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Monday, May 19, 2025
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राजकीय विद्यालयों में रिकॉर्ड तोड़ 80 हजार छात्र-छात्राओं का नया नामांकन

शैक्षणिक सत्र 2025-26 में अब तक 80,771 राजकीय विद्यालयों में नए छात्र-छात्राओं का नामांकन

देहरादून उत्तराखंड राज्य के राजकीय विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 की शुरुआत के साथ ही छात्रों के नामांकन की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। एक अप्रैल 2025 से लेकर 21 अप्रैल 2025 तक प्रदेशभर के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के सरकारी स्कूलों में कुल 80,771 छात्र-छात्राओं ने नामांकन कराया है। यह संख्या इस बात का प्रमाण है कि सरकारी विद्यालयों में बच्चों की रुचि लगातार बढ़ रही है और शिक्षा विभाग की ओर से चलाए जा रहे प्रयास कारगर सिद्ध हो रहे हैं।

नामांकन के आंकड़ों पर नजर डालें तो विभिन्न जनपदों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अल्मोड़ा जिले में 6476 बच्चों का नामांकन हुआ है। वहीं, पिथौरागढ़ में 5582, बागेश्वर में 3386, ऊधमसिंह नगर में 3426, नैनीताल में 6265, चंपावत में 3688, चमोली में 5330, उत्तरकाशी में 5122, रुद्रप्रयाग में 4527, पौड़ी गढ़वाल में 6820, देहरादून में सर्वाधिक 13,613, हरिद्वार में 9288 और टिहरी गढ़वाल में 7248 छात्र-छात्राओं ने राजकीय विद्यालयों में दाखिला लिया है। ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा को लेकर जागरूकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा राजकीय विद्यालयों में छात्रों के नामांकन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘प्रवेशोत्सव’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत राज्यभर के स्कूलों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। इस अवसर पर नवप्रवेशित बच्चों का विद्यालयों में स्वागत किया जा रहा है और उन्हें शिक्षा की ओर प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त, बच्चों को निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों की भी व्यवस्था की जा रही है ताकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्र-छात्राएं भी बिना किसी बाधा के अपनी शिक्षा जारी रख सकें। शिक्षा विभाग द्वारा यह भी सुनिश्चित किया गया है कि हर विद्यालय में समुचित व्यवस्था हो और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके।

राजकीय विद्यालयों में अधिक से अधिक  नामांकन सुनिश्चित करने के लिए विभागीय अधिकारियों और शिक्षकों को विशेष दायित्व सौंपे गए हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे न केवल छात्रों को स्कूलों में नामांकित करें बल्कि अभिभावकों को भी सरकारी स्कूलों की सुविधाओं और गुणवत्ता से अवगत कराएं।

इस तरह के प्रयासों से स्पष्ट है कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में ठोस कदम उठा रही है और सरकारी स्कूलों की छवि को सुदृढ़ करने की दिशा में कार्यरत है। आने वाले समय में इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे और सरकारी विद्यालय फिर से शिक्षा के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरेंगे

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