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Saturday, April 19, 2025
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PMGSY के चौथे चरण में 8750 किमी नई सड़कें: 250 आबादी वाले गांवों को मिलेंगे पक्के रास्ते

250 तक आबादी वाली बसावटों को सड़क से जोड़ने की पहल, PMGSY के चौथे चरण की गाइडलाइन जारी

8750 किमी लंबी ग्रामीण सड़कों का निर्माण, छोटे गांवों को मिलेगा फायदा

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) के चौथे चरण के तहत न्यूनतम 250 की आबादी वाली बसावटों को सड़क नेटवर्क से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत उत्तराखंड ग्राम्य विकास विभाग ने 1490 ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया है। इन सड़कों की कुल लंबाई 8750 किमी होगी, जिससे राज्य के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी में सुधार होगा।

सड़क विहीन गांवों के लिए ऐतिहासिक पहल

भारत सरकार द्वारा सड़क विहीन गांवों को जोड़ने के उद्देश्य से वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरू की गई थी। इसके पहले तीन चरणों में 2001 की जनगणना के आधार पर न्यूनतम 250 की आबादी वाले गांवों को सड़कों से जोड़ा गया। अब चौथे चरण में 2011 की जनगणना को आधार बनाकर नए क्षेत्रों को शामिल किया जा रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य देश के हर छोटे से छोटे गांव को बारहमासी सड़कों से जोड़ना और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।

बड़े पुलों और आवश्यक संरचनाओं का भी निर्माण

चौथे चरण में केवल सड़कों का निर्माण ही नहीं, बल्कि आवश्यकतानुसार पुलिया, कॉजवे और बड़े पुलों का भी निर्माण किया जाएगा। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में कई गांवों तक पहुंचने के लिए पुलों की आवश्यकता होती है, जो बरसात में संपर्क बाधित होने की समस्या को दूर करेंगे।

ग्राम्य विकास विभाग की सचिव राधिका झा ने बताया कि सर्वेक्षण पूरा होने के बाद इन सड़कों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है, जिसे केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद निर्माण कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा।

नए मानकों से छोटे गांवों को फायदा

इस चरण की गाइडलाइन के अनुसार, आबादी का निर्धारण राजस्व गांव या पंचायत के बजाय एक निश्चित भौगोलिक दायरे में रहने वाली जनसंख्या को जोड़कर किया जाएगा। इससे छोटे-छोटे गांवों को भी सड़क संपर्क से जोड़ने में सुविधा होगी।

उत्तराखंड में डेढ़ किमी के दायरे में स्थित बसावटों को एक साथ जोड़कर उनकी आबादी का निर्धारण किया जाएगा, जबकि अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे विकासखंडों में यह दायरा 10 किमी तक रहेगा। यह मापदंड उत्तराखंड जैसे पर्वतीय और छोटे बसावटों वाले राज्य के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगा। इससे उन गांवों को भी सड़क सुविधा मिलेगी, जो पहले इस योजना में शामिल नहीं हो पा रहे थे।

सामाजिक और आर्थिक विकास को मिलेगा बढ़ावा

सड़क संपर्क बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में न केवल आवागमन आसान होगा, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। सड़क सुविधा मिलने से गांवों में आवश्यक सेवाएं जैसे स्कूल, अस्पताल, बाजार आदि अधिक सुगमता से उपलब्ध हो सकेंगे।

इसके अलावा, कृषि और दुग्ध व्यवसाय में लगे किसानों को भी अपनी उपज को बाजार तक पहुंचाने में सुविधा होगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। सड़क नेटवर्क मजबूत होने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था सशक्त होगी।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के चौथे चरण से उत्तराखंड के दुर्गम और छोटे गांवों तक भी सड़क पहुंचेगी। नई गाइडलाइन में क्लस्टर आधारित आबादी को मानक बनाए जाने से कम जनसंख्या वाली बसावटों को भी सड़क सुविधा का लाभ मिलेगा। इससे राज्य के ग्रामीण इलाकों के विकास को गति मिलेगी।”

राज्य सरकार इस योजना के कार्यान्वयन में पूरी प्रतिबद्धता से जुटी हुई है। सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि सड़क निर्माण की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जाए ताकि अधिक से अधिक गांवों को जल्द से जल्द जोड़ा जा सके।

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के चौथे चरण से उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा। इससे न केवल आवागमन सुगम होगा, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और पर्यटन सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी व्यापक सुधार होगा।

यह पहल ग्रामीण विकास को एक नई दिशा देगी और उत्तराखंड जैसे राज्यों में सामाजिक और आर्थिक प्रगति को मजबूती प्रदान करेगी

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