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Friday, September 26, 2025
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भाजपा विधायक भगत सड़क पर उतरे, पार्षद उत्पीड़न का जताया विरोध

भाजपा विधायक बंशीधर भगत पार्षद उत्पीड़न के विरोध में धरने पर बैठे, पुलिस प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप

हल्द्वानी। हल्द्वानी की राजनीति में मंगलवार को उस समय अचानक हलचल तेज हो गई जब वरिष्ठ भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री बंशीधर भगत अपने ही पार्टी पार्षद अमित बिष्ट के कथित उत्पीड़न को लेकर सड़क पर धरने पर बैठ गए। विधायक भगत ने कोतवाली के सामने समर्थकों के साथ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।

धरने के दौरान सैकड़ों कार्यकर्ता और स्थानीय लोग भी मौके पर पहुंच गए। समर्थकों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भगत ने आरोप लगाया कि पुलिस ने भाजपा पार्षद अमित बिष्ट के साथ अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार किया है, जो कतई स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्षद के सम्मान और अधिकारों की रक्षा करना भाजपा संगठन और जनप्रतिनिधियों की प्राथमिक जिम्मेदारी है।

पुलिस कप्तान मौके पर पहुंचे

धरने की सूचना मिलते ही नैनीताल के एसएसपी पीएन मीणा मौके पर पहुंचे और विधायक भगत को समझाने की कोशिश की। उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए आश्वासन दिया कि पूरे प्रकरण की जांच निष्पक्ष तरीके से कराई जाएगी। हालांकि, विधायक भगत पुलिस के रवैये से असंतुष्ट नजर आए। उन्होंने SSP की कार्यशैली पर भी नाराजगी जताई और साफ कहा कि यदि पार्षद के साथ हुई घटना की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

गरमाई हल्द्वानी की राजनीति

धरने के चलते माहौल काफी गरमा गया। स्थानीय नागरिकों और भाजपा कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या मौके पर मौजूद रही। समर्थकों ने लगातार पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए और पार्षद के पक्ष में आवाज बुलंद की।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों से पहले हल्द्वानी की सियासत को एक नए मोड़ पर ले जा सकता है। भाजपा के भीतर ही यह विरोध पार्टी और प्रशासन के रिश्तों पर सवाल खड़े करता है।

प्रशासन पर बढ़ा दबाव

धरना और विरोध प्रदर्शन के चलते प्रशासन और पुलिस पर दबाव साफ नजर आया। एक ओर जहां पुलिस अधिकारियों को जवाबदेही देनी पड़ रही है, वहीं दूसरी ओर जनता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी से हालात और चुनौतीपूर्ण हो गए हैं।

वर्तमान में धरना स्थल पर संवाद और समझाने की कोशिशें जारी हैं। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन इस विवाद को किस तरह शांतिपूर्वक सुलझाता है और पार्षद के कथित उत्पीड़न मामले की जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है

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