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Wednesday, July 9, 2025
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मुख्य सचिव ने कसा शिकंजा, बिना पूर्व तैयारी के प्रस्तावों पर नहीं होगा विचार

मुख्य सचिव सख्त रुख में: अब हड़बड़ी में भेजे गए कैबिनेट प्रस्ताव नहीं होंगे स्वीकार, सभी विभागों को जारी हुए निर्देश

उत्तराखंड शासन में मंत्रिमंडल बैठकों की प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने के लिए मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सख्त रुख अख्तियार किया है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि भविष्य में कोई भी प्रस्ताव जो कैबिनेट की बैठक से सात दिन पहले सभी जरूरी औपचारिकताओं के साथ मंत्रिपरिषद विभाग को प्राप्त नहीं होगा, उस पर विचार नहीं किया जाएगा।

मुख्य सचिव की ओर से सभी प्रमुख सचिवों और सचिवों को जारी किए गए पत्र में यह चिंता जताई गई है कि कई प्रशासकीय विभाग कैबिनेट प्रस्तावों को तैयार करते समय निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं की अनदेखी कर रहे हैं। विशेष रूप से यह देखा गया है कि बैठक वाले दिन ही प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं, जिससे उनके समुचित परीक्षण और अनुमोदन में बाधा उत्पन्न होती है।

प्रक्रियाओं की अनदेखी पर जताई सख्त नाराजगी

मुख्य सचिव ने अपने पत्र में लिखा है कि समय-समय पर कैबिनेट प्रस्तावों से संबंधित जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, उनका सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने निर्देश दिया है कि भविष्य में सभी विभाग यह सुनिश्चित करें कि प्रस्तावों पर वित्त, कार्मिक एवं न्याय विभाग की राय, और विभागीय मंत्री का अनुमोदन पहले से प्राप्त हो। इन औपचारिकताओं के पूरा होने के बाद ही प्रस्ताव मंत्रिपरिषद विभाग को भेजे जाएं।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी निर्देशित किया है कि सभी प्रस्ताव ई-मंत्रिमंडल पोर्टल के माध्यम से ही ऑनलाइन प्रस्तुत किए जाएं, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता बनी रहे।

हड़बड़ी में आने वाले प्रस्तावों पर नहीं होगा विचार

पत्र में स्पष्ट किया गया है कि कैबिनेट बैठक के दिन या ठीक एक दिन पहले प्रस्ताव भेजे जाने की प्रवृत्ति से शासन की प्रक्रिया बाधित हो रही है। इससे न केवल प्रस्तावों का समुचित परीक्षण नहीं हो पाता, बल्कि मुख्यमंत्री से उन्हें स्वीकृति प्राप्त करने में भी कठिनाई होती है

मुख्य सचिव ने यह भी उल्लेख किया है कि यदि किसी प्रस्ताव को अत्यावश्यक रूप से बैठक में रखना आवश्यक हो, तो प्रशासकीय विभाग को प्रस्ताव में इसकी अपरिहार्यता का स्पष्ट उल्लेख करना होगा। बिना ठोस कारण के भेजे गए आखिरी समय के प्रस्तावों को अब सीधे अस्वीकार किया जाएगा।

मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने भी जताई थी नाराजगी

मुख्य सचिव के पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि स्वयं मुख्यमंत्री और कई मंत्रीगण भी पिछले समय में इस बात पर नाराजगी जता चुके हैं कि कई प्रस्तावों की जानकारी उन्हें बैठक से ठीक पहले मिलती है, जिससे निर्णय लेने में कठिनाई होती है। कई बार ऐसे प्रस्तावों की जानकारी न होने के कारण बैठक में असमंजस की स्थिति बन जाती है।

प्रस्तावों में देरी के लिए विभाग जिम्मेदार होंगे

मुख्य सचिव ने दो टूक कहा है कि यदि भविष्य में प्रस्तावों की प्रक्रिया में कोई देरी या असुविधा होती है, तो उसके लिए संबंधित विभाग स्वयं जिम्मेदार होंगे। यह तय करना विभाग का दायित्व है कि प्रस्ताव समयबद्ध तरीके से पूर्ण अनुमोदनों के साथ मंत्रिपरिषद को भेजे जाएं।

मुख्य सचिव के नए निर्देशों के अनुसार अब कैबिनेट प्रस्तावों पर आखिरी समय में विचार नहीं किया जाएगा। सभी विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रस्ताव मंत्रिमंडल की बैठक से कम से कम सात दिन पहले सभी औपचारिकताओं के साथ प्रस्तुत किए जाएं। इनमें वित्त, कार्मिक और न्याय विभाग की राय के साथ-साथ संबंधित मंत्री का अनुमोदन भी अनिवार्य रूप से शामिल होना चाहिए। प्रस्ताव केवल ई-मंत्रिमंडल पोर्टल के माध्यम से ही भेजे जाएंगे। यदि प्रस्ताव देरी से भेजे जाते हैं, तो उसकी वजह से होने वाली असुविधा और प्रक्रिया में बाधा के लिए संबंधित विभाग को ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री और मंत्री पहले भी कई बार बैठक से ठीक पहले प्रस्ताव लाए जाने पर असंतोष जता चुके हैं।

मुख्य सचिव के इस निर्देश को शासन में प्रशासनिक अनुशासन लाने की एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल कैबिनेट निर्णयों की गुणवत्ता में सुधार करेगा, बल्कि कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और समयबद्धता को भी सुनिश्चित करेगा

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