोत्री और झाला में फंसे स्थानीय निवासियों व तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
अब तक 238 लोगों को सकुशल निकाले जाने की आधिकारिक पुष्टि हुई है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों से दो शव बरामद किए गए हैं, जबकि सेना के नौ जवानों समेत 19 लोग लापता हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि 100 से अधिक लोग अब भी मलबे में दबे हो सकते हैं।
घायल और प्रभावितों के लिए इलाज व राहत शिविर
आपदा में घायल नौ लोगों को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है। पांच गंभीर घायलों में से तीन को एम्स ऋषिकेश और दो को मिलिट्री अस्पताल भेजा गया है। प्रभावितों को अस्थायी राहत शिविरों में रखा गया है और राहत सामग्री की आपूर्ति भी तेज हो गई है।
गंगोत्री हाईवे को सीमा सड़क संगठन ने चड़ेती और पापड़गाड के पास छोटे वाहनों के लिए बहाल कर दिया है। लिमचा गाड में ध्वस्त पुल की जगह बेली ब्रिज निर्माण का कार्य शुरू हो गया है, जबकि डबराणी में क्षतिग्रस्त सड़क की बहाली अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।
मुख्यमंत्री धामी मौके पर डटे, लगातार ले रहे अपडेट
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरुवार को भी उत्तरकाशी में मौजूद रहे। उन्होंने पहले पौड़ी के पाबौ में आपदा प्रभावितों का हालचाल लिया, फिर उत्तरकाशी लौटकर मोर्चा संभाला। सीएम ने जिला अस्पताल पहुंचकर घायलों का हाल जाना और राहत कार्यों की समीक्षा की।
मंगलवार को आई विनाशकारी बाढ़ ने गंगोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव ‘वाइब्रेंट विलेज’ धराली को पूरी तरह तबाह कर दिया। कई होटल, दुकानें और मकान मलबे में दब गए। बिजली, पानी और संचार व्यवस्था ठप है। सैलाब आते देख कुछ लोग भागकर बच निकले, लेकिन कई को संभलने का समय तक नहीं मिला और वे मलबे में दब गए।
राहत व बचाव में आ रही चुनौतियां
बुधवार तक भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण राहत कार्य बाधित रहे। गंगोत्री हाईवे कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त था, जिससे टीमें आगे नहीं बढ़ पा रही थीं। गुरुवार को मौसम खुलने के बाद अभियान ने रफ्तार पकड़ी। बचाव दल दलदल और मलबे में रास्ता बनाकर, कई स्थानों पर टिन की चादरें बिछाकर, प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच रहे हैं।
हेलीकॉप्टरों से गंगोत्री, हर्षिल और झाला में फंसे लोगों को मातली हेलीपैड लाया गया, जहां से उन्हें सुरक्षित उनके गंतव्य तक भेजा गया।
112 लोगों को चिनूक से देहरादून लाया गया
सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर ने हर्षिल आर्मी कैंप से 112 विभिन्न राज्यों के यात्रियों को देहरादून एयरपोर्ट पहुंचाया, जहां से उन्हें बसों द्वारा देहरादून और ऋषिकेश के बस अड्डों तक भेजा गया। सभी यात्रियों की स्वास्थ्य जांच कर उन्हें घरों के लिए रवाना किया गया। इस दौरान देहरादून जिलाधिकारी सविन बंसल, एसएसपी अजय सिंह, मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह और एसडीएम अपर्णा ढोंडियाल मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री का संदेश
“राहत एवं बचाव अभियान लगातार जारी है। प्रभावितों को हरसंभव मदद उपलब्ध कराई जा रही है। खाद्यान्न सामग्री भी हेलीकॉप्टर से धराली और हर्षिल तक पहुंचाई जा रही है।”
— पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड



