महिलाओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया, पुरुषों से ज्यादा मतदान किया
दूसरे चरण का मतदान 28 जुलाई को होगा
देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण में करीब 68 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग करते हुए 17 हजार से अधिक उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला किया है। चुनावी प्रक्रिया के दौरान विशेष रूप से दुर्गम क्षेत्रों से आने वाले आंकड़ों के आधार पर यह प्रतिशत और बढ़ने की संभावना बनी हुई है।
पहले चरण का मतदान प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में बारिश की हल्की बूंदाबांदी और कहीं-कहीं तेज धूप के बीच आयोजित हुआ। मतदान केंद्रों पर सुबह से ही मतदाताओं की लंबी कतारें देखने को मिलीं, जिससे चुनाव में ग्रामीण जनता की बढ़ती भागीदारी का पता चलता है। मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के कई प्रमुख नेता भी अपने-अपने गांवों में मतदान कर लोकतंत्र में हिस्सा लिया।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा गुरुवार की देर रात जारी किए गए प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, पहले चरण में कुल 68 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। इसमें पुरुष मतदाताओं ने 63 प्रतिशत और महिलाओं ने 73 प्रतिशत मतदान किया, जो महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
पहले चरण में कुल चार पदों के लिए लगभग 17 हजार से अधिक उम्मीदवार मैदान में थे। इसमें ग्राम पंचायत सदस्य के 948 पदों पर 2,247 उम्मीदवार, प्रधान ग्राम पंचायत के 3,393 पदों पर 9,835 प्रत्याशी, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 1,507 पदों पर 5,044 उम्मीदवार और जिला पंचायत सदस्य के 201 पदों पर 878 उम्मीदवार शामिल थे। कुल मिलाकर 26 लाख से अधिक मतदाता इस चरण में मतदान के लिए पंजीकृत थे।
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2025 के पहले चरण का मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश के सभी जनपदों के 49 विकास खंडों की ग्राम पंचायतों में सुबह 8 बजे से ही मतदान प्रक्रिया शुरू हो गई थी।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने सभी तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों और सुरक्षाबलों को मतदान के दौरान शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आभार जताया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने चुनावी व्यवस्था में पूरी तत्परता और पारदर्शिता बरती, जिससे मतदान सुचारू रूप से संपन्न हो सका।
अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में मतदान 28 जुलाई को किया जाएगा, जिसमें अन्य जिलों की ग्राम पंचायतों में वोट डाले जाएंगे। इस चरण में भी चुनाव आयोग पूरी व्यवस्था के साथ निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए तैयार है।
यह चुनाव उत्तराखंड की ग्रामीण राजनीति में महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इससे स्थानीय प्रशासन और विकास कार्यों की दिशा तय होती है। पहले चरण में मतदान प्रतिशत और महिलाओं की अधिक भागीदारी से उम्मीद है कि ग्रामीण लोकतंत्र और भी मजबूत होगा।