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Saturday, April 19, 2025
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ग्रामीण महिलाएं उद्यमिता के नए मार्ग पर अग्रसर : पंत

चंपावत में ग्रामीण महिलाओं के लिए नई उम्मीद: सुगंधित पौधों की खेती से आत्मनिर्भरता की ओर कदम

चंपावत, 25 मार्च 2025: उत्तराखंड में सफल शासन के तीन वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में “उत्तराखंड @25 आदर्श चंपावत” पहल के तहत महिला प्रौद्योगिकी केंद्र, चंपावत में “सगंध पौध वितरण कार्यक्रम” का आयोजन बड़े उत्साह के साथ संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट), देहरादून द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया। इस आयोजन का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़ना और उन्हें उद्यमिता के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करना था। यह पहल न केवल महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा देने का भी एक शानदार प्रयास है।

सुगंधित पौधों की खेती: महिलाओं के लिए नया अवसर

कार्यक्रम में सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ के तकनीकी अधिकारी डॉ. मनीष आर्य और डॉ. प्रवल पी.एस. वर्मा ने महिलाओं को सुगंधित, औषधीय और आयुर्वेदिक पौधों की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने रोजमेरी, नींबू घास, गुलाब और ओरिगानो जैसी फसलों की खेती के तरीकों, उनके पोषण और दीर्घकालिक देखभाल पर प्रकाश डाला। विशेषज्ञों ने बताया कि ये पौधे 10 से 12 वर्षों तक जीवित रह सकते हैं, जिससे किसानों को लंबे समय तक स्थिर और आकर्षक आय प्राप्त हो सकती है। इसके साथ ही, इन फसलों के व्यावसायिक उपयोग, बाजार में उनकी मांग और रोजगार सृजन में उनकी भूमिका पर भी चर्चा की गई। महिलाओं को यह समझाया गया कि इन पौधों की खेती न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकती है, बल्कि उनके परिवार और समुदाय के लिए भी एक सकारात्मक बदलाव ला सकती है। इस दौरान रोजमेरी पौधों का वितरण भी किया गया, जिसके साथ विशेषज्ञों ने महिलाओं को इन्हें लगाने और उगाने की वैज्ञानिक विधियों के बारे में प्रशिक्षित किया। यह सुनिश्चित किया गया कि महिलाएं अपनी छोटी-छोटी भूमि का भी अधिकतम उपयोग कर सकें और इन फसलों से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें।

ग्रामीण
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम: प्रशिक्षण और समर्थन

कार्यक्रम में यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने भी महिलाओं से संवाद किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक ज्ञान और कौशल से लैस होना ग्रामीण महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है। प्रो. पंत ने कहा, “ऐसे कार्यक्रम महिलाओं को अपनी आजीविका को बेहतर बनाने का अवसर देते हैं और उन्हें उद्यमिता की नई राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि भविष्य में महिलाओं को इन फसलों की सघन खेती और व्यावसायिक उत्पादन में प्रशिक्षित करने के लिए और अधिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे। यह निरंतर सहायता सुनिश्चित करेगी कि महिलाएं अपने कौशल को और निखार सकें और आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से कदम बढ़ा सकें। कार्यक्रम में चंपावत की ब्लॉक प्रमुख रेखा देवी और ग्राम प्रधान चोरासेठी अनीता सेठी भी उपस्थित थीं। दोनों ने इस पहल के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया और उनके नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में चंपावत में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनका सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इन योजनाओं ने महिलाओं को नई दिशा दी है और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने का आत्मविश्वास प्रदान किया है।

यह आयोजन चंपावत की ग्रामीण महिलाओं के बीच कृषि, औषधीय पौधों की वैज्ञानिक खेती और उद्यमिता को लेकर एक नया दृष्टिकोण और जागरूकता लेकर आया। महिलाओं ने इस अवसर का लाभ उठाकर न केवल अपने लिए, बल्कि अपने समुदाय के लिए भी एक बेहतर भविष्य की नींव रखी। यह कार्यक्रम इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और संसाधनों के साथ ग्रामीण महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन सकती हैं, बल्कि समाज में बदलाव की वाहक भी बन सकती हैं। आने वाले समय में इस तरह के प्रयास उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में और अधिक समृद्धि और सशक्तिकरण लाने में सहायक सिद्ध होंगे। यह पहल न सिर्फ महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है, बल्कि उनके आत्मविश्वास को बढ़ाकर उन्हें एक नई पहचान भी दे रही है

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