हरिद्वार में भूमि खरीद पर सख्ती: रुड़की में 300 से अधिक प्लॉट जांच के घेरे में, बाहरी खरीदारों पर शक की सुई
हरिद्वार – उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य में जमीन की अनियंत्रित खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए लागू भू-कानून के तहत अब हरिद्वार जनपद में सख्त कार्रवाई शुरू हो गई है। शासन के निर्देश पर रुड़की तहसील में 250 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले 300 से अधिक प्लॉटों की जांच शुरू की गई है। ये सभी प्लॉट बाहरी राज्यों के व्यक्तियों द्वारा खरीदे गए हैं, जिनके उपयोग और बैनामा प्रक्रिया की विस्तृत जांच की जा रही है।
भू-कानून का उल्लंघन करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू भू-कानून के अनुसार, राज्य के बाहर का कोई भी व्यक्ति उत्तराखंड में अधिकतम 250 वर्ग मीटर भूमि ही खरीद सकता है। साथ ही यह सीमा प्रति परिवार एक व्यक्ति तक ही सीमित है। यानी एक ही परिवार के कई सदस्य मिलकर अलग-अलग नामों से अधिक भूमि नहीं खरीद सकते।
हाल ही में शासन को इस बात की जानकारी मिली कि कुछ परिवारों ने इस नियम की आड़ में एक ही परिवार के सदस्यों के नाम पर कई छोटे-छोटे प्लॉट खरीदकर कुल मिलाकर बड़ी भूमि पर कब्जा कर लिया है। इस तरह के मामलों की पुष्टि होने पर सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं।
रुड़की में 300 प्लॉट आए रडार पर
जिलाधिकारी हरिद्वार श्री कर्मेन्द्र सिंह के निर्देशन में रुड़की तहसील में फिलहाल ऐसे 300 से अधिक प्लॉटों की पहचान की गई है, जिनका क्षेत्रफल 250 वर्ग मीटर से अधिक है और जो बाहरी राज्यों के नागरिकों के नाम पर हैं। इन सभी प्लॉटों का अब भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है। इसके लिए तहसील स्तर पर विशेष जांच टीमें गठित की गई हैं, जो प्लॉट की स्थिति, उपयोग, और दस्तावेजों की बारीकी से जांच करेंगी।
जिलाधिकारी ने जिले के सभी उप जिलाधिकारियों (एसडीएम) को आदेश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस प्रकार की भूमि की पहचान करें और उसकी जांच रिपोर्ट शीघ्र शासन को उपलब्ध कराएं। यदि किसी भी प्लॉट में भू-कानून का उल्लंघन पाया जाता है तो ऐसे बैनामे को अमान्य घोषित कर दिया जाएगा और संबंधित भूमि को राज्य सरकार के अधीन निहित कर लिया जाएगा।
शनिवार से शुरू होगी भौतिक जांच, मचा हड़कंप
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार शनिवार से संदिग्ध प्लॉटों का फील्ड वेरिफिकेशन शुरू कर दिया जाएगा। राजस्व विभाग की टीमें प्लॉटों का स्थलीय निरीक्षण करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि बैनामे में दिए गए विवरणों और जमीन की वास्तविक स्थिति में कोई अंतर न हो।
इस कार्रवाई के बाद से जिले में जमीन खरीद-फरोख्त से जुड़े दलालों और बाहरी निवेशकों में हड़कंप मच गया है। कई लोगों को डर है कि अगर जांच में गड़बड़ी पाई गई तो न केवल उनकी जमीन जब्त हो सकती है, बल्कि उन पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
सरकार की मंशा: राज्य के संसाधनों पर स्थानीयों का हक सुनिश्चित करना
राज्य सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है—उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य की भूमि को अनियंत्रित रूप से बाहरी लोगों के हाथों में जाने से रोकना और राज्य के स्थानीय निवासियों के हितों की रक्षा करना। सरकार का मानना है कि अनियंत्रित भूमि बिक्री से न केवल प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए भविष्य में भूमि की उपलब्धता भी खतरे में पड़ जाती है।
जांच के बाद यदि किसी भी खरीदी गई भूमि में नियमों का उल्लंघन सामने आता है, तो न केवल बैनामा रद्द किया जाएगा, बल्कि भूमि को सरकार के नियंत्रण में लेकर आवश्यकतानुसार उसका पुनः उपयोग तय किया जाएगा। इस संबंध में शासन की ओर से स्पष्ट दिशा–निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।